प्रदेश में फिर चलेगा माफिया अभियान, जुआरी सटोरियों सहित भू माफियाओं पर होगी बड़ी कार्रवाई
BHOPAL. प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ( Chief Minister Dr. Mohan Yadav ) ने कड़ी नाराजगी जताई है, प्रदेश में बेहतर पुलिसिंग के लिए मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को चुनिंदा पुलिस अधिकारियों की बैठक रखी है। इस बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा भी मौजूद रहेंगी, उनके अलावा डीजीपी सुधीर सक्सैना, इंटेलीजेंस एडीजी जयदीप प्रसाद सहित पुलिस मुख्यालय के चुनिंदा डीजीपी मौजूद रहेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री प्रदेश में अपराधों की रोकथाम को लेकर किए जा रहे प्रयासों को लेकर चर्चा करेंगे वहीं जिन अफसरों की लगातार शिकायतें आ रही हैं उन पर कड़ा एक्शन लेने के निर्देश भी देंगे।
कलेक्टर-एसपी की रैकिंग
एक दिन पहले ही यानि बुधवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी कलेक्टर-एसपी की रैकिंग कराने के भी निर्देश दिए हैं, जिस पर मुख्य सचिव ने जीएडी कार्मिक और गृह विभाग से 7 दिन में रिपोर्ट मांगी है। लोकसभा चुनाव के मप्र में चार चरण पूरे होने के बाद से मुख्यमंत्री प्रदेश के काम-काज पर फोकस कर रहे हैं, हालांकि देश भर में चुनाव के चरण शेष होने के कारण उनका दौरा दूसरे राज्यों में लगातार होने के कारण वे पूरा समय प्रदेश को नहीं दे पा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने आला अफसरों को संकेत दे दिए हैं कि वे अपनी टीम के कामकाज का आंकलन करें और सुशासन के लिए तेजी से काम करें, जो कदमताल नहीं कर पाएगा उसे लूप लाईन में भेज दिया जाएगा। मुख्यमंत्री की शुक्रवार को होने वाली बैठक को लेकर पुलिस मुख्यालय में हलचल मची हुई है। माना जा रहा है कि इस तरह की बैठकों के बाद मैदानी अफसरों के साथ आला अफसरों की कार्यप्रणाली उजागर होने पर उन्हें अहम पदों से हटाया जा सकता है। ये भी कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करने से पहले सिस्टम को ठीक से समझना चाहते हैं कि कौन सा अफसर किस जगह फिट बैठेगा। 5 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होना तय माना जा रहा है। यही वजह है कि अब हर कोई मुख्यमंत्री के सामने अपने नंबर बढ़ाने की तैयारी में जुट गया है, जिससे मुख्यमंत्री की बैठक में अपनी बात रख सकें।
कलेक्टरों की परफॉरमेंस जांचेंगी सरकार
सीएम डॉ.मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने जीएडी को सभी 52 जिलों के कलेक्टरों की परफॉरमेंस जांचने के निर्देश दिए हैं। इसी आधार पर उनकी रैंकिंग की जाएगी। जीएडी और वरिष्ठ अधिकारी यह देखेंगे कि कलेक्टरों ने राजस्व मामलों के निराकरण, गेहूं खरीदी, नामांतरण जैसे कामों को कितनी तेजी से निपटाया है। जिले में प्रशासनिक स्तर के किन मामलों में पेंडेंसी ज्यादा है, उन्हें मार्क कर हर कलेक्टर की रिपोर्ट बनेगी।
एसपी स्तर के अधिकारियों की भी रैंकिंग
सीएम के निर्देश पर प्रदेश में एसपी स्तर के अधिकारियों के कामकाज का भी आकलन किया जाएगा। भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। ऐसे में यहां एसीपी स्तर के अधिकारियों की रैंकिंग बनाई जाएगी। इसमें देखा जाएगा कि उनके जिले में लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति कैसी है। अपराधों के ग्राफ का आंकड़ा बढ़ रहा है या कम हो रहा है। थानों में पेंडेंसी कितनी है।
काम खराब तो छिन जाएगा जिले का काम
जिन जिलों के कलेक्टरों की रैंक कम होगी, यानी उनका कामकाज संतोषजनक नहीं मिला तो संभागायुक्तों से जवाब-तलब किया जाएगा। इसी तरह जिन जिलों में पुलिस अधिकारियों का काम ठीक नहीं मिला, वहां के एआईजी और आईजी स्तर के अधिकारियों से सवाल-जवाब होंगे। कुल मिलाकर जिन जिलों के अधिकारियों की रैंक खराब आएगी, उन पर गाज गिरना तय है।