मध्यप्रदेश में गुरुवार को एक और कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई है। इस साल अब तक कोविड से एमपी में 6 मौत हो चुकी हैं।मृतक महिला पहले से ही कई बीमारियों से जूझ रही थी।। हालत लगातार बिगड़ती गई और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। गौर करने वाली बात यह है कि इस साल अभी तक कोविड से 6 महिलाओं की मौत हुई है।
इससे पहले 5 महिलाएं कोरोना से तोड़ चुकी हैं दम
भिंड: 52 वर्षीय महिला, फेफड़ों में सूजन, 23 जून को ग्वालियर में मौत।
रतलाम: टीबी और ब्रोंकाइटिस से पीड़ित महिला की 11 जून को इंदौर में मौत।
खरगोन: हाल ही में प्रसव के बाद 6 जून को एमआरटीबी अस्पताल में मृत्यु।
इंदौर: किडनी रोगी 74 वर्षीय महिला की 27 अप्रैल को मृत्यु।
मंडला: गर्भवती महिला की जबलपुर में इलाज के दौरान मौत।
एमपी कोविड बुलेटिन
राज्य में एक्टिव केस कम हो रहे हैं। प्रदेश में इस साल अबतक कुल केस 290 केस सामने आए। जिसमें से एक्टिव केस 59 बचे हैं। वहीं 225 रिकवर हो चुके हैं। इनमें से 6 लोगों ने दम तोड़ दिया। मरने वालों में सभी महिलाएं शामिल हैं।
एमपी में कोरोना का नया वेरिएंट XFG सक्रिय
एम्स भोपाल द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में मध्यप्रदेश में XFG वेरिएंट सक्रिय है। जून के तीसरे सप्ताह में जितने भी मरीज मिले हैं, उन सभी में इसी वेरिएंट की पुष्टि हुई है। इससे पहले मई में LF.7 वेरिएंट सक्रिय था।
44 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग में 28 XFG संक्रमित
एम्स भोपाल ने कुल 44 सैंपलों की जीनोमिक अनुक्रमण की जिसमें भोपाल से 14 सैंपल, ग्वालियर से 22 सैंपल, टीकमगढ़ से 2 सैंपल, इंदौर, खरगोन, छिंदवाड़ा, ललितपुर, सीधी, गया से 1-1 सैंपल लिए गए। इनमें से 28 सैंपल (63.6%) में XFG वेरिएंट की पुष्टि हुई। वहीं 5 मरीजों में XFG का उप-वेरिएंट XFG.3 भी मिला। NB.1 (निंबस) वेरिएंट किसी भी सैंपल में नहीं मिला।
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अब सिर्फ XFG वेरिएंट ही है सक्रिय
रिपोर्ट के मुताबिक, XFG वेरिएंट मई के अंतिम सप्ताह में सामने आया था और जून के तीसरे सप्ताह तक यह पूरी तरह सक्रिय हो गया। वहीं LF.7 वेरिएंट अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है। यह संक्रमण की रफ्तार पर नए सिरे से चिंता का विषय बन गया है।
वैक्सीनेटेड लोग भी आ रहे संक्रमित
XFG और LF.7 वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन हैं जो वैक्सीनेटेड लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि, इन संक्रमितों में लक्षण काफी हल्के देखे गए हैं और कई मामलों में तो मरीजों को कोई लक्षण महसूस ही नहीं हुए। इसी कारण WHO ने इन्हें Variant of Concern की बजाय Variant Under Monitoring की श्रेणी में रखा है।
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हर वेरिएंट पर बारीकी से रखी जा रही नजर
एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने कहा कि उनकी वायरोलॉजी लैब लगातार नए वेरिएंट्स की पहचान में सक्रिय है। यह केवल एक शोध कार्य नहीं, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य रणनीति का एक अहम हिस्सा है।
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