पूर्व विधायक पारस सखलेचा की याचिका हाईकोर्ट से खारिज, व्यापमं घोटाले की जांच जल्द पूरी करने की थी मांग

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने पूर्व विधायक पारस सखलेचा की याचिका खारिज कर दी है। सखलेचा का कहना है कि पांच साल हो गए और मुझे पता भी नहीं कि उन तथ्यों का मेरी शिकायत का और व्यापमं घोटाले का क्या हुआ है ? इसलिए ये याचिका दायर की गई थी।

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Rahul Garhwal
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Former MLA Sakhalecha petition for early completion of investigation in Vyapam scam rejected by High Court
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Paras Sakhalecha Petition Rejected By High Court

संजय गुप्ता, INDORE. व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई और एसआईटी के बीच सालों से चल रही है। इसी मामले में जांच जल्द पूरी करने के लिए लगी पूर्व विधायक पारस सखलेचा की याचिका हाईकोर्ट इंदौर की डबल बेंच में खारिज हो गई। इस मामले में अब सखलेचा सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।

सखलेचा ने इसलिए लगाई थी याचिका

सखलेचा ने इस मामले में मप्र शासन, एसपी स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) और सीबीआई को पार्टी बनाया था। सखलेचा ने मांग की थी कि इसमें एसटीएफ को निर्देश दिए जाएं कि वे जांच एक समय सीमा में पूरी करें, खासकर उन मुद्दों पर जो याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए हैं और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करें।
 
ये रखे गए तर्क

सखलेचा ने द सूत्र से बात करते हुए बताया कि नवंबर 2014 में एसटीएफ ने एक सार्वजनिक सूचना जारी की थी और इसमें इस घोटाले को लेकर सभी से जानकारी, दस्तावेज बुलाए थे। मैंने भी इस घोटाले से जुड़े कई अहम जानकारी, दस्तावेज एसटीएफ को दिए थे। फिर घंटों तक मेरे दो बार 2017 और 2019 में बयान हुए, लेकिन पांच साल हो गए और मुझे पता भी नहीं कि उन तथ्यों का मेरी शिकायत का और व्यापमं घोटाले का क्या हुआ है ? इसलिए ये याचिका दायर की गई थी। 

शासन द्वारा ये रखे गए तर्क

शासन द्वारा कहा गया कि इस याचिका का मतलब नहीं है। ये राजनीतिक उद्देश्य से है क्योंकि वे याचिकाकर्ता खुद एक राजनेता हैं। ये भी कहा गया कि इसमें कई घोटाले शामिल हैं और कई व्यक्ति भी। इसलिए जांच में जल्दबाजी करने से प्रक्रिया में गड़बड़ हो जाएगी। इसलिए थोड़ी देर लाजिमी है और वैसे भी ऐसा नहीं है कि इस केस में कोई प्रगति नहीं हो रही है। जांच चल रही है। देरी का आरोप लगने के चलते कोई जल्दबाजी नहीं की जा सकती है। वैसे भी याचिकाकर्ता ना घोटाले में पक्षकार हैं और ना ही व्यापमं के लाभार्थी, इसलिए केवल शिकायत करने से कोई कानूनी अधिकार नहीं मिल जाता है।

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कोई कानून का उल्लंघन नहीं हुआ

इस मामले में डबल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास कोई वैधानिक और कानूनी अधिकार नहीं है। अधिकारियों से ओर से कोई वैधानिक कर्त्तव्य का उल्लंघन नहीं हुआ है, जिस पर विचार किया जा सके। याचिका में कोई मेरिट और सार नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

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