उपभोक्ता फोरम का फैसला : मरीज के इलाज में लापरवाही, अब अस्पताल और बीमा कंपनी देंगी 3.41 लाख

मध्य प्रदेश के रहने वाले एक परिवार ने भोपाल के अस्पताल पर करीब आठ हजार के बदले 62 हजार 21 रुपए का बिल भरवाने का आरोप लगाया था, जिस पर हाल ही में उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला सुनाया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला

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Dolly patil
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अस्पताल पर मरीज के इलाज में लापरवाही करने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने फैसला ( Consumer Forum's decision ) सुनाया है। इसी के साथ इलाज में खर्च हुए रुपए को बीमा कंपनी द्वारा न दिए जाने पर दोनों विपक्षियों को जिम्मेदार भी माना है।

जानकारी के मुताबिक फोरम ने मेयो अस्पताल ( Mayo Hospital ) और दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ( The Oriental Insurance Company ) पर 3 लाख 41 हजार 490 रुपए का हर्जाना लगाया है। 

क्या है पूरा मामला 

दरअसल, परिवादी ( complainant ) की पत्नी का 24 नवंबर 2010 से गर्भवती होने के कारण मेयो अस्पताल में 8 सितंबर 2011 तक इलाज चला था। जिसके बाद उनको 9 सितंबर को सिजेरियन ऑपरेशन के चलते भर्ती करवाया गया था। बच्चे को जन्म देने के बाद परिवादी की पत्नी को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

मरीज को अगले दिन उल्टी होने पर डिस्चार्ज पेपर बनाने के बाद दोबारा उसी अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया। साथ ही परिवादी को बताया गया कि मरीज को मल्टी ऑर्गन फेल्योर हुआ है। इसके बाद मरीज को एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया गया और दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया। मरीज का डायलिसिस भी किया गया।

इसके बाद भी हालत नहीं सुधरने पर परिवादी ने पत्नी को बीएमएचआरसी में भर्ती करने का फैसला लिया गया।

2.39 लाख रुपए हुए बीएमएचआरसी में खर्च 

 परिवादी का कहना है कि मेयो अस्पताल की लापरवाही के चलते परिवादी को 2 लाख 39 हजार 896 रुपए बीएमएचआरसी ( Bhopal Memorial Hospital ) में खर्च करने पड़े।

इसके अलावा वह केंद्र शासन का कर्मचारी है। इसके चलते उसको  और उसके परिवार के सदस्यों को सीजीएचएस ( Central Government Health Scheme ) के तहत मान्य संस्थानों में इलाज करवा सकता है।

इस स्कीम के तहत परिवादी की पत्नी का ऑपरेशन 8 हजार 110 रुपए तय हुआ था। लेकिन, डिस्चार्ज के समय  उससे 62 हजार 21 रुपए का बिल भरवाया गया। 

फोरम का क्या कहना 

 फोरम का कहना है कि मेयो अस्पताल द्वारा मरीज का अस्पताल में स्कीम की तहत 8 हजार 110 रुपए में ऑपरेशन तय हुआ था। लेकिन, अस्पताल द्वारा मरीज को प्राइवेट वार्ड से डिस्चार्ज करने के बाद दोबारा  आईसीयू में भर्ती करवाया गया।

जिससे अलग से खर्चा वसूला जा सके। डॉक्टर इस पूरी प्रक्रिया को साबित करने में विफल रहे हैं। इसी के साथ फोरम का कहना है कि बीएमएचआरसी में परिवादी के खर्च हुए पैसों  के लिए भी विपक्षी अस्पताल ही जिम्मेदार है।

फोरम ने मेयो अस्पताल और बीमा कंपनी के तर्कों को खारिज करते हुए परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया है।  

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