RSS विचारकों की किताबें पढ़ाने पर बोले सीएम मोहन यादव- मन करे तो पढ़ो, नहीं तो...

RSS के विचारकों की पुस्तकें पढ़ाने को लेकर उठ रहे विवाद का जवाब देते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि कॉलेज के वाचनालय और ग्रंथालयों में सिर्फ आरएसएस ही नहीं, बल्कि सभी विचारकों की पुस्तकें रखी जाएंगी। पुस्तकालय में पुस्तकें न रखें तो क्या करें?

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Deeksha Nandini Mehra
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Controversy over teaching RSS leaders books cm mohan yadav
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Controversy Over Teaching RSS Leaders Books : 55 जिलों में बनाए गए पीएम एक्सीलेंस कॉलेजों में हमने लाइब्रेरी बनाई हैं। विचारवान लेखकों की लिखी पुस्तकें भी लाइब्रेरी में रखी जाएंगी। लाइब्रेरी में पुस्तकें न रखें तो क्या करें? चाहे वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हों या कोई अन्य हों। आपकी इच्छा हो तो पढ़ो और नहीं इच्छा है तो मत पढ़ो। यह बात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Dr. Mohan Yadav) ने भोपाल के सप्रे संग्रहालय (Bhopal Sapre Museum) में भारतीय भाषा महोत्सव कार्यक्रम में कही।

कांग्रेस नेताओं का विरोध 

दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारकों की पुस्तकें कॉलेजों की लाइब्रेरी में रखे जाने का फैसला राज्य सरकार ने किया है। बीजेपी सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। RSS के विचारकों की पुस्तकें पढ़ाने को लेकर दोनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं के बीच बयानबाजी जारी है।

अभी पाठ्यक्रम का कोर्स बना नहीं

इस विवाद का जवाब देते हुए सीएम यादव ने कहा कि कॉलेज के वाचनालय और ग्रंथालयों में सिर्फ आरएसएस ही नहीं, बल्कि सभी विचारकों की पुस्तकें रखी जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि अभी पाठ्यक्रम का कोर्स बना नहीं है। अभी वो कोर्स बनना बाकी है। उसकी अपनी कमेटी है, उसका अध्ययन मंडल फाइनल करेगा।

हम अपने मूल विचार को नहीं भूले 

सीएम यादव ने कहा कि हमारे यहां ऐसा माना जाता है कि ज्ञान दसों दिशाओं से आना चाहिए। ज्ञान का प्रवाह कभी नहीं रुकना चाहिए, भारत की विशेषता भी यही है। भारत के आगे बढ़ने का कारण भी यही है। हमारे यहां कहा गया है कि सर्वे भवंतु सुखिन: इसलिए हम तो सभी के लिए सोचकर चलने वाले हैं। दसों दिशाओं से जो विचार आते हैं, उसमें से हम अपने मूल विचार को भूले नहीं हैं। 

सरकार भारतीय परंपरा के बारे में पढ़ाएगी तो दिक्कत क्या है?  

इससे पहले मध्य प्रदेश के पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी (Tourism Minister Dharmendra Lodhi) ने कहा था कि आरएसएस (RSS) के नाम से कांग्रेस (Congress) की छाती पर सांप लोटने लगते हैं। वामपंथी इतिहासकारों के साथ मिलकर कांग्रेस ने अपने हिसाब से शिक्षा दी। नई शिक्षा नीति (New education policy) के जरिए हमारी सरकार भारतीय परंपरा के बारे में पढ़ाएगी तो दिक्कत क्या है?  

आरएसएस के विचारकों की किताबें नहीं होंगी पाठ्यक्रम का हिस्सा

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के लिए पुस्तकें खरीदी जानी है। ये किताबें पाठ्यक्रम का हिस्सा न होकर छात्रों की पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी में रखी जाएंगी। इनमें से कुछ किताबों के लेखक आरएसएस विचारक भी हैं। मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग (MP Higher Education Department) के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. धीरेंद्र शुक्ला (Dr. Dhirendra Shukla) ने सरकारी और प्राइवेट सभी कॉलेजों के प्राचार्यों को 88 पुस्तकों का सेट खरीदने का निर्देश दिया है। 

लाइब्रेरी में इन नेताओं की पुस्तकें होगी शामिल 

इन पुस्तकों में प्रमुख आरएसएस नेताओं जैसे सुरेश सोनी, दीनानाथ बत्रा, अतुल कोठारी, देवेन्द्र राव देशमुख और संदीप वासलेकर की किताबें शामिल हैं। सभी लेखक आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती से जुड़े हैं। विभाग ने कॉलेजों को यह जल्द से जल्द इन किताबों को खरीदने के लिए कहा है। 

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