INDORE. मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर को स्वच्छ के साथ सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम फैसला किया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ( Mayor Pushyamitra Bhargava ) द्वारा पहली एमआईसी बैठक में सामुदायिक निगरानी सिस्टम का प्रस्ताव पास किया था, जो नियम बनने के लिए भोपाल गया था। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसे अहम मानते हुए लागू करने के आदेश दिए है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस नीति को मंजूरी देते हुए गजट नोटिफिकेशन कर नियम जारी कर दिए हैं। अब शहर भर में 56 हजार से ज्यादा सीसीटीवी जनभागीदारी से लगेंगे। इनकी फीड आईसीसीसी में लिंक होगी, जिससे शहर सुरक्षित बनेगा।
क्या है अहम इस नीति में
1. इस सामुदायिक निगरानी कैमरा प्रणाली के तहत अब पूरे शहर में 56 हजार से ज्यादा सीसीटीवी लगेंगे। नगर निगम मोटे तौर पर पहले ही 13 हजार 170 ऐसे स्थलों को चिन्हित कर चुका है। अभी और भी इसमें चिन्हित होंगे।
2. शहर में 1500 वर्गफीट और इससे अधिक एरिया वाले व्यवासायिक संस्थान में स़ड़क की ओर मुंह करते हुए कैमरे लगाने होंगे, पार्किग में भी कैमरे होंगे। ताकि आने-जाने वालों का रिकार्ड रखा जा सके।
3. ऐसे सभी स्थल है जहां एक समय में सौ या अधिक लोग आते-जाते हो।
4. वाणिज्यिक, धार्मिक, अस्पताल, शैक्षणिक, खेल परिसर, सभागार, मनोरंजन स्थल, होटल, बैंक, कन्वेंशन सेंटर, सार्वजनिक स्थल जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन ये सभी शामिल है।
5. साथ ही आवासीय बस्ती, रहवासी सोसायटी, गेट युक्त कॉलोनी सभी में प्रवेश और निर्गम स्थल पर कैमरे लगाने होंगे।
6. इसके साथ ही सभी सभाएं व आयोजन जिसमें एक हजार और इससे अधिक आने की संभावना हो उनमें भी सीसीटीवी लगाने अनिवार्य होंगे।
7-सभी को कम से कम 30 दिन तक की रिकार्डिंग सेव करनी होगी।
8- इनका उपयोग केवल सक्षम अधिकारी ही जांच करेगा, मुख्य तौर पर पुलिस द्वारा किसी घटना की जांच के लिए। इसमें गोपनीयता रहेगी और हर कोई रिकार्डिंग नहीं ले सकेगा।
नगर निगम द्वारा लिस्टेड किया जाएगा
इस नीति के तहत कौन सीसीटीवी लगाएगा, इंटरनेट फीड के लिए काम करेगा इन सभी बातों के लिए निगम द्वारा आवेदन लेकर उन्हें लिस्टेड किया जाएगा। साथ ही मास्टर सिस्टम इंटीगेटर को वह नियुक्त करेगा, जो इन सभी लोगों को समय-समय पर ट्रेनिंग देने जैसे काम करेगा। यह लिस्टेड में से किसी से भी रहवासी सीसीटीवी लगवा सकेंगे और मेंटनेंस करा सकेंगे, वह खुद स्वतंत्र होंगे।
दूसरे शहरों ने 1500 करोड़ किए खर्च
तेलगांना के हैदराबाद में यह सिस्टम सरकार ने 1500 करोड़ रुपए खर्च करके लगाया तो दिल्ली में 750 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन इंदौर में यह खर्चा पांच-छह करोड़ में ही पूरा होने की बात कही जा रही है।
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