यूको व अन्य बैंक से 110 करोड़ का बैंक लोन लेकर डिफाल्ट करने वाले इंदौर के कैलाश गर्ग की कंपनी नारायण निर्यात इंडिया प्रालि से जुड़ी विविध 26 करोड़ कीमत की संपत्तियां ईडी ने अटैच कर दी हैं। इसी मामले में ईडी ने 31 जनवरी को भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा व गर्ग के घर पर छापे भी मारे थे।
ईडी ने यह दी जानकारी
ईडी ने जानकारी दी है कि यूको बैंक से कई कंपनियों के अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए 110 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। लेकिन इस राशि को अन्य कामों के लिए दूसरी कंपनियों में शिफ्ट कर दिया गया।
लोन के लिए गलत दस्तावेज लगाए गए थे। कंपनी की मप्र के साथ ही महाराष्ट्र में भी संपत्तियां हैं। इसमें 34 प्रॉपर्टी अटैच की गई जिसमें इंदौर, जावरा, नीमच, महाराष्ट्र के अकोला की संपत्तियां है।
सीबीआई ने 2020 में दर्ज की थी एफआईआर
यूको बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने 5 नवंबर 2020 पर बैंक लोन घोटाले में नारायण निर्यात इंडिया प्रालि कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग (निधन हो चुका), कैलाश गर्ग और दो अन्य अज्ञात लोक सेवक पर 120 बी व 420 की धारा में एफआईआर दर्ज की।
इसमें कहा गया कि बैंक लोन लिया गया और इस लोन को गर्ग परिवार द्वारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। यह बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा साल्वेक्स, पदमावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।
इन तीन बैंकों का 106.50 करोड़ रुपए डूबा
यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए। यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और यह पूरा डूब गया। पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।
गर्ग के खेल में चंपू की इस तरह रही भागीदारी
सेटेलाइट हिल कॉलोनी साल 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई और इसके साथ ही इसमें खरीदी-बिक्री शुरू हो गई। चंपू और योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी डायेरक्टर बनाया।
बाद में चंपू को प्लाट की सौदे बाजी के अधिकार दिए गए। चंपू ने जमकर बेचे। वहीं प्लाट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सेटेलाइट हिल की जमीन व अन्य जगह की जमीन व अन्य संपत्तियों को गिरवी रख कर बैंक लोन ले लिया। इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक- दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं और बीच में बैंक वाले और 71 प्लाटधारक उलझ गए।
सेटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन
मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि ने 110.50 करोड़ को लोन की सुरक्षा के लिए एवलांच रियलटी प्रालि की ओर से संचालक कैलाश गर्ग द्वारा सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी की भूमि सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2. 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को गिरवी रखा गया। जबकि इन जमीन पर पूर्व में ही भूखंड़ों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिया गया। प्लाट की बिक्री का यह काम चंपू अजमेरा ने किया।
चंपू, योगिता रहे थे कंपनी में डायरेक्टर
सेटेलाइट कॉलोनी एवलांच कंपनी, जो साल 2008 में चुघ ने बनाई लांच की गई थी। इसके बाद चुघ हट गए और कैलाश गर्ग व सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बने। गर्ग ने यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक से 110 करोड़ का लोन लिया।
कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सौदे करने की पॉवर ऑप एटार्नी दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्कस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी, जिसमें क़ॉलोन के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और योगिता दोनों डायेरक्टर बने, यह साल 2009-10 तक डायरेक्टर बने। कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू ने की।
इस मामले में कैलाश गर्ग प्लाट के विवाद पर यह कहता है कि मैंने वह जमीन गिरवी नहीं रखी जो चंपू ने बेची, मैंने दूसरी जमीन गिरवी रख बैंक से लोन लिया था। वहीं चंपू कहता है कि प्लाट की जमीन गर्ग बैंक में गिरवी रख लोन ले चुका है, मैं अब प्लाट, राशि नहीं दे सकता हूं।
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