डूब प्रभावितों ने खत्म किया जल सत्याग्रह, नर्मदा के बैकवॉटर में बैठे थे पीड़ित

मध्‍य प्रदेश और गुजरात सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पुनर्वास प्रक्रिया पर सवाल मेधा पाटकर ने सरकार की पुनर्वास प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की मौजूदा पुनर्वास प्रक्रिया लोगों के खिलाफ है।

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Sandeep Kumar
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नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत मेधा पाटकर ने बड़वानी के समीप छोटी कसरावद में 36 घंटे लंबे जल सत्याग्रह को समाप्त कर दिया है। यह निर्णय केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव देव मुखर्जी के आश्वासन के बाद लिया गया। मुखर्जी ने पाटकर को आश्वस्त किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बांध का जलस्तर 138.68 मीटर से अधिक नहीं बढ़ेगा। पुनर्वास प्रक्रिया जारी रहेगी। हालांकि, मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पुनर्वास प्रक्रिया पर सवाल मेधा पाटकर ने सरकार की पुनर्वास प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की मौजूदा पुनर्वास प्रक्रिया प्रभावित लोगों के अधिकारों के खिलाफ है। पाटकर ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में सार्थक परिणाम नहीं निकलते हैं तो वे जलसत्याग्रह फिर से शुरू कर सकती हैं।

जलस्तर और विस्थापन की स्थिति 

मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि डैम के फाटकों को समय पर नियंत्रित न करने और ओंकारेश्वर व इंदिरा सागर बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण हजारों घर तबाह हो गए हैं। सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 136 मीटर तक पहुंच गया है, जबकि इसे 122 मीटर पर रखना चाहिए था। पाटकर ने कहा कि भारी बारिश और जलस्तर में वृद्धि ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।

आश्वासन और आंदोलन की स्थिति 

जल सत्याग्रह स्थल पर बड़वानी तहसीलदार ने पाटकर और उनके सहयोगियों से मुलाकात की, जिन्होंने अपनी चिंताओं और मांगों के साथ एक ज्ञापन सौंपा। पाटकर ने कहा कि भले ही उन्होंने जल सत्याग्रह समाप्त किया है, लेकिन सरकार की ओर से सही और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो वह फिर से आंदोलन का रास्ता अपना सकती हैं।

नहीं बढ़ेगा बांध का जलस्तर 

इधर,वकील संजय पारिख ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव देव श्री मुखर्जी से बातचीत की। मुखर्जी ने संजय पारिख को आश्वस्त किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 138.68 मीटर से अधिक नहीं बढ़ेगा। इसके साथ ही पुनर्वास कार्य भी समयबद्ध तरीके से जारी रहेगा।

कई गांवों पर डूब का खतरा 

गौरतलब है कि सरदार सरोवर बांध के पानी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों पर डूबने का खतरा मंड़रा रहा है। इसे लेकर स्थानीय लोगों ने मेधा पाटकर की अगुआई में जल सत्याग्रह शुरू किया था। पीड़ित 36 घंटे से पानी में प्रदर्शन कर रहे थे। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक डॉ.सुनीलम ने सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी।

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