साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने हर जिले में एक साइबर पुलिस स्टेशन ( cyber police station ) और हर थाने में एक साइबर हेल्प डेस्क ( cyber help desk ) बनाने का निर्णय लिया है। दरअसल पिछले साल इस प्रस्ताव पर विचार किया गया था, लेकिन बजट की कमी के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका।
प्रदेश में फिलहाल एकमात्र साइबर थाना
अब साइबर पुलिस स्टेशनों और हेल्प डेस्क की स्थापना की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। राज्य साइबर मुख्यालय ने इसके लिए शासन से बजट की मांग की है। वर्तमान में प्रदेश में केवल भोपाल में ही एक साइबर थाना है। अन्य जिलों में साइबर अपराधों को क्राइम ब्रांच या अन्य थानों के माध्यम से दर्ज किया जाता है।
साइबर हेल्प डेस्क का निर्माण
इसी के साथ पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक साइबर हेल्प डेस्क में एक प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात किया जाएगा, जो साइबर अपराध की जांच और शिकायतों की सुनवाई करेगा। यदि आवश्यक हुआ तो यह पुलिसकर्मी शिकायतों को साइबर थाने में भेजेगा।
साइबर अपराध की शिकायतों में वृद्धि
जानकारी के मुताबिक पिछले पांच सालों में साइबर अपराध की शिकायतें पांच हजार से बढ़कर तीन लाख के पार पहुंच गई हैं। इसी के साथ इस साल भी जनवरी से अब तक साइबर अपराध के जरिए 250 करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है।
इन अपराधों में विदेशों में बैठे अपराधी भी शामिल हैं। साइबर थाने की स्थापना से कानून प्रवर्तन में दक्षता आएगी और अपराध की जांच और कोर्ट में आरोप पत्र पेश करने की प्रक्रियाएं समय पर और प्रभावी ढंग से पूरी की जा सकेंगी।
हर जिले में साइबर थाने की जरूरत
साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए प्रत्येक जिले में एक साइबर थाना बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हालांकि अब इस उद्देश्य के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
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