NOTA से लग रहा डर, X पर चले तंज नोटा का पर्चा खारिज नहीं करा सकी बीजेपी, ना पार्टी की सदस्यता दिला सकी

भागवत नोटा को लेकर कह रहे हैं कि वह इसके पक्ष में नहीं है भले ही यह चुनाव में एक विकल्प जरूर है। उन्होंने कौरव व पांडव के किस्से से बताया कि बात चली कि युद्ध में किसका साथ देना चाहिए, सभी कृष्ण के पास गए, लोगों ने कौरव के बुरे पक्ष बताए।

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता, INDORE. NOTA (यानी "None of the above, इनमें से कोई नहीं), इंदौर के लोकसभा चुनाव में यह प्रत्याशियों से भी ज्यादा चर्चा में हैं। इंदौर चुनाव में कभी मुकाबले में नहीं रही कांग्रेस को बमकांड (कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय बम के बीजेपी में जाने) के बाद खुलकर मोर्चा खोलने का मौका मिल गया है। बीजेपी बैकफुट पर है। द सूत्र को X पर संदेश आए हैं, जिसमें बीजेपी पर तंज कसे गए हैं कि नोटा का पर्चा बीजेपी खारिज नहीं करा सकी, ना ही इसे पार्टी की सदस्यता दिला सकी। 

पीएम मोदी भी कर रहे चिंता

हालत यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी वोटिंग को लेकर चिंता कर रहे हैं, उन्होंने मंगलवार को इंदौर ट्रांजिट विजिट के दौरान बूथ अध्यक्षों से पूछा भी था, इंदौर में वोटिंग कम होगी क्या? फिर अगले दिन बुधवार को सांसद शंकर लालवानी के नाम पर पत्र जारी किया। उधर प्रदेशाधय्क्ष वीडी शर्मा से लेकर सभी नेताओं को डिफेंस में आना पड़ रहा है। अब ताजा मामला मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का है, जिन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत का एक पुराना वीडियो X पर अपलोड किया है, जिसमें नोटा को लेकर उनके विचार है।

भागवत नोटा को लेकर क्या बोल रहे हैं

भागवत नोटा को लेकर कह रहे हैं कि- वह इसके पक्ष में नहीं है भले ही यह चुनाव में एक विकल्प जरूर है। उन्होंने कौरव व पांडव के किस्से से बताया कि बात चली कि युद्ध में किसका साथ देना चाहिए, सभी कृष्ण के पास गए, लोगों ने कौरव के बुरे पक्ष बताए तो यह भी कहा कि पांडव कौन से दूध के धुले थे, उन्होंने भी अपनी पत्नी को जुएं में दांव पर लगाया। इस पर कृष्ण कहते हैं कि राजनीति में सौ फीसदी अच्छा मिलना कठिन बात है, लेकिन यही विकल्प रहता है कि उपलब्ध में से बेहतर को चुनो। भागवत आगे कहते हैं कि जब हम नोटा को चुनते हैं तो उपलब्ध बेहतर को रद्द कर देते हैं और इसका लाभ उपलब्ध सबसे बुरे को ही मिलता है। इसलिए नोटा का प्रावधान होने के बाद भी नोटा का उपयोग नहीं करना चाहिए और उपलब्ध बेहतर विकल्प पर जाना चाहिए।

वीडी शर्मा ने नोटा को लेकर क्या बोला

उधर नोटा को लेकर बुधवार को प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने इंदौर में कहा कि- जब आपका (कांग्रेस) का सिक्का खोटा निकला तो हम नोटा क्यों चुनें। यह कांग्रेस की लोकतंत्र को कमजोर करने वाली बात है। प्रत्याशी आपका, नेता आपका, कार्यकर्ता आपका, अपनी इच्छा से फार्म वापस लिया तो इसमें बीजेपी कहां से आ गई। 

कांग्रेस ने इस तरह पकड़ा मैदान, पटवारी यह बोले

उधर कांग्रेस के लिए ना हींग लगे ना फिटकरी वाली बात हो गई है। उन्हें केवल नोटा को लेकर प्रचार कर संदेश देना है कि बीजेपी ने उनके साथ गलत किया है और वह कह रही है कि कांग्रेस ने हमारे प्रत्याशी का अपहरण कर मतदाताओं से विकल्प छीन लोकतंत्र की हत्या की है। इसलिए बीजेपी को सबक सिखाना है, नोटा का बटन दबाना है का नारा लगा दिया है। इसे प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस जीतू पटवारी राजनीतिक माफियागिरी बता रहे हैं। पटवारी और पूरी कांग्रेस कह रही है कि हम किसी प्रत्याशी को इंदौर में समर्थन नहीं दे रहे हैं। हमारा इंदौर की जनता से हाथ जोड़कर आग्रह है कि वह वोट जरूर दें, बीजेपी को सबक सिखाने के लिए वोट करें, हम नोटा के सपोर्ट में हैं। 

बीजेपी क्यों चिंता में हैं, ऑटो रिक्शा से नोटा पोस्टर फाड़ा

इस पूरे मामले से बीजेपी चिंता में हैं। बात जीत की नहीं है, खुद पटवारी कह चुके हैं कि बीजेपी का सांसद ही चुनाव जीतेगा। चिंता इस बात की है कि सफाई में नंबर वन इंदौर, नोटा में नंबर वन बनता है तो यह बीजेपी के लिए बहुत ही खराब स्थिति के साथ राजनीतिक रूप से दाग लगने वाली बात होगी। संदेश यही जाएगा कि इंदौर के लोग बीजेपी के कदम से खुश नहीं है। यह बीजेपी की जीत में दाग लगाने वाला काम होगा और बीजेपी जीत कर हार जाएगी और कांग्रेस हारकर भी जीत जाएगी। जो काम उसका प्रत्याशी बम नहीं कर सकता था वह बम के बीजेपी में जाने से हो गया है। इसी कारण नोटा के प्रचार रोकने के लिए भी बीजेपी खुलकर आ गई है। पार्षद संध्या यादव ने ऑटो पर लगा नोटा का पोस्टर फाड़ दिया, तो वहीं बीजेपी की लीगल सेल ने फेसबुक पेज मैं हू इंदौर पर चल रहे नोटा के प्रचार और ऑटो रिक्शा पर हो रहे प्रचार के खिलाफ शिकायत भी चुनाव आयोग को कर दी है। उधर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश यादव ने भी ऑटो रिक्शा से नोटा पोस्टर फाड़ने की शिकायत आयोग को कर दी है। 

नोटा को लेकर यह है देश में रिकार्ड

अभी देश में नोटा में गोपालगंज आगे-
-    नोटा में सबसे ज्यादा वोट का रिकार्ड बिहार की गोपालगंज सीट का है। यहां पर 2019 के चुनाव में सबसे ज्यादा 51660 वोट नोटा को मिले थे। 
-    वहीं दूसरे नंबर पश्चिम चंपारण सीट थी जिसमें नोटा को 45699 वोट मिले
-    तीसरे नंबर पर जमुई सीट पर 39496 वोट नोटा को मिले
-    चौथे नंबर पर मधेपुरा सीट पर नोटा को 38450 वोट मिले
-    पांचवे नंबर पर समस्तीपुर सीट पर 35417 वोट नोटा को मिले थे।
(देश में सबसे ज्यादा वोट बिहार में ही गिरे थे 2 फीसदी था, इसके बहाद आंध्रा में 1.54 फीसदी, छत्तीसगढ़ में कुल वोट का 1.44 फीसदी नोटा को गया था)

मप्र में नोटा में कौन आगे?

मप्र में नोटा का सबसे ज्यादा उपयोग आदिवासी सीट पर सामने आया है।
-    साल 2019 में रतलाम आदिवासी सीट पर रिकार्ड 35431 वोट डले जो कुल वोट का 1.91 फीसदी था। यह मप्र में किसी लोकसभा सीट पर नोटा को मिले सबसे ज्यादा वोट है। 
-    दूसरे नंबर पर आदिवासी सीट मंडला थी, जहां 32240 वोट नोटा को गए जो 1.65 फीसदी था
-    तीसरे नंबर पर आदिवासी सीट बैतूल थी, जहां नोटा को 22787 वोट गए जो 1.31 फीसदी था

नोटा साल 2013 में पहली बार आया

नोटा ( NOTA "None of the above)  यानी इसमें से कोई नहीं। इसकी शुरूआत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबसे पहले साल दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव में मप्र, छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव में किया गया था। लोकसभा चुनाव में इसकी शुरूआत 2014 के चुनाव में पहली बार हुई थी। यह मतदाता को मौका देता है कि वह अपनी नापसंद बता सके कि उन्हें इनमें से कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि नोटा में कितने भी वोट जाए, उससे चुनाव रिजल्ट पर कोई असर नहीं होता है, प्रत्याशी से ज्यादा वोट नोटा को चले भी जाएं तो भी प्रत्याशी की जीत होती है। हालांकि इस मामले में फिर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगी है, जिसमें नोटा को अधिक वोट मिलने पर चुनाव निरस्त करने की भी मांग है। ईवीएम में सभी प्रत्याशियों के नाम के बाद सबसे अंत का बटन नोटा का होता है।

इंदौर सीट पर नोटा का क्या रिकार्ड रहा है?

इंदौर में नोटा का उपयोग मतदाता कम करते हें। साल 2019 चुनाव में नोटा का उपयोग 0.30 फीसदी मतदाताओं ने किया था और कुल 5045 वोट नोटा में गए थे। कुल डले 16.29 लाख वोट में से बीजेपी प्रत्याशी को 10.68 लाख वोट (65.59 फीसदी), कांग्रेस को 5.20 लाख (31.97 फीसदी) और बीएसपी प्रत्याशी तीसेर नंबर पर थे जिसे 8666 वोट (0.53 फीसदी) मिले थे। चौथे नंबर पर नोटा था जिसे 5045 वोट (0.30 फीसदी) मिले थे।

NOTA नोटा