इटावा के चोटी कांड पर धीरेंद्र शास्त्री का बयान, भागवत कथा किसी जाति की बपौती नहीं

बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इटावा कांड को निंदनीय बताते हुए कहा कि भगवत कथा किसी जाति की बपौती नहीं है। कानून से समाधान निकालना चाहिए था खुद न्यायधीश बनने की जरूरत नहीं।

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Rohit Sahu
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25 दिन की विदेश यात्रा से लौटे बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इटावा कांड पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने 27 जून को मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए इस घटना को निंदनीय बताया और कहा कि भगवत कथा किसी जाति की बपौती नहीं है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर किसी कथावाचक से गलती हुई थी, तो कानून और न्यायपालिका का सहारा लिया जाना चाहिए था, ना कि स्वयं न्यायाधीश बनकर हिंसा का रास्ता अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा व्यवहार समाज में विद्रोह की स्थिति पैदा करता है।

धीरेंद्र शास्त्री ने जातिवाद पर किया प्रहार

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में वेदव्यास, वाल्मीकि, मीरा, सूरदास, रविदास और कबीरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी संतों ने भगवान की चर्चा की, लेकिन किसी ने उनकी जाति नहीं पूछी। उनकी वाणी ही उनकी पहचान रही। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम ही सबसे बड़ी पहचान है। कौवा कर्कश बोलता है, लेकिन रामचरितमानस में काग भुसुंडी महाराज की भी महिमा गाई गई है।

उन्होंने संत कबीर का दोहा सुनाते हुए कहा–

“जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मूल करो न तलवार का, बरना पड़ी रहने दो म्यान।”

शास्त्री ने ज़ोर देकर कहा कि भागवत कथा, सत्संग और सनातन का प्रचार किसी एक जाति की बपौती नहीं हो सकता। कथा कहने का अधिकार हर किसी को है, चाहे वह किसी भी जाति का हो।

राजनेता सेक रहे राजनीतिक रोटियां

धीरेंद्र शास्त्री ने कड़े शब्दों में कहा कि आज कुछ नेता जातिवाद के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। उन्होंने अपील की कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जाति से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की ओर बढ़ना जरूरी है। उन्होंने इस उद्देश्य को लेकर 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा निकालने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा जातिवाद और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का एक प्रयास होगी।

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क्या था इटावा कांड?

22 जून को इटावा के दादरपुर गांव में ब्राह्मण समुदाय के कुछ लोगों ने कथावाचक मुकुट मणि सिंह और उनके साथियों पर हमला कर दिया। कथावाचक यादव समुदाय से हैं।

मुकुट मणि सिंह के अनुसार, कथावाचक से पहले जाति पूछी गई, और जब उन्होंने यादव बिरादरी से होने की बात कही, तो उन पर दलित होने का आरोप लगाते हुए धमकाया गया।

इसके बाद कथित तौर पर उनकी चोटी काट दी गई, सिर मुंडवा दिया गया, और एक महिला से नाक रगड़वाई गई। उनके साथियों के साथ भी मारपीट की गई और उनका हारमोनियम भी तोड़ दिया गया।

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FIR में चार नामजद, 50 अज्ञात आरोपी

घटना के बाद कथावाचक सपा सांसद जितेंद्र दोहरे के साथ एसएसपी से मिले। SSP के आदेश पर कोतवाली में अतुल, मनीष, पप्पू बाबा और डीलर पर नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई। इसके अलावा 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

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