एम्स भोपाल ( Bhopal AIIMS ) ने मृत शरीर के स्पर्म ( शुक्राणु ) सहेजने में कामयाबी हासिल की है। इस काम को अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग ( Toxicology Department ) के प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ और उनकी टीम अंजाम दे रही है। टीम ने करीब 125 ऐसे लोग जिनकी मौत किसी एक्सीडेंट या अन्य कारणों से हुई हैं, उनके मृत शरीर से स्पर्म 19.30 घंटे की अवधि में लिया है। इसे दो तरीके से सहेजा जा रहा है। डीफ्रीजर में माइनस 83 डिग्री सेल्सियस पर और लिक्विड नाइट्रोजन गैस के सिलेंडर में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस पर प्रिजर्व करके रखा गया है।
भारत में ये पहली स्टडी
एम्स के डॉक्टर्स के मुताबिक उदाहरण के तौर पर अगर किसी शख्स की किसी भी हादसे में जान चली जाए। परिवार उसी के जरिए उसके कुनबे को आगे बढ़ाने की ख्वाहिश रखता हो तो ये प्रयोग ऐसे लोगों के लिए बड़ी उम्मीद साबित होगा। यूरोपियन देशों में इस तरह रिप्रोडक्शन का काम किया जा रहा है। वहीं, चैक रिपब्लिक में भी शोध चल रहा है, लेकिन भारत में इस तरह की यह पहली स्टडी है।
ICMR को पेटेंट के लिए दिया आवेदन
गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए एम्स की शोध टीम ने 600 ऐसे लोगों के बीच सर्वे कराया जिनके घर में 24 घंटे पहले ही ट्रेजेडी हुई। इन लोगों की मनोस्थिति को समझते हुए 20 सवाल पूछे गए। इनमें 76% लोगों ने कहा कि इस तरह की सुविधा होनी ही चाहिए। इससे कई परिवारों को मदद मिलेगी। वहीं, 83% लोगों ने कहा कि इसके लिए केंद्रीय स्तर पर गाइडलाइन तैयार होना चाहिए, ताकि इसी पद्धति का दुरुपयोग न हो।
स्पर्म बैंक बनाने की योजना
स्पर्म बैंक बनाने की योजना भी इस नई पद्धति के पेटेंट के लिए ICMR को आवेदन भेजा जा चुका है। SPERM बैंक बनाने की भी योजना है। इसके लिए आईसीएमआर ने 35 लाख रुपए बजट के तौर पर मंजूर किए हैं। बताते हैं कि, आईसीएमआर ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए 2020 में ही परमिशन दे दी थी, लेकिन कोरोना के कारण प्रोजेक्ट जनवरी 2022 से शुरु करना पड़ा, जो अब पूरा होने वाला है।