अंतर्कथा: सीएम यादव ने पहले ही तय कर दी थी आईएएस गुलशन बामरा की विदाई, जानें किस बात से थे नाराज

सीएम मोहन यादव की नाराजगी के चलते पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा को हटा दिया गया। सांची का प्रबंधन अब नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) संभालेगा।

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Pratibha ranaa
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आईएएस गुलशन बामरा
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पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा ( IAS Gulshan Bamra  ) को देर रात इस जिम्मेदारी से हटा दिया गया। अब बामरा सिर्फ पर्यावरण विभाग के ही प्रमुख सचिव रहेंगे। उनकी जगह जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव और 1999 बैच के ई रमेश कुमार ( IAS E Ramesh Kumar ) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। मगर पशुपालन एवं डेयरी विभाग में तबादले की कहानी इतनी भी सरल नहीं है।

दूसरे शब्दों में कहें तो विभाग में मनमर्जियां चल रही थीं और सीएम मोहन यादव इनसे बेहद नाराज थे। इस नाराजगी के लेवल को ऐसे भी समझा जा सकता है कि मंगलवार को हुई बैठक से पहले ही तय था कि गुलशन बामरा अब जाने वाले हैं। कैसे, तो आइए हम आपको बताते हैं पशुपालन एवं डेयरी विभाग में तबादले की पूरी अंतर्कथा… 

नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड संभालेगा सांची 

सीएम मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान तय किया गया कि प्रदेश के डेयरी ब्रांड सांची का संचालन और प्रबंधन अब अगले 5 साल तक केंद्र सरकार का उपक्रम नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) करेगा। साथ ही घाटे में चल रहे सांची में राज्य सरकार भी 1500 करोड़ निवेश करेगी। करीब 650 करोड़ रुपए NDDB का निवेश भी होगा। इस पैसे से एनडीडीबी क्वालिटी को बेहतर करने के साथ सांची की ब्रांडिंग और आधुनिकीकरण में मदद करेगा। नए प्लान के तहत गांवों में 33 हजार दुग्ध समितियां बनाई जाएंगी। योजना के पहले चरण में 11 हजार गांवों में पुरानी मशीनरी को भी बदला जाएगा।  

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ट्रांसफर से पहले ही बैठक में पहुंचे थे ई रमेश 

आपको बता दें कि इस बैठक में कायदे से पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव की हैसियत से गुलशन बामरा को ही मौजूद रहना था। लेकिन जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव व 1999 बैच के ई रमेश कुमार भी इस बैठक में पहुंचे थे। अब सीधे तौर पर दोनों ही विभागों का कोई बड़ा काम नहीं रहता है, ऐसे में ई रमेश कुमार की मौजूदगी ने ही तय कर दिया था कि विभाग में बदलाव होने जा रहा है। खैर अब जानते हैं गुलशन बामरा से मुख्य मंत्री मोहन यादव आखिर क्यों नाराज थे…

दुग्ध अनुदान का प्लान नहीं बन सका

मुख्य मंत्री मोहन यादव काफी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के दुग्ध पालकों को 5 रुपए प्रति लीटर अनुदान देने जा रहे हैं। कई बार मंचों से भी इसकी घोषणा होने के बादजूद विभाग इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं कर सका। इसके उलट जब- तब यह सवाल जरूर उठाए गए कि जब रिकॉर्ड दूध उत्पादन होगा तो उसे कैसे और किसको सप्लाई किया जाएगा? 

अजब- गजब प्रमोशन 

दो सप्ताह पूर्व विभाग में रिटायरमेंट के दिन ही प्रमोशन करने की कहानी से पशुपालन विभाग की खूब भद्द पिटी थी। दरअसल पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. आरके मेहिया को रिटायरमेंट के अंतिम दिन प्रमोशन दे दिया गया। डॉ. आरके मेहिया पशुपालन विभाग के संचालक के प्रभार में थे। 31 अगस्त को डॉ. मेहिया का रिटायरमेंट था। रिटायरमेंट की तारीख को ही डॉ मेहिया को संयुक्त संचालक के पद से सीधे संचालक के पद पर पदोन्नत किया गया। बात सीबीआई जांच की मांग तक बढ़ गई थी।

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि सेवानिवृत्ति के दिन सरकारी अवकाश रहता है, तो रिटायरमेंट के एक दिन पहले वर्किंग डे में माना जाता है। ऐसे में डॉ. मेहिया की सेवानिवृत्ति 30 अगस्त को मानी गई। लेकिन, पशुपालन विभाग ने 31 अगस्त को आदेश जारी कर डॉ. आरके मेहिया को संयुक्त संचालक से पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक पद पर पदोन्नत कर दिया।

इतना ही नहीं डॉ. आरके मेहिया के रिटायरमेंट के बाद रविवार 1 सितंबर को पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक की पदस्थापना का दूसरा आदेश जारी हुआ। पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. प्यार सिंह पटेल को संचालक के पद पर प्रमोट करने का आदेश जारी हुआ। इस मामले को कांग्रेस ने भी काफी उछाला था। 

इसके बाद भी विभाग में बना रहेगा बामरा का हस्तक्षेप

आईएएस गुलशन बामरा से मुख्यमंत्री की नाराजगी और उसके बाद पशुपालन विभाग से विदाई तक ही यह कहानी नहीं है। कहानी में ट्विस्ट यह भी है कि तबादले के बाद भी विभाग में गुलशन बामरा का हस्तक्षेप बना रहेगा। दरअसल नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) में प्रमुख सचिव स्तर के दो मेंबर होते हैं। इनमें से एक मेंबर बिहार कैडर का है तो मेंबर के रूप में दूसरा नाम खुद आईएएस गुलशन बामरा का ही है। ऐसे में सांची के डवलपमेंट से संबंधित कामकाज उन्हीं के माध्यम से हाेंगे। यानी विभाग से जाने के बाद भी विभाग को बामरा की मेंटरशिप मिलती रहेगी। 

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