कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री आरिफ अकील का निधन हो गया है। हार्ट में प्रॉब्लम के चलते उन्हें ( 28 जुलाई ) को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। आरिफ वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उनकी तबीयत नाजुक बताई जा रही थी।
वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे आरिफ
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री आरिफ अकील की तबीयत 28 जुलाई को अचानक बिगड़ गई थी। आनन-फानन में उन्हें भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने तबियत नाजुक बताते हुए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। बताया जा रहा है कि हार्ट में समस्या के बाद आरिफ को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था।
हार्ट में आया था ब्लॉकेज
आरिफ, हार्ट की समस्या से पिछले एक साल से जूझ रहे थे। पिछले साल अचानक उन्हें हार्ट में परेशानी होने लगी थी। इसके बाद उनका अस्पताल में काफी लंबा इलाज चला था। जांच में उनके हार्ट में ब्लॉकेज पाए गए थे। गुरुग्राम के निजी हॉस्पिटल में उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी।
छह बार विधायक रहे हैं आरिफ
आरिफ अकील भोपाल उत्तर विधानसभा से 6 बार विधायक रहे हैं।
- भोपाल उत्तर विधानसभा में पहली बार 1977 में निर्वाचित हुए थे।
- 1980 में रसूल अहमद सिद्दीकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से विधायक बने।
- 1990 में आरिफ अकील पहली बार उत्तर विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए।
- 1993 में बीजेपी के रमेश शर्मा ने अकील को हरा दिया।
- 1998 से लेकर 2018 तक के चुनाव में इस सीट पर अकील का दबदबा ही कायम रहा।
हालांकि 2023 में तबीयत खराब रहने के चलते आरिफ की जगह उनके बेटे आतिफ अकील को कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से उम्मीदवार बनाया। आतिफ इस सीट से विधायक हैं। बता दें, आरिफ अकील दो बार मंत्री भी रह चुके हैं।
सबसे ज्यादा शिक्षित विधायकों में शामिल
आरिफ अकील के हिस्से शैक्षणिक डिग्रियों की भरमार रही है। उन्होंने कई स्नातकोत्तर डिग्री के साथ विधि की पढ़ाई भी की थी। पिछली कांग्रेस सरकार में शामिल रहे विधायक मंत्रियों में सर्वाधिक डिग्रियां रखने वाले अकील ही थे।
पैरों में पहनते थे दो बद्दी की स्लीपर
अकील को एलर्जी की समस्या थी। इस वजह से वे चमड़े से बनी वस्तुओं इस्तेमाल नहीं करते थे। यही वजह है कि वे हमेशा पैरों में दो बद्दी की स्लीपर पहना करते थे। वहीं अकील के छात्र राजनीति कार्यकाल में उनका सिगरेट पीने का खास अंदाज भी बहुत पसंद किया जाता था। अंगूठे और उंगली के बीच दबाकर गहरा कश खींचना लोग अब भी याद करते हैं।
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