विदिशा जिले की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने एक अनोखी पहल शुरू की है। वे खुद ही स्कूलों में पहुंचकर 10वीं से लेकर 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। इस पहल की शुरुआत बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम सुधारने के उद्देश्य से हुई थी, लेकिन इसका प्रभाव जिले के अन्य स्कूलों पर भी देखने को मिल रहा है।
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना है उद्देश्य
रौशन कुमार सिंह 2015 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है और वे शिक्षा के क्षेत्र में गहरी रुचि रखते हैं। जब उन्होंने तीन महीने पहले विदिशा में कलेक्टर का पद संभाला, तो उन्हें जिले की शिक्षा व्यवस्था की खराब स्थिति का एहसास हुआ। उन्होंने प्राथमिक और मिडिल स्कूलों की स्थिति सुधारने की जिम्मेदारी अपने विभागीय अधिकारियों को दी और खुद ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का जिम्मा उठाया है। अब जब भी उन्हें समय मिलता है, वे स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं। इस महीने, वे सीएम राइज स्कूल, एमएलबी स्कूल और हैदरगढ़ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में क्लास ले चुके हैं।
बुद्धिजीवियों को भी कर रहे शामिल
कलेक्टर ने इस पहल में जिले के अन्य बुद्धिजीवियों को भी शामिल किया है ताकि बच्चों को बेहतर तरीके से परीक्षा की तैयारी कराई जा सके। वे गणित, फिजिक्स और कॉमर्स के विषय पढ़ाते हैं और उनका मुख्य ध्यान परीक्षा की तैयारी पर रहता है। एमएलबी स्कूल में उन्होंने पुराने प्रश्न पत्र हल कराए हैं, जिससे कि बच्चों को समय सीमा में सवालों को हल करने की आदत हो सके। इसके अलावा, कलेक्टर ने 73 शिक्षकों से कहा है कि वे पिछले पांच वर्षों के प्रश्नपत्रों को बच्चों के साथ हल करें ताकि उनकी प्रैक्टिस मजबूती से हो सके।
शिक्षा व्यवस्था में हो रहा सुधार
कलेक्टर अभी तक तीन स्कूलों में पहुंचे हैं, लेकिन इसके प्रभाव से जिले के सभी 207 स्कूलों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। एमएलबी स्कूल की प्राचार्य, डॉ. दीप्ति शुक्ला ने बताया कि कलेक्टर के कक्षा में आने के बाद बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ा है और शिक्षक भी कक्षाओं में विषयों को पढ़ाने के प्रति गंभीर हो गए हैं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी संचालन की व्यवस्था में सुधार देखा जा रहा है। शिक्षकों को यह चिंता रहती है कि कलेक्टर कभी भी उनके स्कूल में आ सकते हैं, इसलिए वे बच्चों की उपस्थिति पर भी ध्यान देने लगे हैं।
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