हाल ही में इंदौर हाई कोर्ट में मेडिकल छात्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद इंदौर के एमजीएम कॉलेज के डीन को दौड़ते भागते कोर्ट पहुंचना पड़ा था और उसके बाद उसी दिन छात्रा को असली दस्तावेज सौपने पड़े थे। इसके बाद भी ऐसा नजर आ रहा है कि मेडिकल कॉलेज अपनी मनमानी पर उतारू है। आलम यह है कि छात्र-छात्राओं को अपने असली दस्तावेज लेने के लिए इन कॉलेजो के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेज का दस्तावेज देने से इनकार
ग्वालियर के डॉक्टर मनीष रत्नाकर प्री-पीजी की परीक्षाओं की काउंसलिंग में शामिल होने वाले हैं और उन्होंने ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज से अपने ओरिजिनल दस्तावेजों की मांग की थी ताकि वह काउंसलिंग में शामिल हो सके पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अपनी मनमर्जी पर उतारू इस कॉलेज के डीन ने मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम 2018 का हवाला देते हुए उन्हें असली दस्तावेज देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जिस पर जस्टिस रूसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वाणी की युगल पीठ में सुनवाई हुई।
छात्रों की आत्महत्या का कारण बन रही है प्रताड़ना
ग्वालियर हाईकोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई में याचिकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी नए वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पक्ष रखा। अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि छात्रों को असली मार्कशीट ना मिलने मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की बढ़ रही आत्महत्याओं के मामले की मुख्य वजह है। पोस्ट ग्रेजुएशन की सीट बीच मे छोड़ने के बाद यह कॉलेज छात्र-छात्राओं को नियमों का हवाला देकर 30 लाख रुपए की मांग करते हैं और पेमेंट न करने पर उनके असली दस्तावेजों को रोक लेते हैं ताकि वह दूसरी जगह पर एडमिशन ही ना ले पाए। ऐसे में आखिरकार हताश होकर छात्र-छात्राओं में आत्महत्या के मामले भी बढ़ते हुए नजर आए हैं।
पार्लियामेंट में भी उठ चुका है मुद्दा
आदित्य संघी ने बताया कि 9 फरवरी 2024 को यह मुद्दा पार्लियामेंट के प्रश्नोतरी के समय भी उठाया गया था। जिसके बाद इंडियन मेडिकल काउंसिल को यह निर्देश दिया गया था कि सेट लिविंग के नाम पर किसी भी मेडिकल छात्र-छात्रा के दस्तावेज नहीं रोके जाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन और हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी ग्वालियर में छात्र के रोके गए दस्तावेजों पर हाईकोर्ट ने जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के डीन को बिना 30 लाख रुपए की मांग किये छात्र के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस करने के आदेश दिए है। इसके साथ ही कोर्ट ने डायरेक्टर मेडिकल एजूकेशन और मध्य प्रदेश सरकार प्रिंसिपल सेक्रेटरी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा की मेडिकल छात्रों के लिए आने वाले समय में यह ऐतिहासिक फैसला मील का पत्थर साबित होगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक