शिवराज, वीडी और भूपेंद्र हाजिर हों... अब कोर्ट नहीं गए जारी होगा वारंट

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2023 के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर विभिन्न मुद्दों पर बयानबाजी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया के पालन न होने के कारण चुनाव की प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी।

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Neel Tiwari
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कांग्रेस नेता विवेक तन्खा द्वारा दायर की गई मानहानि के मामले में बीजेपी नेताओं की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह मुश्किलें के खिलाफ मानहानि का दावा किया था।

2023 पंचायत चुनाव से जुड़ा हुआ है मामला

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव 2023 के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर विभिन्न मुद्दों पर बयानबाजी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया के पालन न होने के कारण चुनाव की प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी। इस फैसले के पीछे विवेक तन्खा की ओर से दायर याचिका का जिक्र करते हुए बीजेपी नेताओं ने उन पर आरोप लगाए कि उनके द्वारा दाखिल याचिका के कारण ही ओबीसी आरक्षण बाधित हुआ, जिससे पंचायत चुनाव पर रोक लगी। जिसके बाद आरोप के अनुसार बीजेपी नेताओं ने लगातार यह बयान दिया कि विवेक तन्खा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के चलते ही ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनाव पर रोक लगाने का कारण बना। इस घटनाक्रम को लेकर तन्खा ने मानहानि का परिवाद दायर करते हुए यह आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने जानबूझकर उनका नाम लेकर जनता को गुमराह किया और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई।

विवेक की ओर से कपिल ने रखा था पक्ष

इस मामले की पिछली सुनवाई में विवेक तन्खा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पेश होकर तन्खा के पक्ष में दलीलें दी थीं। सिब्बल ने कहा कि तन्खा की याचिका को गलत तरीके से प्रचारित किया गया, जिससे उनकी साख पर चोट पहुंची। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं समाज के लिए खतरा हैं, क्योंकि प्रोफेशनल की छवि खराब होने से जनहित में कार्य करने वाले लोगों का हौसला टूट सकता है।

बीजेपी नेताओं की चुप्पी और कानूनी कार्रवाई

तन्खा द्वारा नोटिस जारी किए जाने और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए स्पष्टीकरण मांगने के बावजूद भाजपा नेताओं ने जवाब नहीं दिया। इससे तन्खा ने मानहानि का मामला दायर कर, 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को पेश होने का आदेश दिया है, और अनुपस्थिति की हालात में वारंट जारी करने का संकेत दिया है। यह मामला मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, खासकर जब प्रदेश में  उपचुनाव समीप हैं। अब ऐसे में प्रचार में जुटे नेताओं के लिए कोर्ट का यह आदेश मुसीबत खड़ी कर सकता है।

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