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संजय गुप्ता@ INDORE.
वाणिज्यिक कर विभाग के पूर्व डायरेक्टर और मप्र वाणिज्यिक कर अपीलेट बोर्ड के पूर्व मेंबर नर्मदा प्रसाद ( Narmada Prasad ) उपाध्याय से मप्र शासन द्वारा 22 लाख 92 हजार 290 रुपए की वसूली नहीं होगी। इस मामले में मप्र शासन की ओर से लगी रिट अपील को हाईकोर्ट इंदौर की डबल बैंच ने खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि उपाध्याय एक जाने- माने साहित्यकार भी है, उनकी कई कृति, पुस्तक प्रकाशित होने के साथ ही वह कई पुरस्कारों से भी सम्मानित है।
मप्र हाईकोर्ट डबल बैंच ने यह दिया आदेश
मप्र शासन वाणिज्यिकर विभाग के साथ ही रजिस्ट्रार मप्र वाणिज्यिकर अपीलीय बोर्ड और चेयरमैन बोर्ड, कमिशनर वाणिज्यिक कर व अकाउंटेंट जनरल लेखा विभाग की ओर से यह रिट अपील दायर की गई थी और इसमें उपाध्याय को पार्टी बनाया गया था। हाईकोर्ट डबल बैंच ने पाया कि इस मामले में उपाध्याय द्वारा लगाई गई रिट अपील पर जो फैसला आया था, इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं बनता है।
रिट अपील में उपाध्याय के पक्ष में आया था फैसला
इसके पहले रिट अपील में उपाध्याय इस वसूली नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे, जिसमें अगस्त 2023 में फैसला आया था और इसमें वसूली नोटिस को गलत पाया गया और इसे रोक दिया गया। उपाध्याय के पक्ष में फैसला दिया गया। इसके खिलाफ ही मप्र शासन अपील में गया था, जिसमें अब फैसला आया है।
यह है मामला
उपाध्याय 1975 में वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में चयनित हुए और फिर 2009 में विभाग के सबसे बड़े पद डायरेक्टर तक पहुंचे। इसी दौरान उन्हें बोर्ड में अकाउंटेंट मेंबर के तौर पर नियुक्त होने का ऑफर मिला। उन्होंने इसके लिए विभाग में वेतन बढ़ाने की बात रखी जिसे मान्य करते हुए सचिव स्तर का वेतन मान्य किया गया। उनकी उस समय रिटायरमेंट उम्र 31 जनरी 2012 तक थी, वह तब 60 साल के हो रहे थे। वह 14 जनवरी 2010 को बोर्ड में मेंबर थे। बोर्ड में उनकी अधिकतम उम्र 63 साल तक पात्रता थी, वह 2014 में वहां से रिटायर हुए। लेकिन बाद में मप्र शासन ने उनके पुराने डायेरक्टर वेतन और रिटायरमेंट उम्र 60 साल का हिसाब लगाते हुए उन पर 1 फरवरी 2012 से 31 दिसंबर 2014 तक लिए गए अधिक वेतन पर रिकवरी निकालते हुए 22.92 लाख रुपए अधिक लिए जाने पर वसूली नोटिस जारी कर दिया। इसी को लेकर वह हाईकोर्ट गए थे। इसके बाद यह रिकवरी अब रुक गई है।