शादी सम्मेलन में पंडित बने मुस्लिम शिक्षक, पढ़े वैदिक मंत्र! बिना फेरे लौटे दूल्हा-दुल्हन

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में अक्षय तृतीया के दिन मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में एक विवाद खड़ा हो गया।

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Sourabh Bhatnagar
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मुख्यमंत्री कन्यादान योजना (Chief Minister Kanyadan Scheme) के तहत मध्य प्रदेश के श्योपुर में आयोजित विवाह सम्मेलन में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया। श्योपुर शहर के हैवी मशीनरी टीनशेड परिसर में 231 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ था, लेकिन कुछ जोड़े बिना फेरे लिए ही लौट गए। यह सम्मेलन अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के पर आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में एक सरकारी चूक के कारण विवाद खड़ा हो गया।

मुस्लिम शिक्षक बने पुरोहित

Madhya Pradesh mass wedding controversy

आरोप है कि इस कार्यक्रम में 10 मुस्लिम शिक्षकों (10 Muslim Teachers) को पुरोहित का काम करने की ड्यूटी दी गई थी। विवाह वेदी पर इन शिक्षकों के द्वारा संस्कार संपन्न किए जाने का आरोप कुछ जोड़ों ने लगाया है। आरोप है कि मुस्लिम शिक्षकों के द्वारा शादी कराए जाने पर कुछ जोड़े बिना फेरे के लौट गए और बाद में उन्होंने दूसरे सम्मेलनों में जाकर सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह किया।

इस घटना के बाद, जिम्मेदार अधिकारियों (Responsible Officials) ने इस चूक को नकारते हुए कहा कि विवाह संस्कार गायत्री परिवार के सदस्यों द्वारा संपन्न कराए गए थे और मुस्लिम शिक्षकों को सिर्फ व्यवस्था के लिए ड्यूटी दी गई थी।

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सम्मेलन में कुछ जोड़े रहे बिना फेरे के

इस सम्मेलन में कुछ ऐसे जोड़े भी थे, जिनकी पहले ही शादी हो चुकी थी, लेकिन कन्यादान योजना का लाभ लेने के लिए उन्होंने सम्मेलन में दोबारा शादी की। इन जोड़ों ने भी आरोप लगाया कि पुरोहित का काम मुस्लिम शिक्षकों ने किया, जिससे वे असहज महसूस कर लौट गए।

जिले के  खिरनी निवासी लोकेश ने भी इस सम्मेलन में दूल्हा बनकर भाग लिया था। उन्होंने अपनी शादी की सभी रस्में पूरी की, लेकिन बाद में पता चला कि पुरोहित का काम मुस्लिम शिक्षक कर रहे थे। इसके बाद लोकेश ने सम्मेलन छोड़ दिया और कहा कि वे अब खिरनी में होने वाले विवाह सम्मेलन में भाग लेंगे।

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क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी

जनपद पंचायत श्योपुर के सीईओ श्याम सुंदर भटनागर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुस्लिम शिक्षकों ने विवाह संस्कार में कोई मंत्र नहीं पढ़े। वे केवल आयोजन के लिए उपस्थित थे। विवाह संस्कार गायत्री परिवार (Gayatri Family) के सदस्यों द्वारा संपन्न किए गए थे। भटनागर ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि कोई जोड़ा बिना फेरे के वापस लौटा हो। उनकी जानकारी में तो लगभग सभी जोड़ों की शादी हो चुकी है।

विवाह समारोह में शामिल मुस्लिम शिक्षक

  1. इस्माइल खान (प्राथमिक स्कूल अडूसा)

  2. बुंदू खान (मिडिल स्कूल श्रीहजारेश्वर)

  3. शमशाद खान (प्राथमिक स्कूल कन्या उर्दू गांधी)

  4. मुमताज अली (प्राथमिक स्कूल नारायणपुरा)

  5. सफदर हुसैन नकवी (सीएम राइज स्कूल श्योपुर)

  6. गजला नोमानी (माध्यमिक स्कूल पंडोला)

  7. इमाम अली (प्राथमिक स्कूल दौलतपुर)

  8. मुनव्वर जहां (प्राथमिक स्कूल उर्दू गांधी)

  9. नुजहत परवीन (मिडिल स्कूल क्रमांक 3)

  10. बुंदू खान (प्राथमिक स्कूल ढोंटी)

सवाल उठाने वाले जोड़े

कुछ जोड़ों का कहना है कि उन्होंने विवाह संस्कार के दौरान गायत्री परिवार द्वारा बताई गई विधि को नहीं किया, और वे इस कारण शादी के बाद दूसरे सम्मेलन में गए, जहां सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह की प्रक्रिया पूरी की गई। ये जोड़े इस घटना को एक बड़ी चूक मानते हैं, जिससे उनका विवाह अधूरा महसूस हुआ।

निष्कर्ष

श्योपुर में हुए इस सामूहिक विवाह समारोह ने एक बड़ा विवाद उत्पन्न किया है। हालांकि अधिकारियों ने इस पर अपनी सफाई दी है, लेकिन समाज के विभिन्न हिस्सों में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह घटना भविष्य में इस प्रकार के सरकारी आयोजनों में धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठा सकती है।

FAQ

1. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना क्या है?
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गरीब कन्याओं के विवाह हेतु एक सरकारी पहल है, जिसमें राज्य सरकार विवाह के खर्चे में मदद करती है। इस योजना के तहत राज्यभर में विवाह सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गरीब कन्याओं के विवाह हेतु एक सरकारी पहल है, जिसमें राज्य सरकार विवाह के खर्चे में मदद करती है। इस योजना के तहत राज्यभर में विवाह सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।

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