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पवन सिलावट, रायसेन : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम से अभियान चलाकर देशभर में लाखों पेड़ लगवाए, वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली में प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे हरे-भरे फलों के पेड़ों की हत्या कॉलोनाइजर कर रहे हैं। आखिर हरे-भरे पेड़ों की हत्या का जिम्मेदार कौन है रायसेन जिले के बरेली में कॉलोनाइजरों की ऐसी बाढ़ आई हुई है।
बरेली नगर परिषद के बगल में नहर गार्डन की जमीन पर लगे हरे-भरे पेड़ों को कॉलोनाइजर ने काटकर आग के हवाले कर दिया। कटे हुए पेड़ों में शाम करीब साढ़े पांच बजे आग लगाई गई। हद तो यह है कि वन विभाग की टीम ने जाकर करीब 21 फलदार आम के पेड़ों को काटने के लिए चिन्हित भी कर दिया। नगर परिषद ने इस कॉलोनाइजर को पेड़ काटने के लिए कोई सहमति नहीं दी थी। फिर भी बिना अनुमति के हरे पेड़ों को काटा जा रहा है और आग के हवाले किया जा रहा है।
कॉलोनाइजर को प्रशासनिक अधिकारियों का कोई डर नहीं है। कॉलोनाइजर खुलेआम हरियाली का नाश कर रहा है। बांस के पेड़ों को वन विभाग के कर्मचारियों ने काटा है, लेकिन उन्हें काटने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जहां एक ओर नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर युवा और बुजुर्ग लोग सुबह-शाम टहलने जाते हैं, ताकि ताजी हवा खा सकें और स्वास्थ्य लाभ उठा सकें। उन्हें तरह-तरह के फलदार वृक्षों का आनंद मिलता है, लेकिन उन वृक्षों को काटा जा रहा है। वहीं शासन-प्रशासन के अधिकारियों का बरेली नगर परिषद कार्यालय से लगा एक बगीचा है, जो 28 एकड़ भूमि पर हरियाली फैला रहा है, जिसे कॉलोनाइजर ने रात में जेसीबी से कटवाकर बंजर भूमि में बदल दिया है। आवास के लिए भूमि को समतल किया जा रहा है। अगर आप बरेली सीएमओ कार्यालय की खिड़की खोलकर वहां काटे जा रहे हरे पेड़ों को देखेंगे, तो आपको वे हर रोज दिखाई दे रहे होंगे।
जब इस बारे में बरेली नगर परिषद के सीएमओ हरी शंकर वर्मा से पूछा गया तो उनका गैरजिम्मेदाराना जवाब था कि कॉलोनाइजर द्वारा नहर गार्डन से बिना मेरी अनुमति के पेड़ काटे गए हैं। मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। मुझे आश्चर्य है कि अनुमति किसने दी, क्या वैध है और क्या नहीं, नोटिस क्यों नहीं जारी किए गए। फिलहाल काटे गए हरे पेड़ों को जब्त कर परिषद को सौंप दिया गया है।