भोपाल. विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए डिप्टी कलेक्टर का पद छोड़ने वाली निशा बांगरे ( Nisha Bangre ) का करीब पांच महीने में ही राजनीति से मोह भंग हो गया है। वह अब फिर से सरकारी नौकरी करना चाह रही हैं ( Nisha Bangre applied for job again )। विधानसभा और लोकसभा चुनाव का टिकट न मिलने के बाद उनका मन नेतागिरी में नहीं लग रहा है। उन्होंने शासन से अपना पद वापस मांगा है। सरकारी नौकरी में वापस आने के लिए उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इसमें इस बात का जिक्र किया है कि उन्हें सरकारी नौकरी वापस चाहिए।
क्या कहता है नियम
जीएडी के अफसरों का कहना है कि वीआरएस के लिए आवेदन करने के एक माह के अंदर अपना निर्णय बदला जा सकता है। इस एक महीने के अंदर अपना वीआरएस का आवेदन वापस लेकर पुन: नौकरी मांगी जा सकती है। निशा बांगरे के केस में नौकरी वापस मिलना मुश्किल है। ज्ञात हो कि सरकार निशा का आवेदन स्वीकार नहीं करना चाह रही थी। इस पर निशा सुप्रीम कोर्ट तक गईं और आवेदन स्वीकार करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। बताया तो यह भी जाता है कि उनके परिवार वाले भी नहीं चाहते थे कि वो अच्छा खासी नौकरी से इस्तीफा दें। उस समय निशा ने किसी की भी बात नहीं मानी और नौकरी छोड़ दी। अब नेतागिरी की खाख छानने के बाद उन्हें हकीकत समझ में आ गई है और पुन: पहले वाली नौकरी चाहती हैं। ज्ञात हो कि निशा ने बैतूल जिले की आमला सीट पर कांग्रेस से टिकट मांगा था।
यह लिखा आवदेन में
निशा बांगरे ( Nisha Bangre ) ने पत्र में लिखा कि त्याग-पत्र देने के बाद राष्ट्र एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए आवेदिका ने विधानसभा चुनाव 2023 में प्रत्याशी के रूप में भाग लेने के लिए पुनः दिनांक 2/09/23 को त्याग-पत्र स्वीकार किए जाने हेतु आवेदन दिया। किंतु त्याग-पत्र देनांक 23/10/23 को स्वीकार किया जाकर आवेदिका के वकील को आदेश 24/10/23 को अवकाश के दिन बुलाकर दिया गया और 26/10/23 को मेल के माध्यम से त्याग-पत्र स्वीकार होने का आदेश आवेदिका को प्राप्त हुआ। इस वजह से आवेदिका को शासकीय अवकाश होने से मात्र 02 दिवस (दिनांक 27/10/23 एवं 30/10/23) मिले थे। इसके कारण आवेदिका नामांकन पत्र के साथ जमा किए जाने वाले दस्तावेज (अदेयता प्रमाण-पत्र इत्यादि) नहीं जुटा पाई एवं नामांकन-पत्र नहीं भर पाई। जिस आधार पर त्याग पत्र स्वीकार किया गया था, वह परिस्थिति बन नहीं पाई।