ठेकेदार पीडी अग्रवाल और जगन्नाथ नारायण ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने खेला जमीन का खेल

पीडी अग्रवाल और ट्रस्ट के ट्रस्टियों बेनीमाधव अग्रवाल, शैलेंद्र अग्रवाल, रमाकांत अग्रवाल, उमेश अग्रवाल और पंकज अग्रवाल ने पीडी अग्रवाल की कंपनी के साथ इसी जमीन पर मल्टी तानने की...

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संजय गुप्ता @ INDORE

मध्य प्रदेश के जाने- माने ठेकेदार पीडी (प्रभुदयाल) अग्रवाल और पब्लिक ट्रस्ट जगन्नाथ नारायण धर्मादा के ट्रस्टी, जमीन का बड़ा खेल खेलने में जुटे हैं। इस खेल को नगर निगम ने मंजूर भी कर लिया, लेकिन मामला रेरा ( RERA ) में बिगड़ गया। मामला जेल रोड स्थित 19 हजार 995 वर्गफीट जमीन का है। जगन्नाथ नारायण धर्मादा ट्रस्ट की इस जमीन का बाजार मूल्य करीब 14 करोड़ रुपए है। 

यह है जमीन का पूरा खेल

देवी अहिल्या मार्ग इंदौर, चिमनबाग चौराहे से भंडारी मिल चौराहे के बीच ट्रस्ट की 19 हजार 995 वर्गफीट जमीन है। इसका ब्लाक नंबर 176 था जोकि अब 126ए हो गया है। पीडी अग्रवाल और ट्रस्ट के ट्रस्टियों बेनीमाधव अग्रवाल, शैलेंद्र अग्रवाल, रमाकांत अग्रवाल, उमेश अग्रवाल और पंकज अग्रवाल ने पीडी अग्रवाल की कंपनी के साथ इसी जमीन पर मल्टी तानने की रेशो डील की। बता दें कि कंपनी में पीडी अग्रवाल के साथ प्रेमलता अग्रवाल और महेंद्र अग्रवाल भी डायरेक्टर हैं। इस रेशो डील में पीडी अग्रवाल की कंपनी का हिस्सा 55 फीसदी और ट्रस्टियों का 45 फीसदी हिस्सा रखा गया। इसे जून 2021 में पंजीयन विभाग में रजिस्टर्ड भी करा लिया। इसी एग्रीमेंट के आधार पर जून 2023 में यहां आवासीय नक्शा पास कराया गया। जबकि रेशो डील में यहां पर आवासीय सह वाणिज्यिक उपयोग का नक्शा बताया गया है। यह पूरा खेल करीब 30 करोड़ रुपए का था।

इस तरह बिगड़ा रेरा में मामला

  • जब रेरा के पास मंजूरी के लिए पीडी अग्रवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी की ओर से यह आवेदन लगा। इस आवेदन में प्रोजेक्ट का नाम जगन्नाथ नारायण द प्राइड बताया गया। साथ ही भू- स्वामी के तौर पर पंकज अग्रवाल का शपथपत्र लगा। 

    जब रेरा ने ट्रस्टियों से ट्रस्ट के नियम, उपनियम और अन्य जानकारी मांगी तो कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाया गया।
  • इसके साथ ही रेरा ने पूछा कि ट्रस्ट के नियम के हिसाब से अच्छी कीमत मिलने पर संपत्ति बेच सकते हैं, लेकिन इसके एवज में दूसरी संपत्ति लेना होगी। लेकिन इस आवेदन में बदले में नई संपत्ति लेने की कोई जानकारी ही ट्रस्टियों ने नहीं दी।
  • ट्रस्ट को लीज पर संपत्ति मिली थी। इसका स्वामित्व अंतरण किस तरह हुआ, इसके भी दस्तावेज नहीं दिए गए।
  • रेरा ने यह भी पाया कि नवंबर 1945 में मूल ट्रस्ट बना। मंशा चैरिटी की थी, लेकिन इस काम से किसी भी तरह चैरिटी वाला काम पूरा होता नहीं दिख रहा है।
  • इस कारण रेरा अध्यक्ष एपी श्रीवास्तव और सदस्य सुरेंद्र सिंह राजपूत ने इस आवेदन को खारिज कर दिया। 

रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट की मंजूरी कहां है?

रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट में रजिस्टर्ड ट्रस्ट को अपनी संपत्ति बेचने के लिए रजिस्ट्रार यानि संबंधित क्षेत्र के एसडीएम से मंजूरी लेना होती है। रेशो डील के जून 2021 के एग्रीमेंट ट्रस्टियों का कहना है कि उन्हें प्रकरण क्रमांक 0002/बी-113/2019-20 में पारित आदेश 14 अक्टूबर 2019 के तहत रेशो डील के माध्यम से इसे विकसित और निर्माण कर बेचने की मंजूरी जारी हुई है। लेकिन द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से इस ट्रस्ट ने 1993 में एक मंजूरी ली थी, जो तीन साल के लिए ही वैध थी। इसमें भी शर्त थी कि ट्रस्ट अपने उद्देश्यों को कायम रखते हुए ही संपत्ति विक्रय करेगा। इससे मिली राशि का उपयोग केवल ट्रस्ट की आय बढ़ाने के लिए होगा, अन्य कोई उपयोग नहीं हो सकेगा। लेकिन इसके बाद किसी मंजूरी की जानकारी आगे दी गई है? यह भी एक जांच का विषय है, क्योंकि इसके दस्तावेज फिलहाल कलेक्टोरेट में नहीं मिले हैं। 

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