मध्य प्रदेश के देवास से 2 बेटियों की अनोखी कहानी ( DEWAS TWO DAUGHTER ) सामने आई है,जहां एक बेटी ने दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर पिता को जेल भिजवा दिया वहीं दूसरी बेटी ने 3 साल केस लड़कर पिता को न्याय दिलाया है। सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय पाक्सो एक्ट बागली ने आरोपित को दोषमुक्त किया।
एडीजे कोर्ट में हुआ ट्रायल
सगी बेटी ने साढ़े 6 हजार रुपए इकट्ठा कर इंदौर हाईकोर्ट में जमानत की अपील की।हाईकोर्ट से जमानत मिली और एडीजे कोर्ट में ट्रायल शुरू हो गया। पुलिस, डॉक्टर और परिजन सहित 12 गवाहों के बयान के बाद न्यायालय पाक्सो एक्ट बागली ने आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।
मेडिकल रिपोर्ट में सच्चाई आई सामने
पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि अक्टूबर 2020 में मेरे साथ आखिरी बार दुष्कर्म हुआ था जबकि मेडिकल रिपोर्ट में 24 महीने का गर्भ निकला। इस हिसाब से सितंबर 2020 में गर्भ ठहरा है।यही से पूरी कहानी बदल गई।बाद में नवजात शिशु और आरोपी के डीएनए की जांच करवाई गई तो रिपोर्ट निगेटिव आई। वहीं पीड़िता ने जिस घर को घटनास्थल बताया था वह 15 बाय 15 का एकमात्र कमरा है जिसमें 7 सदस्य रहते हैं। इतने छोटे से कमरे में 10 साल से दुष्कर्म करने और अक्टूबर 2020 में आखिरी बार दुष्कर्म करने की घटना की जानकारी मां, अन्य चार भाई-बहन को नहीं थी। इसका उल्लेख कोर्ट ने अपने आदेश में किया है।इधर, आरोपी की ओर से तर्क था कि पीड़िता 2018 में घर से चली गई थी, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
न्यायालय ने आरोपित को दोषमुक्त किया
सौतेली बेटी 29 जनवरी 2021 को वापस भाग गई थी, जिसकी भी रिपोर्ट पिता ने दर्ज करवाई थी। इसी दौरान पीड़िता ने फरवरी 2021 को शादी कर ली थी।इसके बाद बागली थाने पर बयान देकर अपने पति के साथ चली गई थी। बाद में पति और सास के साथ थाने आकर पिता के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।पीड़िता की शादी से आरोपी पिता राजी नहीं था, जिससे पीड़िता अपने सौतेले पिता से नाराज थी। इन सभी परिस्थितियों, मेडिकल रिपोर्ट, घटना के संबंध में पीड़िता के कथन विश्वसनीय नहीं होने के आधार पर कोर्ट ने आरोपी पिता को बरी कर दिया।