संजय गुप्ता@INDORE. मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में कांग्रेस की करारी 29-0 हार के बाद प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari ) अपने ही पार्टी के निशाने पर हैं। पहले से ही मुश्किल में चल रह पटवारी पर अब एक और गाज गिर सकती है, वह है उनके छोटे भाई नाना उर्फ कुलभूषण ( Kulbhushan ) के जिलाबदर की कार्रवाई की।
पुलिस कमिशनर कोर्ट में पेश हो गया केस
जीतू के छोटे भाई नाना उर्फ कुलभूषण पटवारी (36) को जिलाबदर यानी तड़ीपार करने का केस पुलिस कमिशनर राकेश गुप्ता की कोर्ट में लग चुका है। नाना को नोटिस मिल गया है, जिस पर उनके वकीलों ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
हत्या के प्रयास सहित कई केस है नाना पर
नाना पर हत्या का प्रयास के दो व बवाल करने के आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। इस पर पिछले दिनों पुलिस ने नोटिस दिया था। नाना का पहला अपराध 2012 में दर्ज है तो वहीं अंतिम अपराध नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव में मारपीट करने का है। छह मुकदमे बवाल के हैं। शासकीय कार्य में बाधा, छेड़छाड़ के अलावा हत्या के प्रयास के दो मुकदमे दर्ज हैं। दो मुकदमे एससी-एसटी के तहत हैं।
विधानसभा चुनाव में यह हुआ था हंगामा
नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव के दौरान तेजाजी नगर चौराहे पर बीजेपी के पूर्व पार्षद पुष्पेंद्र चौहान का विवाद नाना पटवारी और उनके समर्थकों के साथ हुआ। इसके बाद जमकर मारपीट हुई और विवाद हुआ। दोनों ओर से समर्थक भवंरकुआं थाने पर जमा हो गए। मौके पर बीजेपी प्रत्याशी मधु वर्मा भी पहुंच गए और कांग्रेस के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। उनके साथ ही समर्थक भी थे। इस पर दोनों पक्षकारों पर केस हुआ।
चुनाव के दौरान ही गिरफ्तार हुआ था नाना
वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान 2017 के किसान आंदोलन के केस में वारंटी नाना को गिरफ्तार किया था, वहीं उनके एक और भाई भरत को भी इसी मामले में आरोपी व वारंटी होने के चलते गिरफ्तार किया गया था, बाद में दो दिन में कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
पटवारी भाई के लिए आए आगे, बोले मामले राजनीतिक
भाई के लिए जीतू पटवारी आगे आए हैं। उन्होंने द सूत्र को बताया कि मामला राजनीतिक है। सालों पहले जो किसान आंदोलन हुआ, इसमें कई लोगों पर केस हुए और पुलिस ने फर्जी तरीके से मेरे भाई का नाम भी चार केस में डाल दिया औऱ् इसे आठ साल तक दबाकर रखा। फिर अचानक वारंट जारी किया। दो केस अभी विधानसभा चुनाव के दौरान मामूली राजनीतिक विवाद के हैं, जिसमें दोनों पक्षों पर केस हुए थे। वहीं दो केस राजनीतिक प्रदर्शन चक्काजाम आदि के हैं। जिलाबदर जैसी कार्रवाई आदनत अपराधियों पर बनती है, मेरे भाई पर सभी मामले राजनीतिक आंदोलन, प्रदर्शन से जुड़े हैं ना कि आम व्यक्ति से। पुलिस कमिशनर कोर्ट में केस लगा है, इसमें जवाब देने के लिए 25 दिन का समय मिला है। गलत दर्ज केस में एफआईआर क्वैश करने के लिए भी आवेदन लग रहे हैं।
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