MP High Court के फैसले में टाइपिंग एरर से गलत आरोपी को मिली जमानत, बाद में आदेश लिया वापस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें हाईकोर्ट के जमानत आदेश में टाइपिंग की गलती हुई। इसके परिणामस्वरूप एक आरोपी को जमानत मिल गई, जबकि दूसरे की जमानत खारिज कर दी गई। बाद में कोर्ट ने अपना आदेश रद्द कर नया आदेश जारी किया।

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Manya Jain
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मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें हाईकोर्ट के जमानत आदेश में अनोखी गलती हो गई। यह गलती कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश में टाइपिंग एरर की वजह से हुई, जिसके कारण एक आरोपी को जमानत मिल गई और दूसरे की जमानत खारिज कर दी गई। जब यह मामला सामने आया, तो कोर्ट ने तुरंत अपने पहले आदेश को रद्द कर नया आदेश जारी किया।

📝 टाइपिंग मिस्टेक की वजह से हुआ गोलमाल

7 अगस्त 2025 को ग्वालियर हाईकोर्ट में हल्के आदिवासी की जमानत पर सुनवाई हो रही थी। 8 अगस्त को सुबह करीब 10:45 बजे कोर्ट ने हल्के आदिवासी को जमानत देने का आदेश पारित किया और इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया।

लेकिन शाम को 6:30 बजे एक और आदेश अपलोड हुआ, जिसमें बताया गया कि टाइपिंग मिस्टेक के कारण आदेश में गलती हो गई थी। आदेश में हल्के आदिवासी का नाम आ गया था, जबकि जमानत देने की बात किसी और आरोपी की हो रही थी।

⚠️ जमानत आदेश में हुआ उल्टा फैसला

कोर्ट के दूसरे आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि जिसे जमानत नहीं मिलनी थी, उसे जमानत मिल गई और जिस आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए थी, उसकी अर्जी खारिज कर दी गई। इससे पहले की रिहाई का आदेश जेल तक पहुंच चुका था, लेकिन कोर्ट की तत्परता के कारण इसे रद्द कर दिया गया और रिहाई रुक गई।

🏛️ नया आदेश और अगली सुनवाई

कोर्ट ने तुरंत ही पहले आदेश को निरस्त कर दिया और 11 अगस्त 2025 को इस मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, कोर्ट के आदेश में इस तरह की गलतियां गंभीर मानी जाती हैं क्योंकि यह न्याय व्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।

🔍 मामला क्या है?

यह मामला 5 जुलाई 2024 का है, जब विदिशा जिले के त्यौंदा थाना इलाके में हत्या की वारदात हुई थी। प्रकाश पाल नामक व्यक्ति की हत्या हल्के आदिवासी और धर्मेंद्र आदिवासी द्वारा की गई थी। हत्या में शामिल दोनों आरोपियों ने ग्वालियर हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद हल्के आदिवासी को जमानत मिल गई थी, जबकि धर्मेंद्र की याचिका खारिज कर दी गई थी।

📅 अगली सुनवाई की प्रतीक्षा

अब इस मामले की सुनवाई 11 अगस्त 2025 को होगी, जिसमें न्यायालय द्वारा सही निर्णय की उम्मीद जताई जा रही है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे न्यायपालिका में एक मामूली सी टाइपिंग मिस्टेक भी बड़ा मुद्दा बन सकती है और किस तरह कोर्ट इसे सुधारने के लिए तत्पर रहता है। 

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