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मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और अभद्रता की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामला मैहर जिले से सामने आया है। जहां भाजपा के पार्षद के पति द्वारा ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारा गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सक्रिय कर दिया है, बल्कि राज्य में विपक्ष को भी आक्रामक बना दिया है।
घटना का विवरण
घटना मैहर के वार्ड 12 की है, जहां पार्षद अरुण चौरसिया का पति, नशे में धुत होकर मूर्ति विसर्जन के दौरान सरेआम पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी और मारपीट करता नजर आया। आरोपी अरुण चौरसिया पर आरोप है कि उसने आरक्षक गुड्डू यादव को थप्पड़ मारा, जब पुलिसकर्मी ने उसे रिक्शा हटाने का निर्देश दिया था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया।
आरोपी की गिरफ्तारी और जुलूस
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। मैहर के सीएसपी राजीव पाठक के अनुसार, "कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और सार्वजनिक तौर पर उसका जुलूस निकाला गया।" पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि आरोपी को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़े और किसी भी प्रकार की राजनैतिक या सामाजिक दबाव से बचा जाए।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का बयान
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है। सरकार की कार्यशैली पार्टी को देखकर बदल जाती है। जब सत्ताधारी दल से जुड़े लोग कानून तोड़ते हैं, तो कार्रवाई ढीली होती है। विपक्ष के लोग होते तो अब तक सख्त सजा मिल चुकी होती।"
बढ़ते पुलिसकर्मियों पर हमले
हाल के दिनों में मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। चाहे वह स्थानीय नेताओं के समर्थक हों या आम जनता, पुलिस बल के साथ की जा रही अभद्रता पर लगाम कसने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने का वादा किया है, लेकिन क्या यह कार्रवाई भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में सक्षम होगी, यह देखना बाकी है।
समाज का संदेश
इस घटना ने समाज में एक संदेश छोड़ा है कि कानून और व्यवस्था का सम्मान सभी के लिए समान होना चाहिए। अगर ऐसे अपराधियों को तुरंत और सख्त सजा नहीं दी गई, तो इससे कानून व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कमजोर हो सकता है। वहीं, सरकार को भी ऐसे मामलों में निष्पक्षता दिखानी होगी ताकि राजनीतिक संरक्षण का आरोप न लगे और अपराधियों के खिलाफ समान रूप से कानून का पालन हो। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बना हुआ है, और देखना यह है कि सरकार इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है।
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