मिशनरी संस्था ने बेच दी पट्टे पर मिली सरकारी जमीन,  ELC पदाधिकारियों समेत 11 लोगों के खिलाफ केस

बैतूल में यह बेशकीमती जमीन सरकार द्वारा मिशनरी संस्था को शिक्षा और धार्मिक प्रयोजन के लिए दी गई थी। आरोप है कि इवेंजलिकल लूथरन चर्च इन एमपी (ईएलसी) के पदाधिकारियों ने जमीन बेच दी।

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Vikram Jain
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मिशनरी संस्था ने बेच दी पट्टे पर मिली जमीन,  ELC पदाधिकारियों समेत 11 लोगों के खिलाफ केस
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के बैतूल में मिशनरी संस्था को शिक्षा और धार्मिक उपयोग के लिए दी गई बेशकीमती जमीन बेचने के मामला सामने आया है। मामले में ईओडब्ल्यू (EOW) ने कार्रवाई की है। EOW ने इवेंजलिकल लूथरन चर्च ( Evangelical Lutheran Church) के 7 पदाधिकारियों, तत्कालीन जिला पंजीयक राजीव सोरते समेत 11 लोगों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया है।

बेच दी सरकार की बेशकीमती जमीन

बैतूल में यह बेशकीमती जमीन सरकार द्वारा मिशनरी संस्था को शिक्षा और धार्मिक प्रयोजन के लिए दी गई थी। आरोप है कि इवेंजलिकल लूथरन चर्च इन एमपी (ईएलसी) के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सहायक सचिव हेड कोषाध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों ने हेराफेरी कर जमीन बेच डाली। और इससे मिले पैसे हड़प लिए। अब सरकारी जमीन को स्व अर्जित बताकर बेचने और बिना अनुमति के क्रय-विक्रय करने के मामले में जांच के बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ट (EOW) ने केस दर्ज किया है।

इन लोगों ने कर दिया खेल

मामले में इवेंजलिकल लूथरन चर्च एमपी (ELC MP) के तत्कालीन अध्यक्ष इमेन्यूअल पंचू आरोपी बनाए है। जिनकी मृत्यु हो चुकी है। साथ ही मामले में सुरेंद्र कुमार सुक्का (अध्यक्ष), अनिल मार्टिन (उपाध्यक्ष), ब्रजेश नितिन सहाय, (सचिव), अशोक चौकसे (प्रधान कोषाध्यक्ष), एसपी दिलराज (कोषाध्यक्ष), मुकेश चितरंजन मोजेस (तत्कालीन स्कूल प्रिंसिपल), पुलकित मालवीय, अरुण गोठी, जॉर्ज थॉमस विश्वास, राजीव सोरते (तत्कालीन पंजीयक) पर ईएलसी को स्कूल चलाने और धार्मिक उपयोग के लिए पट्टे पर जमीन बेचने का आरोप है। आरोपी पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्ट गतिविधियों को लेकर धारा 420, 406, 120 बी (भादंसं) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (अ) व 13 (2) के तहत केस दर्ज किया है।

निर्माण कार्य के लिए तोड़ा था स्कूल का एक हिस्सा

जांच में सामने आया है कि मिशनरी संस्था के अध्यक्ष समेत पदाधिकारियों ने सरकारी जमीन बेचकर पैसे हड़प लिए। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि बेची गई सरकारी जमीन पर स्कूल और चर्च चल रहा है, साथ ही होस्टल भी है, लेकिन जमीन बेचने के बाद यहां निर्माण कार्य के लिए स्कूल का एक हिस्सा तोड़ दिया गया।

नियम के अनुसार स्कूल तोड़ने के पहले कलेक्टर से अनुमति लेना होता है, जो नहीं ली गई। प्रावधान को नजरअंदाज कर तोड़फोड़ की गई। यहां विकास कार्यों और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी। संस्था के खाते की जांच में एजेंसी ने तत्कालीन स्कूल प्राचार्य मुकेश चितरंजन मोजेस का अवैध लेन-देन भी पकड़ा है।

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