सीएम मोहन यादव बोले-जैसे मां के चरणों में चारधाम, वैसे ही मातृभाषा की गोद में आनंदधाम

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविन्द्र भवन में आयोजित हिंदी दिवस कार्यक्रम में हिंदी साहित्यकारों को सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्होंने द सूत्र के Be इंडियन, Buy इंडियन अभियान की शुरुआत भी की।

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The Sootr
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मां और मातृभाषा से आगे दूसरा कोई नहीं है। मां और मातृभाषा ही हमारी सबसे बड़ी पालक हैं। इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है, जैसे मां के चरणों में चारधाम है, उसी प्रकार मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। जितना सटीक हमारी मातृभाषा का व्याकरण है, उतना ही समृद्ध है हिन्दी साहित्य।

ये बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को भोपाल के रविन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में हिंदी दिवस (14 सितंबर) के मौके पर आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

सीएम मोहन यादव ने आगे कहा कि 52 वर्णों में गुंथी हुई हिन्दी की वर्णमाला ही हमारी पहली पाठशाला है। जो अ से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी संस्कृति को जोड़ती है। हिन्दी के बिना हमारा साहित्य, हमारी भावनाएं और हमारी संवेदनाएं यकीनन अधूरी हैं।

सीएम ने किया "Be इंडियन-Buy इंडियन" अभियान का शुभारंभ

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य लेखन और हिंदी के व्यापक स्तर पर लोकव्यापीकरण में योगदान देने वाले देश-विदेश के हिन्दी के 10 बड़े साहित्यकारों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मानों से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न साहित्यिक पुस्तकों का विमोचन/लोकार्पण भी किया।

कार्यक्रम के दौरान महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा आयोजित उज्जैन विक्रमोत्सव 2025 को एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में वॉव अवार्ड एशिया की टीम द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को सम्मानस्वरूप गोल्ड अवार्ड भेंट किया गया।

इस कार्यक्रम में ही स्वदेशी जागरण अभियान अंतर्गत देश हित में 'द सूत्र' का अभियान "Be इंडियन, Buy इंडियन, हमारी-लक्ष्मी-हमारे पास" का शुभारंभ किया गया। आरएनटीयू के विश्व हिंदी ओलंपियाड एवं विश्वरंग के पोस्टर का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया।

इनका हुआ सम्मान

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन 10 रचनाकारों-लेखकों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मान से अलंकृत किया। 

राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान

प्रशांत पोळ-जबलपुर (2024)
लोकेन्द्र सिंह राजपूत- भोपाल (2025)
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान
रीता कौशल-ऑस्ट्रेलिया (2024)
डॉ. वंदना मुकेश- इंग्लैण्ड (2025)
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान
डॉ. इंदिरा गाजिएवा-रूस (2024)
पदमा जोसेफिन वीरसिंघे (2025)
राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान
डॉ. राधेश्याम नापित-शहडोल (2024)
डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे-भोपाल (2025)
राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान
डॉ. के.सी. अजय कुमार-तिरुवनंतपुरम् (2024)
डॉ. विनोद बब्बर-दिल्ली (2025)

इन साहित्यिक पुस्तकों/प्रकाशनों का हुआ लोकार्पण/विमोचन

भारतीय भाषा आलोक - राजेश्वर त्रिवेदी
समाज की भाषा का संकल्प(पोस्टर) -  विजयदत्त श्रीधर
भोजपुरी प्रतिभाएं - डॉ. पूजा शुक्ला
शिवगीता, दत्तात्रेयगीता, कपिलगीता, अवधूतगीता, भागवतगीता, यमगीता, हरिहरगीता, भृगुगीता

श्रीकृष्ण चरित्र - बंकिमचन्द्रम चट्टोपाध्याय
श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका - अशोक शर्मा
लोक में वेदांत - डॉ. सरोज गुप्ता

श्रीराम ने हजारों साल पहले किया था मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज ही अभियंता दिवस भी मनाया गया है। उन्होंने सभी को अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी बोली जाती है। भगवान श्रीराम ने हजारों साल पहले मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख किया था।

आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता देखने को मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती पर काव्य लिखकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। राजाभोज के काल में कविता के रचनाकारों को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया जाता था। महाकवि कालिदास की रचनाओं से मालवी, भीली, कोरकू जैसी अनेक भाषाएं निकली हैं।

उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को अलग स्थान दिलाया। उन्होंने 50 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक समय नेता प्रतिपक्ष के पद को सुशोभित किया। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के हर बड़े मंच पर हिंदी भाषा में संबोधित के जरिए भारत को गौरवान्वित करते हैं। उनके पहुंचने मात्र से ही मंच प्रकाशमय हो जाता है। 

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सरकार कर रही काम - धर्मेंद्र सिंह लोधी

कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है। हिंदी हमारी सांस्कृतिक चेतना और हमारे विचारों को दर्शाने वाली भाषा है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने की शुरुआत हुई है।

मॉरीशस सहित अनेक देशों में पढ़ाई जाती है हिंदी - डॉ. संतोष चौबे 

आरएनटीयू के कुलगुरु डॉ. संतोष चौबे ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा कला, संस्कृति के क्षेत्र में शुरू हुए कार्य देशभर में पहचान बना रहे हैं। विश्वरंग दुनिया के कई देशों तक फैल चुका है। कई मॉरीशस सहित अनेक देशों में हिंदी पढ़ाई जाती है।

अपर मुख्य सचिव संस्कृति एवं पर्यटन आईएएस शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि भारतीय भाषा अनुष्ठान हिंदी के सम्मान का एक उल्लास पर्व है। मध्यप्रदेश सरकार हिंदी को सर्वोच्च स्थान दिलाने में योगदान करने वाली विभूतियों, लेखकों, साहित्यकारों और रचनाकारों को सम्मानित कर स्वयं गौरवान्वित हो रही है। 

कार्यक्रम में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, विधायक भगवानदास सबनानी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी, संचालक संस्कृति  एमपी नामदेव, वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी सहित सम्मानित हुए साहित्यकारों के परिजन, विद्वतजन सहित बड़ी संख्या में हिंदी भाषा एवं साहित्य के सुधिजन तथा संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।

सीएम मोहन यादव Be इंडियन-Buy इंडियन श्रीराम तिवारी आईएएस शिव शेखर शुक्ला हिंदी दिवस उज्जैन विक्रमोत्सव 2025 द सूत्र
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