संभागायुक्त इंदौर में पदस्त अपर आयुक्त IAS जमुना भिड़े ( IAS Jamuna Bhide ) को लेकर हाल ही में द सूत्र ने खुलासा किया था कि उन्होंने अधिकार क्षेत्र के परे जाकर 30 से ज्यादा आर्डर कर दिए हैं। यह आर्डर विधिक रूप से मान्य नहीं है। अब इस खबर पर इंदौर हाईकोर्ट के आदेश की भी मुहर लग गई है।
संभागायुक्त दीपक सिंह ने यह किया था आदेश
राजस्व मामले सुनने के संभाग के सभी जिलों के अधिकार पहले अपर आयुक्त भिड़े के पास थे। संभागायुक्त दीपक सिंह ने 6 अप्रैल को एक आदेश जारी किया। इसमे राजस्व मामले में इंदौर, धार और खरगोन जिले के केस आयुक्त कोर्ट में रखे और भिड़े की कोर्ट में खंडवा, झाबुआ, बड़वानी, बुरहानपुर और अलीराजपुर जिले को रखा। साथ ही उन्हें खनन व अन्य कार्य दिए गए। आदेश में साफ था कि नया कार्यविभाजन एक जून से लागू होगा।
क्या किया भिड़े मैडम ने
यह आदेश एक जून से लागू था, लेकिन इसके बाद भी अपर आयुक्त जमुना भिड़े ने दो दर्जन से ज्यादा केस में सुनवाई और आदेश करना जारी रखा। उन्होंने जून अंत तक करीब 20 केस में फैसला सुना दिया, जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं था। कार्यविभाजन के हिसाब से यह उनके अधिकार क्षेत्र में केस बचे ही नहीं थे।
हाईकोर्ट ने अपील पर सुनाया फैसला
ऐसे ही एक केस में भिड़े ने एक आवेदक नीलेश पाटीदार के केस में कार्यविभाजन आदेश के परे जाकर 6 जून को फैसला सुनाया। जबकि कायदे से यह केस संभागायुक्त की कोर्ट में होना था और वहां से ही फैसला होना था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार आसुदानी ने यही बात हाईकोर्ट में रखी और भिड़े के आदेश को गलत बताया। इस आधार पर हाईकोर्ट इंदौर ने उनके आर्डर को नियमा के परे पाया और इसे संभागायुक्त इंदौर के पास रैफर कर दिया।
रंगवासा केस का विवादित मामला भी संभागायुक्त के पास
नए विभाजन के बाद रंगवासा की विवादित 80 एकड़ जमीन का केस अब संभागायुक्द दीपक सिंह की कोर्ट में आ चुका है। दरअसल इस मामले में पांच अपील लगी थी, जो कलेक्टर कोर्ट से खारिज हुई थी। इसमें से दो जमुना भिड़े ने खारिज की और तीन मान्य की और फिर इसमें से एक खुद रिव्यू मं लेकर खारिज की।
यह खारिज तीन याचिकाओं के केस हाईकोर्ट गए और वहां से आदेश हुए कि इन्हें फिर से सुना जाए। यानी यह केस संभागायुक्त कार्यालय वापस आ गए हैं। अब नए कार्यविभाजन में इंदौर जिला संभागायुक्त के पास है, ऐसे में यह केस वह सुनेंगे।
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