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BHOPAL. भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व IAS अधिकारी गोपाल डांड (Gopal Dand) को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ओएसडी नियुक्त किया गया है। इसके साथ ओएसडी गोपाल डांड को अहम जिम्मेदारी भी दी गई है। प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के ओएसडी के रूप में गोपाल डांड आगामी उज्जैन सिंहस्थ से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को भी देखेंगे। बताया जा रहा है कि वे उज्जैन के विकास से जुड़े अन्य कार्यों को भी देखेंगे।
मुख्यमंत्री के ओएसडी बने गोपाल डांड
पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल डांड, 2008 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान वे अपर कलेक्टर के रूप में पदस्थ थे। बाद में उन्हें आईएएस अवार्ड मिला और वे रीवा के संभागीय कमिश्नर पद से रिटायर हुए। उन्होंने खरगोन और रतलाम जिलों में भी कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनकी प्रशासनिक सेवाओं का व्यापक प्रभाव रहा और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया। अब उनके सराहनीय कार्यों को देखते हुए मध्य प्रदेश शासन द्वारा उनको मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी के पद पर नियुक्त किया गया है।
33 साल की सेवा के बाद रीवा से रिटायर हुए थे गोपाल डांड
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व सीनियर अधिकारी गोपाल डांड 33 साल की सिविल सेवा के बाद 30 जून 2024 को रीवा संभाग के कमिश्नर गोपाल डांड पद से से रिटायर हुए थे। इस दौरान विदाई समारोह में गोपाल डांड ने अधिकारियों और कर्मचारियों के सामने अपने अनुभवों को साझा किया था। उन्होंने कहा कहा था कि मैं राजस्थान का रहने वाला हूं,लेकिन अब मध्यप्रदेश का हो गया हूं... शासकीय सेवा में कई शानदार अनुभव हुए। इस दौरान उन्होंने बताया था कि अपने कार्यकाल में उन्हें कई कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन और इलाज की व्यवस्था करना। उन्होंने 2016 में उज्जैन में हुए सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान आई प्राकृतिक आपदा से निपटने का भी उल्लेख किया था।
रतलाम के कलेक्टर रह चुके हैं डांड
बता दें कि गोपाल डांड रतलाम के कलेक्टर रह चुके हैं, उन्होंने रतलाम में तीन बार कार्य करने का अनुभव साझा करते हुए कहा था कि रीवा में उन्हें कम समय में चुनाव आचार संहिता के चलते काम करने का अवसर मिला, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने शासन की योजनाओं और कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन के लिए अपना पूरा प्रयास किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए और बड़े त्योहारों में भी शांति बनाए रखी गई।
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