BHOPAL : मध्य प्रदेश में वित्त विभाग से जारी आदेश के बाद वन विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। प्रदेश में 6 हजार 592 वनरक्षकों से वेतन वितरण में हुई गड़बड़ी के कारण 165 करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है। वित्त विभाग ने वसूली के लिए वेतन से कटौती को लेकर आदेश जारी कर दिया है। इस कटौती को लेकर वनरक्षकों में नाराजगी बढ़ गई है। अब रीवा और सतना के वनरक्षकों (forest guards) ने इस फैसले का विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ( (cm mohan yadav) को खून से पत्र लिखा हैं। साथ ही सीएम से 165 करोड़ रुपए की वसूली रोकने की मांग की है।
वसूली सही नहीं : वनरक्षक
वनरक्षकों का कहना है कि इसमें वन और वित्त विभाग की गलती है, विभाग की गलती की सजा उन्हें क्यों दी जा रही है। वेतन बैंड क्या देना है यह दोनों विभागों ने तय किया है। फिर वनरक्षकों से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अतिरिक्त राशि की वसूली करना सही नहीं है।
जानें पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में 6 हजार 592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपए की वसूली को लेकर अधिकारियों ने कार्यवाही शुरू भी कर दी है। वनरक्षकों को यह पैसा 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 के बीच वेतन में 480 रुपए प्रतिमाह ज्यादा दिया गया था। यह स्थिति वेतन बैंड ज्यादा (5680+1900) तय करने से हुई। वित्त विभाग के अनुसार इस अवधि में नियुक्त वनरक्षकों को 5200+1800 का वेतन मान दिया जाना था। लेकिन 5680+1900 का वेतन बैंड दे दिया गया है। जबकि वनरक्षक का पद सीधी भर्ती का नहीं है।
वित्त विभाग का तर्क झूठा!
वित्त विभाग के अधिकारियों के तर्क को झूठा बताते हुए वनरक्षकों का कहना है कि छठा वेतनमान लागू करते हुए 2009 में वित्त विभाग ने वन विभाग से वेतन का पुनर्निर्धारण करने को कहा था। इसके बाद वन विभाग ने वेतन का निर्धारण कर शासन को भेज दिया। फिर शासन ने सितंबर 2014 में इसे लागू कर दिया, वित्त विभाग से इसकी अनुमति नहीं ली, जो बाद में 2018 में ली गई। उन्हें 1900 ग्रेड-पे भी दे दिया गया। यह ग्रेड-पे 5 हजार 680 वेतन बैंड पर दिया जाता है। इसलिए वन विभाग के अधिकारियों ने 5 हजार 680 वेतन बैंड दे दिया, जिसे सभी जिला कोषालय अधिकारियों से स्वीकार किया है।
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165 करोड़ की वसूली का आदेश जारी
वित्त विभाग ने इसे गलत ठहराते हुए वेतन बैंड में संशोधन का आदेश निकाल दिया है। इसके बाद वन विभाग ने वनरक्षकों से 165 करोड़ की वसूली का आदेश दे दिया। इसके तहत वनरक्षकों से 1 लाख 50 हजार से 5 लाख तक की वसूली की जाएगी। इतना ही यह वसूली 12 प्रतिशत के साथ की जाएगी। अब इस प्रकार की वेतन से वसूली के आदेश ने वनरक्षकों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। परेशान वनरक्षक वन विभाग के अधिकारियों से लेकर मंत्री तक से न्याय की गुहार लगा चुके हैं।
वनरक्षकों ने खून से लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
इसको लेकर वनरक्षकों की नाराजगी बढ़ गई है। वनरक्षकों ने सीएम मोहन यादव को खून से पत्र लिखकर वेतन से वसूली के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। खून से पत्र लिखने वाले वनरक्षकों में मप्र कर्मचारी मंच सतना के विभागीय समिति अध्यक्ष नरेंद्र पयासी, अरविंद सिंह, मुकेश पांडे आदि शामिल हैं।
वेतन से वसूली नहीं होगी : अशोक पांडे
मप्र कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि विभाग की गलती से यदि कर्मचारियों को अधिक वेतन भुगतान किया जाता है तो उसकी वसूली कर्मचारियों के वेतन से नहीं होगी। हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कहा है कि वनरक्षकों के वेतन से वसूली करना विधि सम्मत नहीं है।
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