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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल इन दिनों चर्चा में है और फिलहाल उसकी सबसे बड़ी वजह सबसे ताकतवर लोगों पर सबसे बड़ा आयकर छापा है। इसमें भी सबसे खास यह है कि इस छापे के सूत्रधार हैं मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता दीपक जोशी।
जोशी ने गुरुवार, 19 दिसंबर को 'द सूत्र' के न्यूज रूम में सफेदपोशों का काला खेल उजाकर कर दिया। 'द सूत्र' के एडिटर इन चीफ आनंद पांडे से बातचीत में उन्होंने आयकर छापों के पीछे की कहानी बताई। इसी के साथ उन्होंने यह भी साफ किया कि यह पूरा खेल चल कैसे रहा था।
पढ़िए दीपक जोशी का खास इंटरव्यू...
'द सूत्र': दावा है कि भोपाल के नीलबड़ और रातीबड़ इलाके की जमीनों के मामले में जो आयकर विभाग ने ताकतवर लोगों पर कार्रवाई की है, वह शिकायत आपने की थी।
दीपक जोशी: हां ये सही है। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी थी। उसी शिकायत के बाद अब भोपाल में आयकर विभाग ने जमीनों की खरीद फरोख्त के मामले में कार्रवाई की है।
'द सूत्र': आपको कहां से जानकारी मिली थी, आपने किस आधार पर दिल्ली तक यह शिकायत की थी?
दीपक जोशी: मैं लंबे समय से भोपाल में सक्रिय हूं, इस लिहाज से इस शहर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं। पिछले दिनों मेरे कुछ मित्र और अधिकारी आए। उनका कहना था कि भोपाल का बड़ा तालाब आने वाले दिनों में खत्म हो जाएगा। मैंने सवाल पूछा कि क्यों खत्म हो जाएगा, तो उनका कहना था कि यहां एक सड़क बनाई जा रही है, जबकि यह अनावश्यक रूप से बनाई जा रही है। यह सड़क भोपाल वेस्टर्न बायपास के नाम से बनाई जा रही है। यह सड़क मंडीदीप से फंदाकलां को जोड़ती। इसकी लागत करीब 3 हजार करोड़ रुपए है, जबकि इस सड़क की आज की तारीख में जरूरत ही नहीं है, क्योंकि अभी जो ईस्टर्न बायपास है, उससे काम चल सकता है।
'द सूत्र': ...तो बड़े तालाब और पर्यावरण के लिए यह सड़क कैसे नुकसानदायक हो सकती है?
दीपक जोशी: देखिए, रातापानी टाइगर रिजर्व बन गया है। इस तरह भोपाल देश का पहला महानगर है, जिसके बिलकुल पास टाइगर का मूवमेंट है। इस सड़क से टाइगर रिजर्व को भारी नुकसान होगा। जंगल को नुकसान होगा। इसी के साथ भोपाल की पहचान बड़ा तालाब भी सड़क की जद में आता। झागरिया एक पाइंट है, जहां यह क्रॉस होगा। अब इसमें बड़ा सवाल यही है कि इस सड़क को फंदाकलां क्यों ले जाया जा रहा था? यदि यह सड़क फंदाकलां जाएगी तो यह एक तो ज्यादा बनेगी, दूसरा यहां बड़ा तालाब को भरने वाली नदियों का बहाव खत्म हो जाएगा।
'द सूत्र': जब यह सब कुछ हुआ तो आपने स्थानीय स्तर पर शिकायत क्यों नहीं की?
दीपक जोशी: हमने प्रयास किए, लेकिन जब लगा कि यहां कोई सुनने वाला है नहीं तो पीएमओ को चिट्ठी लिखी। इसकी कॉपी हमने ईडी, सीबीआई और मध्यप्रदेश सरकार के जिम्मेदार लोगों को भेजी। मुझे हैरानी इस बात की है कि पीएमओ और राष्ट्रपति कार्यालय से तो जल्द ही जवाब आ गए, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की ओर से इस मामले में अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
'द सूत्र': आपके पास लोग आए और उन्होंने बताया कि यह सड़क बन रही है, लेकिन आपको यह कब पता चला कि वहां बड़े अधिकारी और नेता जमीन खरीद रहे हैं और जमीनों की कीमत बढ़ाने के लिए यह सब कुछ किया जा रहा है?
दीपक जोशी: मुझे पता चला कि पीडब्ल्यूडी के पास एक पत्र आया है और जमीनों के मामले को लेकर कमेटी बनाई गई है। मुझे लगता है कि ईडी और सीबीआई तक जब यह बात पहुंची है, या फिर पीएमओ से गाइडलाइन मिली हो, उसे नाते से आपने यह कार्रवाई देखी।
'द सूत्र' ने सबसे पहले उजाकर किया था मामला
आयकर छापों की इनसाइड स्टोरी 'द सूत्र' ने ही सबसे पहले उजागर की थी। 'द सूत्र' ने ही बताया था कि नेता-अफसर और बिल्डरों के गठजोड़ वाले त्रिकोण के व्हिसिल ब्लोअर दीपक जोशी हैं। इसके बाद जोशी ने 'द सूत्र' के न्यूज रूम आकर पूरा मामला बताया।
खेल कैसे-कैसे: जमीनों के रेट बढ़ाने के लिए सड़क प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जमीन, काले धन का खेल और सफेदपोशों की साजिश सामने आई है। यहां जमीन की खरीद-फरोख्त के बहाने काले धन को सफेद किया जा रहा था। बिल्डर सस्ते दामों में जमीन खरीदते। फिर उन पर फर्जी रजिस्ट्रियां कराते। जमीन के दाम बढ़ाने के लिए एक ऐसी सड़क बनाने की भी तैयारी थी, जिसकी सही मायनों में जरूरत ही नहीं है। इसके पीछे मकसद यही था कि जमीनों के रेट बढ़ जाएं।
अब आयकर विभाग की छापेमारी ने नेतानगरी और अफसरशाही में भूचाल ला दिया है। यह कोई मामूली कार्रवाई नहीं, बल्कि ऐसी बड़ी रणनीति है, जिसने नेता, अफसर और बिल्डरों के गंदे गठजोड़ को बेनकाब कर दिया है। आयकर विभाग की छापेमारी में जो नाम सामने आए हैं, वे न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि सिस्टम के सबसे ऊंचे ओहदों तक फैली भ्रष्टाचार की जड़ें दिखाते हैं।
छापेमारी का स्थान
- भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में एक साथ आयकर विभाग की रेड।
- भोपाल के नीलबड़, एमपी नगर, कस्तूरबा नगर, होशंगाबाद रोड और 10 नंबर मार्केट जैसे स्थानों पर कार्रवाई।
त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी पर फोकस
- त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा के 52 ठिकानों पर छापेमारी।
- जांच टीम को 10 लॉकर्स और भारी मात्रा में ज्वेलरी मिली।
अन्य कारोबारियों पर भी कार्रवाई
- भोपाल में दीपक भावसार, विनोद अग्रवाल और रूपम सेबानी के यहां भी छापे।
- ये सभी प्रॉपर्टी डीलिंग और होटल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट करते हैं।
इन लोगों पर आयकर का एक्शन
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग की टीमों ने इन बड़े नामों के यहां छापेमारी की
- राजेश शर्मा (कस्तूरबा नगर निवासी, कंस्ट्रक्शन कारोबारी और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक)।
- राजकुमार सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
- रामवीर सिंह सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
- विश्वनाथ साहू (रियल एस्टेट कारोबारी)
- दीपक भावसार (पूर्व मंत्री के करीबी )
- विनोद अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)
- प्रदीप अग्रवाल ( विनोद अग्रवाल के भाई )
- रूपम सेबानी (रियल एस्टेट कारोबारी)
- कुणाल अग्रवाल
- अल्का अग्रवाल
- वीरेंद्र पाल सिंह
- हरदीप कौर
- तेजींदर सिंह
- सूरजीत कौर
- राकेश शर्मा
- किशोरी देवी शर्मा
- संजय जैन
- राधिका शर्मा
- प्रेम नारायण शर्मा
'द सूत्र' को मिली जानकारी के अनुसार, दीपक भावसार का नाम खास तौर पर चर्चा में है, क्योंकि वह एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं। इसी तरह एक पूर्व मुख्य सचिव का नाम भी उछल रहा है।
सबके सब ऊंचे ओहदों के मालिक, लेकिन जमीनों के दीवाने
राजेश शर्मा: त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक राजेश शर्मा न केवल कंस्ट्रक्शन के धंधे में हैं, बल्कि भोपाल में क्रशर संचालकों के संगठन का नेतृत्व भी करते हैं। उनका नाम बिल्डर और जमीन के बड़े खेल में भी शामिल है।
दीपक भावसार: पूर्व मंत्री के खास माने जाने वाले दीपक भावसार राजधानी के बेहद प्रतिष्ठित क्लब के अन ऑफिशियल संचालक हैं। यह भी पता चला है कि दीपक के माध्यम से ही भोपाल से संचालित एक बड़े अखबार समूह के परिवार के सदस्य का नाम भी प्राइम लोकेशन की जमीन के लेन-देन में शामिल है।
रूपम सेबानी: भोपाल के न्यू मार्केट में 400 करोड़ के होटल प्रोजेक्ट का मालिकाना हक रखने वाले रूपम सेबानी का नाम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से भी जुड़ा है।
विनोद अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल: दोनों भाई हैं, जो क्वालिटी बिल्डर के नाम से फर्म चलाते हैं। बता दें कि प्रदीप अग्रवाल भोपाल के चर्चित प्यारे मियां कांड में भी लिप्त था। उस पर भी नाबालिक लड़कियों के यौन शोषण मामले में FIR हुई थी।
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