मध्य प्रदेश का वन विभाग ही कर रहा हाथियों पर कब्जा !

वन्य प्राणी संरक्षण के लिए बनाए गए वन विभाग का मध्य प्रदेश में यह हाल है कि यदि कोई हाथी गलती से भी मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश भी कर जाए तो वन विभाग उस पर कब्जा कर उसे दोबारा कभी जंगल में नहीं जाने देता।

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Neel Tiwari
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अनूपपुर से मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर गए हाथी को वन विभाग के द्वारा कब्जे में लेकर अपने टाइगर रिजर्व में इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग में लगा दिया गया। अधिनियम के अनुसार उसे वापस पुनर्वास की कोशिश न किए जाने के खिलाफ लगी याचिका में यह सामने आया कि पिछले 7 सालों से वन विभाग में जितने भी हाथियों को पकड़ा है। उसमें से एक भी हाथी वापस जंगलों में नहीं छोड़ा गया।

जबलपुर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच में चीफ जस्टिस की युगल पीठ के सामने एक जनहित याचिका की सुनवाई हुई रायपुर छत्तीसगढ़ के निवासी नितिन संघवी की ओर से दायर की गई। इस याचिका में हुई पिछली सुनवाई के दौरान अनूपपुर से पकड़े गए हाथी की स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए आदेशित किया गया था। आज एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और विनय सराफ की युगल पीठ में हुई इस मामले की सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश वन विभाग के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर शुभ रंजन सेन उपस्थित हुए। उन्होंने बताया के अनूपपुर से पकड़े गए हाथी का स्वास्थ्य अभी ठीक है एवं जांच कमेटी के स्टेटस रिपोर्ट के बाद उसे मुक्त करने पर फैसला लिया जाएगा। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने ऐसे तथ्य रखे जिससे यह सामने आ गया कि पिछले 7 सालों से वन विभाग जिस भी हाथी को पकड़ता है उसे कभी भी वापस जंगलों में नहीं छोड़ता।

2017 से वापस जंगल मे नहीं छोड़ा 1 भी हाथी

केंद्र और राज्य सरकार कि गाइड लाइंस के अनुरूप ही कार्य कर रहें हैं। याचिककर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने लिस्ट पेश करते हुए बताया कि साल 2017 से वन विभाग ने जितने भी हाथी पकड़े हैं।  उनमे से एक भी हाथी का पुनर्वास नहीं किया गया। बल्कि वन विभाग इनकी ट्रैनिंग करके इन्हे वन विभाग कि सेवा मे लगा दिया जाता है। वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम कि धारा 11 (क) के अनुसार अगर कोई जंगली जानवर मानव जीवन के खतरा बनता है और उसे पकड़ लिया जाता है। तो पहले उसके पुनर्वास यानि वापस प्राकृतिक आवास मे छोड़ने कि कोशिश कि जानी चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश का वन विभाग ऐसा ना करके पकड़े हुए हाथियों को अपनी सम्पत्ति बनाकर इस्तेमाल कर रहा है। 

मध्य प्रदेश की सीमा में ही आते ही पकड़ लिया हाथी 

छतीसगढ़ राज्य से सरगुजा क्षेत्र मे आने वाले एक हाथी को पकड़ा गया था । इस मामले मे याचिकाकर्ता ने बताया कि  24 जुलाई 2017 मे संजय गांधी टाइगर रिसर्व के पास से इस हाथी को पकड़ कर बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व को ट्रैनिंग के लिए दे दिया गया और फिर इसे भी बाघों कि निगरानी की ड्यूटी पर लगा दिया गया । इस हाथी के किसी भी प्रकार से हानी करने कि कोई भी सूचना कभी नहीं मिली थी उसके बाद भी सिर्फ बॉर्डर क्रॉस करने पर हाथी कि आजादी छीन कर वन विभाग ने उस पर कब्जा कर लिया । 

30 सालों मे पकड़े हाथियों की पेश करें रिपोर्ट 

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ़ की युगलपीठ ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया है की पिछले 30 सालों मे पकड़े गए हाथियों कि लिस्ट के साथ यह जानकारी दें, कि कितने हाथियों के पुनर्वास कि कोशिश हुई या पुनर्वास किया जा चुका है । 

बाहरी विशेषज्ञों से भी ली जाएगी सलाह 

याचिककर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का उदाहरण देते हुए निवेदन किया कि मध्यप्रदेश मे हाथियों के रहवासी क्षेत्र मे आने कि समस्या नई है, पर छतीसगढ़ जैसे राज्य इससे लंबे समय से निपट रहे हैं। तो हाथियों के पुनर्वास के लिए मध्यप्रदेश कि कमेटी को बाहरी विशेषज्ञों से सलाह ली जानी चाहिए । मध्यप्रदेश कि स्टेट कमेटी का जवाब आने बाद कोर्ट ने इस सुझाव को मानने का आश्वाशन दिया है।

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