DAVV 45 करोड़ के घाटे में बनाएंगे 153 करोड़ के भवन, तोड़ेंगे FD, IDA को बिना MOU ही 25 करोड़ केवल टेंडर जारी करने के लिए देंगे

कुलगुरु डॉ. रेणु जैन का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि जाने से पहले अभी तक का सबसे बड़ा निर्माण करवाया जाए, इसके लिए नए भवन बनना है और यह काम आईडीए द्वारा 153 करोड़ में करवाना है।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
एडिट
New Update
कुलगुरू का 153 करोड़ी ड्रीम
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV ) में कुलगुरु डॉ. रेणु जैन के कार्यकाल समाप्ति की उलटी गिनती शुरू हो गई है, लेकिन जाते-जाते वह यूनिवर्सिटी के आर्थिक भंवर में उलझाने जा रही हैं। वह भी यूनिवर्सिटी की वित्तीय हालत के साथ ही नियमों को दरकिनार कर। यह खेल 10- 20 करोड़ का नहीं बल्कि, पूरे 153 करोड़ का है।  

क्या है 153 करोड़ का खेल

कुलगुरू का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि जाने से पहले अभी तक का सबसे बड़ा निर्माण काम करवाया जाए, इसके लिए नए भवन बनना है और यह काम आईडीए द्वारा 153 करोड़ में करवाना है।

लेकिन मजे की बात यह है कि अभी तक आईडीए से यूनिवर्सिटी का एमओयू यानी औपचारिक करार ही नहीं हुआ है और इसके बिना ही यूनविर्सिटी की एफडी को तोड़कर आईडीए को 25 करोड़ देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए कुलगुरू ने सभी को आदेश देकर दबाव बनाया है कि राशि किसी भी हाल में जारी की जाए।

केवल टेंडर के लिए ही 25 करोड़ मांगे

आईडीए इन काम के लिए सभी अखबारों में टेंडर के लिए सूचना जारी करेगा और इसी सूचना जारी करने मात्र के लिए एक-दो करोड़ नहीं पूरे 25 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने सभी सेल्फ फायनेंस विभागों के पास जमा राशि का हिसाब बनवाकर उनकी एफडी तोडकर यह राशि जारी करने के लिए बोल दिया है। वह भी बिना किसी एमओयू के ही। 12 जून की ईसी में आईडीए को 25 करोड़ देने की मंजूरी भी ले ली गई है। 

सेल्फ फायनेंस के इन विभागों पर 85 करोड़ का भार

इस पूरे प्रोजेक्ट से सेल्फ फायनसें के करीब 85 करोड़ का वित्तीय भार आना है। इसमें सबसे ज्यादा भार आईआईपीएस पर आएगा।

  • आईआईपीएस पर भार- 31.06 करोड़
  • अर्थशास्त्र विभाग पर- 8.29 करोड़ का भार
  • विधि अध्ययनशाला पर- 19.07 करोड़ का भार
  • सोशल साइंस पर- 10.95 करोड़ का भार
  • कल्चर सेंटर पर भार- 2.58 करोड़ का भार
    (जीएसटी 12.96 करोड़ भी लगेगा, कुल भार 84.89 करोड़) 

इसके लिए इन विभागों की एफडी तोड़ेंगे

इसके लिए इन विभागों की एफडी को तोड़ा जाएगा। अभी आईआईपीएस के पास सबसे ज्यादा 57.57 करोड़ की राशि है। वहीं अर्थशास्त्र विभाग के पास 4.58 करोड़, विधि के पास 10.26 करोड़, सोसल साइंस के पास 5.78 करोड़ और कल्चर सेंटर के पास 7.94 करोड़ है। यानी इस प्रोजेक्ट के बाद कई विभाग घाटे में चले जाएंगे और उनकी जमा पूंजी खत्म हो जाएगी। 

अभी 25 करोड़ यह विभाग देंगे

अभी 25 करोड़ की व्यवस्था के लिए इन विभागों में से आईआईपीएस से 9 करोड़, अर्थशास्त्र और सोशल साइंस से दो-दो करोड़, विधि से पांच करो और कल्चर सेंटर से 80 लाख रुपए मांगे गए हैं। 

अब यूनिवर्सिटी की माली हालत देख लेते हैं- 231 करोड़ हैं एफडी में

यूनिवर्सिटी के पास छात्रों से ली जाने वाली फीस के चलते अभी 231 करोड़ रुपए फिक्सड डिपाजिट (एफडी) में मौजूद है। लेकिन अब वह वित्तीय घाटे को इस एफडी को तोड़कर पूरा कर रही है और साथ ही सबसे बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट 153 करोड़ के लिए भी इसी एफडी को तोड़कर ही व्यवस्था करने के आदेश हो गए हैं।

वित्तीय साल 2023-24 में 35.58 करोड़ के घाटे का अनुमान था। हालांकि यूनिवर्सिटी ने खुद ही पीठ थपथपाई है कि कठोर वित्तीय निंयत्रण कर उन्होंने यह घाटा 15.32 करोड़ रुपए पर रोक लिया। लेकिन अब अगले वित्तीय साल 2024-25 में यह वित्तीय घाटा 45.27 करोड़ रुपए का होगा। यूनिवर्सिटी का कागजों पर कहना है कि मप्र शासन से 20 सालों से मिलने वाली अनुदान राशि में खास बढोतरी नहीं हुई। इस बार 7.50 करोड़ रुपए मिलने की मंजूरी हुई लेकिन मिली नहीं है। इस कारण वित्त की समस्या है। 

क्या होगा इसका असर

सीधा असर होगा आने वाले दिनों में छात्रों की फीस बढ़ोतरी के रूप में। सेल्फ फायनेंस के कई विभाग इस प्रोजेक्ट के कारण घाटे में जाएंगे और इसके बदले में अपने कर्मचारियों के वेतन व अन्य खर्चों की व्यवस्था के लिए उनके पास आने वाले दिनों में फीस बढ़ाने के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा। यानी सीधा असर छात्रों पर ही होना है। 

क्यों कुलगुरू यह कर रही हैं?

कुलगुरू डॉ. जैन का कार्यकाल कोई खास उपलब्धि भरा नहीं रहा है, हाल के समय में तो वह और भी विवादित हुआ है, चाहे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को लेकर की गई टिप्पणी हो, हाईकोर्ट स्टे के बाद भी सेल्फ फायनेंस शिक्षकों की पदोन्नति वाला मामला हो या फिर रेक्टर पद से रिटायर हुए प्रोफेसर अशोक शर्मा की मनमर्जी तरीके से की गई नियुक्ति का विवाद हो।

साथ ही हाल ही में अपने चहेते गुरूओं को सीएम डॉ. मोहन यादव के हाथों गुरू पूर्णिमा पर पुरस्कृत करवाना रहा हो या फिर अक्षय कांति बम के कॉलेज में एमबीए पेपर लीक सामने आने के बाद भी उस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं किया जाना हो।

इन सभी विवादों की लंबी फेहरिस्त के बाद कुलगुरू चाहती है कि यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट उनके जाने से पहले शुरू हो जाए, भूमिपूजन हो ताकि शिलालेख पर उनका नाम लिखा जाए। इसके लिए यूनिवर्सिटी इस प्रोजेक्ट से कितने बड़े आर्थिक संकट में फंसेगा इसकी भी चिंता जिम्मेदारों द्वारा नहीं की जा रही है। आने वाले दिनों में घाटे की कमी छात्रों से फीस बढोतरी करके ही होगी।

thesootr links


  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

sanjay gupta

thesootr links


  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

 

इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय देवी अहिल्या विश्वविद्यालय Indore DAVV डीएवीवी कुलगुरू डॉ. रेणु जैन