INDORE. मप्र में पहली बार इंदौर जिला प्रशासन ने कॉलोनाइजर ( colonizer ) की धोखाधड़ी का तगड़ा जवाब दिया है। विवादित बिल्डर और धोखाधड़ी में एक बार पहले भी जेल जा चुके अरविंद बंजारी ने 12 साल में भी कॉलोनी का विकास नहीं किया। आखिर में सैकड़ों प्लाटधारकों को राहत देने के लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh ) ने विकास के बदले में बंधक रखे गए प्लाट को राजसात करने का आदेश दे दिया। कलेक्टर ने साफ कर दिया कि ऐसे सभी कॉलोनाइडर जो विकास काम नहीं कर रहे, उन सभी की सूची बनाई जा रही है और यही सख्त कदम उठाएंगे, साथ ही बंधक प्लाट बेचने वालों पर भी लगातर एफआईआर हो रही है।
अब आईडीए करेगा विकास, वही प्लाट भी बेचेगा
कलेक्टर सिंह ने आदेश दिए हैं कि बंजारी की ग्राम बिहाडिया के सर्वे नंबर 68/1/1, 68/1/2 और 96/1/2 में 3.087 हेक्टेयर पर विकसित हो रही क़ॉलोनी ग्रीन लाइफ बंधक प्लाट राजसात किए जाएं। यहां पर 32 प्लाट बंधक थे। इसके साथ ही दूसरा आदेश पंजीयन विभाग को दिया अब यहां प्लाट की खरीदी-बिक्री और नामांरण पर रोक लगा दी गई है। तीसरा आदेश आईडीए को दिया गया है कि वह बंधक प्लाट को बेचेगा और फिर इससे मिली राशि से यहां पर विकास काम को पूरा करेगा।
आईडीए ही बेचेगा प्लाट
कलेक्टर सिंह ने साफ किया है कि जिस तरह आईडीए ( IDA ) अपने भूखंड बेचता है उसी तरह यह बंधक प्लाट की नीलामी होकर बिक्री की जाएगी और फिर प्राप्त राशि से यहां कॉलोनी का पूरा विकास किया जाएगा। कलेक्टोरेट की कॉलोनी सेल ने हिसाब लगाया है कि यहां पर विकास काम के लिए 3.64 करोड़ की जरूरत है। वहीं प्लाट बेचने से भी करीब इतनी राशि मिल जाएगी। ऐसे में विकास काम बेहतर हो जाएगा।
बंजारी पर हो गई एफआईआर
वहीं कलेक्टर के आदेश पर अरविंद बंजारी ( Arvind Banjari ) पर जिला प्रशासन ने बंधक प्लाट बेचने और तय समय में विकास नहीं करने के चलते बीएनएस धारा 308(4) और मप्र पंचायती एक्ट 1993 की धारा 61 घ (3) के तहत भी केस दर्ज करा दिया है। खुडैल थाने में बंजारी पर केस हुआ है। उस पर पहले भी केस हुआ था जिसमें वह जेल में रहकर आया है लेकिन जेल से रिहा होने के डेढ़ साल बाद भी उसने विकास काम नहीं किए। लोग 12 साल से पीड़ित थे। इसके चलते कलेक्टर ने यह सख्त कदम उठाया है।
शिकायतों के बाद हुई जांच
कॉलोनी सेल में लगातार ग्राम बिहाडिया के सर्वे नंबर 68/1/1 68/1/2 96/1/2 3.087 हेक्टेयर पर विकसित हो रही क़ॉलोनी ग्रीन लाइफ को लेकर शिकायतें आ रही थी। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले में कॉलोनी सेल के प्रभारी और अपर कलेक्टर गौरव बैनल व संयुक्त कलेक्टर प्रदीप सोनी को जांच के आदेश दिए थे। जांच में आया कि बंजारी ने सैंक़ड़ों भूखंडधारकों के साथ धोखाधड़ी की है, साथ ही जिला प्रशासन से 17 सितंबर 2012 में ली गई मंजूरी के बदले बंधक रखे गए 32 भूखंड में से भी दस बेच दिए हैं। साथ ही 12 साल साल में विकास काम पूरा नहीं किया गया है। बंजारी इसी धोखाधड़ी और 420 को लेकर जेल जा चुका, जेल से रिहा होने के डेढा साल बाद भी विकास काम पूरा नहीं किया गया। कलेक्टर द्वारा नोटिस देकर बंजारी से कारण पूछा गया लेकिन कोई समाधानकारक जवाब नहीं आया।
सैंकड़ों प्लाटधारकों के हित में उठाया यह कदम
मप्र ग्राम पंचायत ( कॉलोनियों का विकास ) नियम 2014 के नियम 16 में प्रवाधान है कि कॉलोनी विकास व्यय पेटे कॉलोनी के कुल विकसित भूखंड संख्या का 25 फीसदी जिला कलेक्टर के पास बंधक रखा जाता है। तीन साल में विकास काम पूरा नहीं करने पर नियम 19 के तहत सक्षम प्राधिकरी द्वारा इनका विक्रय कर राशि से कलोनी का विकास काम पूरा कराया जा सकता है। कलेक्टर श्री आशीष सिहं ने इसी नियम के तहत इन बंधख प्लाट को राजसात करने के आदेश दिए, इनकी बिक्री कर विकास काम आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) द्वारा किया जाएगा। इससे भूखंडधारकों को उनका वाजिब हक मिलेगा
तीन करोड़ रुपए है बंधक प्लाट की कीमत
जिला प्रशासन की कॉलोनी सेल ने यहां बाकी बचे विकास काम का भी पीडब्ल्यूडी, एमपीईबी, पीएचई विभाग से अनुमान निकलवाया है जो 3,64 करोड़ रुपए आया है। वहीं बंधक प्लाट को बेचने पर गाइडलाइन से 3.30 करोड़ रुपए करीब मिल जाएंगे। इससे यहां बेहतर विकास काम हो सकेगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक