कांग्रेस शहराध्यक्ष चड्‌ढा- यादव ने पार्टी से मांगी माफी, पद पर हैं या नहीं अभी साफ नहीं, निलंबन ही पार्टी संविधान के खिलाफ

कांग्रेस के संविधान के मुताबिक किसी भी पदाधिकारी को नोटिस देने पर निलंबित करने का प्रावधान नहीं है। वहीं सुरजीत सिंह चड्‌ढा और सदाशिव यादव ने नोटिस का जवाब भेज दिया है।

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Sanjay gupta
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कांग्रेस शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्‌ढा और जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत के चलते दिया गया नोटिस विवादों में आ गया है। कारण है कि यह नोटिस कांग्रेस के संविधान के विपरीत दिया गया है।

कांग्रेस के संविधान के मुताबिक किसी भी पदाधिकारी को नोटिस देने पर निलंबित करने का प्रावधान नहीं है। उधर चड्‌ढा और यादव ने नोटिस का जवाब भेज दिया है और इसमें स्पष्टीकरण देने के साथ ही लिख दिया है कि फिर भी पार्टी को लगता है कि हमसे गलती हुई तो हम क्षमाप्रार्थी हैं।

वहीं निलंबन की अवधि नोटिस पीरियड जो 20 से 27 जुलाई तक दी हुई है, तभी तक थी या अगले आदेश तक, इस पर असमंजस है, जिसके चलेत चड्‌ढा और यादव अभी पद पर है भी या नहीं यह साफ नहीं है। 

कांग्रेस के संविधान का बनाया मजाक

पार्टी से हटाना, निष्कासित करना हो या फिर कोई भी कार्रवाई करना हो तो उसे पहले नोटिस देकर जवाब मांगा जाता है। लेकिन उपाध्यक्ष राजीव सिंह द्वारा जारी इस नोटिस में नोटिस के साथ ही नोटिस अवधि के लिए पद से निलंबित भी किया गया है। इस तरह निलंबित किया ही नहीं सकता है। इस नोटिस से कांग्रेस पार्टी के संविधान का ही मजाक बन गया है।

अजय चौरड़िया के लिए नोटिस ही जारी हुआ था

मप्र कांग्रेस के आर्थिक व व्यापारिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने जब प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस ली तो सिन्हा ने उन्हें सात दिन में जवाब देने का नोटिस दिया था। इस नोटिस के जवाब के बाद ही इसे संतुष्ट जनक नहीं मानकर उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का आदेश हुआ। 

जिस दिन बैठक हुई, उसी दिन का नोटिस

20 जुलाई को भोपाल में पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक हुई थी। पार्टी की इस बैठक में ही प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह के साथ ही सभी नेता मौजूद थे। इस बैठक में ही उमंग सिंघार और कमलेशवर पटेल ने कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत का मुद्दा उठाया।

इसके बाद जितेंद्र सिंह ने नाराजगी बताई और तत्काल दोनों को पद से हटाने के लिए कहा। उस दिन भोपाल में ही चड्‌ढा और यादव भी थी दोनों ने वहां मौखिक जवाब भी दे दिया था। लेकिन सिंह की नाराजगी बाद नोटिस जारी हुआ और उनकी मंशा अनुसार लेकिन संविधान के परे जाकर नोटिस के साथ निलंबित भी कर दिया गया। 

दोनों ने भेज दिए जवाब

उधर द सूत्र से चर्चा में चड्‌ढा ने कहा कि नोटिस का जवाब दे दिया है और जो भी बात होगी मैं पार्टी फोरम पर ही रखूंगा। जानकारी के अनुसार पहले भी उन्होंने यही स्पष्टीकरण 20 जुलाई को भोपाल में दिया था। वहीं लिखित में भी दिया है कि सामान्य शिष्टाचार के तहत हमने अतिथियों से मुलाकात की।

जानकारी के अनुसार यह भी लिखा है कि हमे लगा कि वह पारिवारिक निमंत्रण के लिए आ रहे हैं। उन्होंने आने का मकसद नहीं बताया था और फोन कर यही कहा कि हम आ रहे हैं, हमारे द्वारा मना भी किया गया, लेकिन वह दस मिनट में दफ्तर आ गए, सामान्य शिष्टाचार के तहत ही हमारे द्वारा व्यवहार किया गया और साथ ही पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान के समय हुए पौधारोपण के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। उनके दिए आमंत्रण को भी स्वीकार नहीं किया गया और हम आयोजन में भी नहीं गए थे। 

उधर दावेदार लग गए दौड़ में

वहीं इस घटनाक्रम के बाद दावेदार दौड़ में लग गए हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल के भाई राधेश्याम पटेल है। वहीं शहराध्यक्ष की दौड़ में अमन बजाज का नाम आगे हैं। हालांकि पूर्व शहराधय्क्ष विनय बाकलीवाल भी फिर सक्रिय हो चुके हैं। 

यह लिखा गया है नोटिस में

  • एक ऐसा व्यक्ति जिसने मां अहिल्या की नगरी में लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की और इंदौर की जनता से उनके मत का अधिकार छीनने का कृत्य करके देश-विदेश में इंदौर को शर्मसार किया, जिसकी निंदा इंदौरवासियों ने भी की।
  • ऐसे व्यक्ति का स्वागत सत्कार इंदौर जिला कांग्रेस कमेटी गांधी भवन में करना अनुशासन हीनता की श्रेणी में आता है। आप सात दिन में अपना स्पष्टीकरण दें, इस अवधि में आपको आपके वर्तमान पद से निलंबित किया जाता है।

नोटिस जारी करने के बाद भी छिपाया गया

यह नोटिस प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजीव सिंह ने 20 जुलाई की तारीख में जारी किया। जब नोटिस मिलने की खबरों पर द सूत्र ने उनसे दिन में दो बार फोन कर पूछा था तब जवाब था कि यह नोटिस जारी नहीं हुआ है। सरासर झूठ बोल रहे थे सिंह, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इस मामले में उलझ रहे हैं।

क्यों उलझ रहे पटवारी इस मामले में 

कारण है कि चड्‌ढा ने पहले ही कहा था कि मंत्री विजयवर्गीय का स्वागत करने के लिए खुद पटवारी ने ही फोन पर निर्देश दिए थे। लेकिन जब प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह के साथ ही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कमलेशवर पटेल ने पॉलिटिकल अफेयर कमेटी ने इस मामले में गहरी नाराजगी जताते हुए लताड़ लगाई तब जाकर दोनों को हाथोंहाथ नोटिस जारी हुए।

पटवारी लगातार इस मामले को दबाने में लगे थे ताकि उन पर कोई आंच नहीं आए। पटवारी पर हाल ही में आर्थिक व व्यापारिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने जमकर आरोप लगाए थे और कहा कि वह सेटिंग की राजनीति करते हैं और खुद में ही मदमस्त है और किसी की सुनने को तैयार नहीं है। उनके कारण कांग्रेस की हालत खराब है। चौरडिया की खरी-खरी पटवारी को चुभ गई और नोटिस देने के बाद जवाब को अमान्य किया और 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।

चौरड़िया ने ली चुटकी- दोनों पद पर हैं या नहीं 

वहीं इस मामले में अजय चौरड़िया ने भी चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि नोटिस 20 जुलाई को कमेटी की बैठक के बाद जारी हो गया था, लेकिन प्रदेश कार्यालय और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ने ही इस मामले में लगातार खंडन किया और नोटिस को छिपाया।

इस पत्र की समयावधि (सात दिन की थी) 27 जुलाई को खत्म हो चुकी है। ऐसे में वर्तमान जिलाध्यक्ष और शहराध्यक्ष कांग्रेस पद खाली है। इस मामले में प्रदेश प्रभारी, निलंबित जिलाध्यक्ष, शहराध्यक्ष और प्रदेश संगठन प्रभारी को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। 

6 अगस्त के महा आंदोलन का क्या होगा?

मप्र कांग्रेंस ने 6 अगस्त के इंदौर में महाआंदोलन की घोषणा की हुई है, जो नगर निगम पर होगा। इसमें खुद जितेंद्र भंवर सिंह के साथ ही जीतू पटवारी व अन्य नेता शामिल हो रहे हैं। इसकी तैयारी अभी चड्‌ढा और यादव ही संभाल रहे हैं और बैठकें ले रहे हैं। फिर इस महाआंदोलन का क्या होगा? यह दोनों पद पर हैं या नहीं? इसकी स्थिति अभी तक प्रदेश कांग्रेस ने साफ नहीं की है।

कांग्रेस की विचारधारा के विपरीत था स्वागत

कांग्रेस प्रदेश के महासचिव राकेश यादव ने इस मुद्दे पर कहा कि निलंबित कब तक रहेंगे यह तो प्रदेश कमेटी ही साफ करेगी। स्वागत वाला घटनाक्रम कांग्रेस की विचारधारा के विपरीत था और इसे लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हुई थी।

 यादव ने कहा कि यह अंदरूनी प्रक्रिया है पार्टी को जो गलत लगता है, उस पर कार्रवाई करती है। रही बात 6 अगस्त के आंदोलन की इस घटना से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नोटिस छिपाने को लेकर यादव ने कहा कि यह सभी पार्टी फोरम पर होता है अंदरूनी प्रक्रिया होती है।

मंत्री के स्वागत पर लगे थे कांग्रेस के फूलछाप होने के आरोप

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मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के स्वागत के बाद से ही कांग्रेस के इंदौर पदाधिकारी निशाने पर रहे हैं।  वरिष्ठ नेता मनोहर रघुवंशी ने कहा का हमारे नेता राहुल गांधी को हमेशा पप्पू कहकर बेइज्जत करन वाले का सम्मान करना बताता है कि यह फूलछाप कांग्रसी हो गए हैं। इस घटना ने सभी कांग्रेसियों के मन को आहत किया है। इसकी शिकायत रघुवंशी ने दिल्ली स्तर पर भी की थी। साथ ही गांधई भवन को गांगाजल से शुद्ध करने की घोषणा की गई थी।

उधर बीजेपी ने बताया सिख समाज पर हमला

वहीं बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व उपाध्यक्ष सुमित मिश्रा ने आरोप लगाए कि  सुरजीत सिंह के बहाने फिर से सिख समाज से बदला ले रही है कांग्रेस। कांग्रेस के इस कार्रवाई में निशाने पर पटवारी और सुरजीत नहीं बल्कि सिख समाज है। उन्होंने कहा कि सिख समाज हमेशा कांग्रेस के निशाने पर रहता है। कांग्रेस सिख समाज से बदला लेने के बहाने ढूंढती है। सुरजीत सिंह चड्ढा के बहाने जीतू पटवारी और प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी राऊ में सिख समाज के वोट ना मिलने की नाराजी निकाल रहे है। उन्होंने कहा कि सौजन्यता के जिस अपराध की सजा सुरजीत चड्ढा को दी जा रही है यदि वो अपराध है तो फिर सबसे पहले तो इसकी सजा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को दी जानी चाहिए। 2015 में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी खुद सौजन्य भेंट के लिए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ताई के घर गई थी। यदि जीतू भाई और राजीव सिंह में साहस है तो उन्हें इस मुलाकात के लिए सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को भी नोटिस देना चाहिए।

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