इंदौर की पुलिस के हाल क्या हैं और टीआई कितने ताकतवर हैं, इसके कई मामले तो वैसे ही सामने आ चुके हैं। अब ताजा मामले ने सभी सीनियर अधिकारियों की पोल खोलकर रख दी है। बिल्डर पर एफआईआर कराने में इन सभी को पसीने आ गए, उलटे सैटलमेंट की बातें जरूर चलती रही। इसमें पुलिस कमिशनर राकेश गुप्ता, एडिशनल सीपी अमित सिंह, डीसीपी जोन वन विनोद मीणा पर टीआई आजादनगर नीरज मीणा सब पर भारी पड़े हैं।
क्या है मामला
दिनेश शाह ने साल 2011 में पुखराज सिटी ग्रुप के सुरेशचंद्र जैन, राजेंद्र जैन, जीतेंद्र जैन और तुषार चौपड़ा से फ्लैट का सौदा किया। सौदा डायरी पर हुआ। इसके लिए उन्होंने 19.18 लाख रुपए दे भी दिए। इसमें 7 लाख कैश व 12.13 लाख चेक से दिए। लेकिन इसके बाद भी बिल्डर ने ना राशि लौटाई और ना ही फ्लैट दिया।
अब देखिए पुलिस की 70 दिन की कहानी
- 19 मई को फरियादी पुलिस कमिशनर राकेश गुप्ता से मिले, आवेदन दिया टीआई नीराज मीणा से भी मिले, आश्वासन मिला
- 5 अप्रैल को बिल्डर ने शिकायतों के बाद फरियादी को ऑफिस बुलाया और कहा कि रासि लौटा देंगे, शिकायत वापस ले लो, पुलिस कुछ नहीं कर सकती है
- फरियादी फिर थाने से लेकर अधिकारियों के पास भटकते रहे
- 26 मई को डीसीपी विनोद मीणा से मिले, उन्होंने कहा एसआई को सभी दस्तावेज दे दो
- 29 मई को डीसीपी मीणा ने बिल्डर को बुलाया, फरियादी के साथ बैठक हुई। इसमें बिल्डर ने कबूला की राशि ली गई है। 8 दिन में सौदा पूरा करने नहीं तो एफआईआर की बात हुई
- 5 जून- कुछ नहीं हुआ तो फिर सीपी से मिले, सीपी गुप्ता ने कहा डीसीपी से मिलिए
- 6 जून – डीसीपी से मिले कुछ नहीं हुआ
- 13 जून- डीसीपी से मिले, उन्होंने पूछा क्या चाहते हो, फरियादी ने कहा एफआईआर, कहा हो जाएगी, लेकिन नहीं हुई
- 1 जुलाई- सीपी गुप्ता और एडिशनल सीपी अमित सिंह से मिले, फिर आश्वासन मिला
- 3 जुलाई सीपी गुप्ता से मिले, उन्होंने कहा एफआईर करा देंगे 420, 406 में
- 4 जुलाई-डीसीपी से फिर मिले, उन्होंने कहा कि एफआईआर कैसे करना यह मेरा ज्यूरिडिक्शन है, सीपी का नहीं
- 18 जुलाई- फिर एडिशनल सीपी सिंह से मिले, बोले मैं क्या कर सकता हूं जितनी मदद कर सकता था की है
- 31 जुलाई को फिर फरियादी एडिशनल सीपी सिंह से मिले, उन्होंने फिर पूरी बात समझी और आश्वासन दिया एफआईआर करा देते हैं, लेकिन टीआई ने फरियादी को साफ बोल दिया कि मेरे पास कोई आदेश नहीं आए, मैं नहीं करूंगा।
मुद्दा उठा तो पुलिस ने सफाई में जारी किया प्रेस नोट
इस मुद्दे पर जब पुलिस की भद पिटी तो उन्होंने सफाई देना शुरू किया और रात को एक प्रेस नोट जारी किया। इसमें कहा गया कि - मुंबई के फरियादी दिनेश शाह द्वारा 2011 में इंदौर की पुखराज सिटी में फ्लैट खरीदा गया था, जिसका पजेशन बिल्डर द्वारा उसको न देते हुए किसी और को दे दिया गया है। इसके सम्बन्ध में उसके द्वारा पुलिस थाना आज़ाद नगर इंदौर नगरीय में शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसपर कार्रवाई नहीं होने का दावा फरियादी द्वारा किया गया है।
शिकायत जांच के दौरान आवेदक द्वारा कोई नोटरी, एग्रीमेंट रजिस्ट्री अथवा अन्य कोई दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया है। वर्ष 2011 से 2014 के दौरान उसके द्वारा बिल्डर के साथ किए गए लेन देन से सम्बंधित "चिट्ठी" पेश की गई है ,जिसपर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं है। उक्त चिठ्ठी की हस्तलिपि परीक्षण के लिए क्यू.डी. भेजा जा रहा है । साथ ही पुलिस द्वारा अन्य बिन्दुओं पर भी जांच की जा रही है। जांच के परिणामो के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
अब सवाल यह तो यह बात पुलिस ने पहले क्यों नहीं की
सबसे अहम बात है कि पुलिस ने यह बात पहली बार में ही मई में ही फरियादी को क्यों नहीं कही कि दस्तावेज पूरे नहीं है। कई बार दस्तावेज लिए और खुद फरियादी के पास मौजूद ऑडियों में बिल्डर से लेकर पुलिस अधिकारियों ने कबूला है कि मामला सही है। बिल्डर ने खुद डीसीपी के सामने कबूला है कि इसने राशि ली है, इसके बाद यह बहानेबाजी क्यों हो रही है? इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है।