कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की बीजेपी की शिकायत, बोली- रावत को मंत्री बनाने से हुई लोकतंत्र की हत्या

रामनिवास रावत के मंत्री पद की शपथ लेते ही बखेड़ा शुरू हो गया है। कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के तहत मामला दर्ज किए जाने की मांग की है।

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Pratibha ranaa
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कांग्रेस ने सीएम मोहन यादव को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की है। कांग्रेस का आरोप है कि मोहन सरकार में कांग्रेस विधायक रहे रामनिवास रावत को मंत्री बना दिया है। इसके अलावा अमरवाड़ा से कमलेश शाह को जीतने पर मंत्री बनाने के संदेश दिए हैं। 

कांग्रेस का कहना है कि सीएम मोहन यादव ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने इस तरह से अमरवाड़ा उपचुनाव को प्रभावित करने का काम किया है।

कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप

रामनिवास रावत ने कांग्रेस विधायक के तौर पर मंत्री पद की शपथ ली है। इसके बाद बखेड़ा शुरू हो गया है। कांग्रेस ने मोहन यादव पर आरोप लगाया है कि इस तरह मुख्यमंत्री ने यह संदेश दिया है कि चुनाव के बाद कमलेश शाह को भी मंत्री बनाया जाएगा।

उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस ने सीएम के खिलाफ शिकायत की मांग की है। वहीं इस मामले में बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस के पास शिकायत करने के अलावा कुछ नहीं बचा है। 

रावत के कैबिनेट मंत्री बनने पर भड़के थे पटवारी

सीएम मोहन यादव की कैबिनेट का सोमवार ( 8 जुलाई ) को विस्तार हुआ था। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए विधायक रामनिवास रावत ने सुबह नौ बजे कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी।

वहीं रावत की शपथ के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी और सरकार पर सियासी हमला बोला था। पटवारी के कहा कि कुख्यात बीजेपी ने कांग्रेस विधायक को ही मंत्री पद की शपथ दिला दी। 

यह लोकतंत्र और संविधान का अपमान- जीतू

रामनिवास रावत की शपथ ग्रहण के बाद पटवारी ने एक्ट पर ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने लिखा था- यह स्थापित परंपरा है कि सरकार और विपक्ष अलग होते हैं, लेकिन लोकतंत्र की हत्या व कुर्सी की सौदेबाज़ी के लिए कुख्यात बीजेपी ने कांग्रेस विधायक को ही मंत्री पद की शपथ दिला दी!

यह लोकतंत्र और संविधान का प्रमाणिक अपमान है! जबकि, कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए भी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पर्याप्त आधार एवं प्रमाणिकता के साथ प्रतिवेदन दिया था!

यह कर्ज, क्राइम, करप्शन की सरकार

दुर्भाग्य से उन्होंने भी कर्तव्य-पालन नहीं किया! महामहिम राज्यपाल को भी संविधान/लोकतंत्र की परंपराओं का पालन करना था! क्योंकि, वे दल नहीं, संविधान के आदेश पालन के लिए नियुक्त किए गए हैं! लेकिन, संविधान के शीर्ष पद से भी असहमति दर्ज नहीं की गई! मैं मध्यप्रदेश की जनता को फिर बताना चाहता हूं कि यह कर्ज, क्राइम, करप्शन की सरकार है! यह बार-बार खरीद-फरोख्त और दलबदल की राजनीति का अपराध कर रही है!

pratibha rana

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