संजय गुप्ता, INDORE. आदिवासी सीट धार के कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवैल मैदान ( Congress candidates Radheshyam Muvail ) में मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के अन्य नेताओं ने उन्हें मैदान में अकेला छोड़ दिया है। वहीं मुवैल द्वारा चुनाव प्रचार में अधिक खर्चा नहीं किए जाने के चलते धार में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ( Umang Singhar ) पहली बार सक्रिय हुए और रविवार को एक बंद कमरे में बैठक की।
मुवैल ने मांगी राशि की मदद तो मिला टका सा जवाब
सूत्रों के अनुसार बैठक में सिंघार ने मुवैल से कहा कि चुनाव प्रचार में अभी तक कोई उपस्थिति नहीं दिख रही है, बिना खर्चा किए कैसे बात बनेगी? इस पर मुवैल ने कह दिया कि मेरे पास दिक्कत है मैं कहां से इतने रुपए लेकर आऊंगा। सिंघार ने कहा ऐसे कैसे काम चलेगा, खर्चा तो करना ही होगा मुवैल। जिस पर मुवैल ने कह दिया कि आप ही मदद कर दीजिए चुनाव खर्च में, इस पर सिंघार बोले मैं कहां से और कैसे खर्च कर दूं, यह तो आपको ही देखना होगा।
पार्टी की खुद की हालत खराब, वहां से भी फंड नहीं
इंकमटैक्स नोटिस और टैक्स डिमांड के चलते पार्टी के हालत पहले ही खराब है। इसके चलते पार्टी उन सीट पर जहां उन्हें थोड़ी उम्मीद है वहां भी प्रत्याशी को वैसी आर्थिक मदद नहीं कर पा रही है। वहीं धार की बात करें तो यहां कांग्रेस के आठ सीटों में पांच विधायक है, लेकिन मुवैल को कोई भारी आर्थिक सहायता अपनों से ही नहीं मिल रही है। सिंघार खुद पहली बार धार में लोकसभा चुनाव को लेकर बैठक करने पहुंचे थे।
मुवैल के टिकट कटने की खबर भी प्रायोजित कर चलवाई गई
कुछ समय पहले मुवैल के टिकट कटने की खबर भी बड़े मीडिया ग्रुपों ने चलाई। दरअसल यह पूरी प्रायोजित खबर थी। इसमें पूरी तरह से कांग्रेस की अंदरूनी भीतरघात की राजनीति हैं। दरअसल सिंघार की ओर से नाम महेंद्र कन्नोजे का था, जो पूर्व में जयस में रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी के कोर ग्रुप से जुडे मुवैल को खुद राहुल गांधी ने टिकट दिलवाया। यदि मुवैल जीतते हैं तो वह पहले से ही राहुल के निकट है, ऐसे में धार जिले में एक नया आदिवासी नेतृत्व पनप जाएगा, जो अन्य आदिवासी नेताओं को ज्यादा रास नहीं आ रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र के नेता मुवैल के लिए खुलकर मैदान नहीं पकड़ रहे हैं और जब अपने-अपने क्षेत्र में थोड़ा-बहुत घूमकर चुनाव प्रचार की रस्म रदायगी कर रहे हैं।
मुवैल की छवि से सावित्री को चुनौती, वह मोदी की गारंटी के भरोसे
मुवैल की छवि धार जिले में अच्छी है, खासकर बीजेपी प्रत्याशी सावित्री ठाकुर की तुलना में हैं। वहीं ठाकुर 2014 में सांसद रह चुकी है, लेकिन 2019 में टिकट काटकर बीजेपी ने छतरसिंह दरबार को टिकट दिया और वह सांसद बने, लेकिन उम्र के चलते दरबार का टिकट काटकर फिर ठाकुर को टिकट दिया गया है। ठाकुर पूरी तरह से मोदी की गारंटी और उनकी छवि पर निर्भर है। पीएम नरेंद्र मोदी का दो मई को जनसभा के लिए इसी लोकसभा क्षेत्र की मनावर विधानसभा में आना प्रस्तावित है। उधर मुवैल पहली बार चुनाव मैदान में हैं। उनके पक्ष में अभी कोई बड़ा स्टार प्रचारक का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है।
धार सीट पर कांग्रेस रही है मजबूत
मालवा-निमाड़ में धार सीट कांग्रेस के लिए पहले मजबूत गढ़ रही है। विधानसभा में आज भी जिले की सात सीट में 5 कांग्रेस के पास आई। यहां से 1998, 1999 में कांग्रेस के गजेंद्र राजूखेड़ी लगातार सांसद का चुनाव जीते, फिर 2009 में भी वह चुनाव जीते। 2014 में बीजेपी की सावित्री जीती तो 2019 में बीजेपी के छतरसिंह जीते।
यहां पर धार और महू के वोट बैंक बीजेपी का मजबूत पक्ष
इस सीट पर कांग्रेस ने 2019 लोकसभा में गंधवानी (11 हजार), कुक्षी (35 हजार) से लीड ली थी। लेकिन बाकी अदिवासी सीट सरदारपुर (7 हजार वोट से), धरमपुरी (30 हजार वोट) से हारी थी। सबसे ज्यादा नुकसान धार और महू की सीट ने पहुंचाया था, जहां से क्रमश: 70 हजार और करीब 60 हजार की लीड बीजेपी ले गई थी। कांग्रेस मनावर से दस हजार वोट से, बदनावर से 25 हजार वोट से बीजेपी से पिछड़ी थी। बीजेपी के छतरसिंह दरबार ने इसी के चलते कांग्रेस के दिनेश गिरवार को डेढ़ लाख वोट से हराया था।