बिल्डर संजय दासौद का रसीदों पर खेल, बिना विकास मंजूरी, रेरा को ही बेच डाला 200 करोड़ का माल

कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) द्वारा सख्ती दिखाने के बाद हुई धोखाधड़ी की एफआईआर के बाद चार सौ बीस बिल्डर संजय दासौद बुरी तरह बैचेन है।

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Sanjay gupta
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धोखाधड़ी में माहिर बिल्डर संजय दासौद ( Builder Sanjay Dasoud ) असल मायने में सफेदपोश भूमाफिया है, जो अभी तक बचा हुआ था। दासौद भूमाफिया दीपक मद्दा (Land mafia Deepak Madda) की तरह जमीनों का बड़ा खिलाड़ी है। मद्दा ने जहां सहकारी समितियों की जमीन में मुख्य तौर पर खेल किया, वहीं दासौद ने आम लोगों के पैसे ठगने में अपना दिमाग लगाया। किसानों से सौदा करने के साथ ही कच्चे में प्लाटिंग शुरू कर प्लाट की बिक्री कर देना मूल रूप से दासौद का फंडा रहा है। कई कॉलोनियों का विकास काम खाली पड़ा है और सालों से लोगों के रुपए अटके हुए हैं। 

मामला दबवाने के लिए भोपाल से उज्जैन तक की दौड़

कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) द्वारा सख्ती दिखाने के बाद हुई धोखाधड़ी की एफआईआर के बाद चार सौ बीस बिल्डर संजय दासौद बुरी तरह बैचेन है। पहले कार्रवाई रूकवाने के लिए इंदौर स्तर पर अपने एक करीबी के जरिए बहुत जोड़तोड़ कराई। लेकिन जब दाल नहीं गली तो खुद भोपाल भागा और वहां से फोन करवाए लेकिन फिर भी नहीं चली तो उज्जैन की ओर गाड़ी घुमाई और वहां भी प्रयास किए लेकिन हर तरफ से ना सुनने को मिली और अब पुलिस से बचता फिर रहा है।

क्यों बैचेन है दासौद

दरअसल, अभी तक इंदौर में किसी भी अभियान में दासौद को नही पकड़ा गया है, जबकि कॉलोनियों को लेकर लगातार शिकायतें थी। अब जाकर यह कार्रवाई हुई है और अभी केवल एक कॉलोनी की चोरी पकड़ी गई है और केस दर्ज हुआ है, जबकि उसने कई कॉलोनियों में बंधक प्लाट बेचे हैं। इसकी भी प्रशासन द्वारा जांच कराई जा रही है। वहीं अब इन कॉलोनियों को कार्यपूर्णता नहीं मिलेगी और आगे भी किसी कॉलोनी में विकास मंजूरी संदिग्ध हो गई है। यानी दासौद की आर्थिक कमर कभी भी टूट सकती है, क्योंकि बाजार से बुकिंग लेकर 200 करोड़ से ज्यादा की देनदारी खड़ी हुई है। 

200 करोड़ से ज्यादा का माल यहां बेचा

दासौद ने सांवेर रोड पर शिवनगरी, बायपास पर सिम्बा सिटी और कनाडिया पर आईफिल टावर कॉलोनी में बिना किसी काम के ही 200 करोड़ से ज्यादा का माल कागजों पर बेच डाला है। इसके लिए अब डायरी बंद करते हुए उसने बुकिंग करने वालों को रसीद दी है। यह रसीदें भी प्रशासन के पास पहुंच चुकी है। रसीदों पर उसने चालाकी दिखाई है कि ग्रुप का नाम लिखा है लेकिन कॉलोनी का नाम नहीं लिखा, ताकि कल को कोई शिकायत हो तो वह बता सके कि हमने रेरा मंजूरी वाले प्रोजेक्ट में यह डील की है। 

किसानों ने सौदे भी रद्द कर डाले

सूत्रों के अनुसार शिवनगरी में बड़ा खेल तो किसानों ने ही उजागर किया है। कुछ किसानों ने तो दासौद से बुकिंग के बाद पैसा नहीं मिलने पर सौदे रद्द कर दिए। लेकिन दासौद ने सौदे में नहीं मिली जमीन पर भी प्लाटिंग कर रसीदों पर पैसा ले लिया है। यानी दासौद अगला भूमाफिया चंपू अजमेरा बन गया है, जो कॉलोनी पूरी होने औऱ् मंजूरी मिलने से पहले ही प्लाट बेच डालता है। 

सबसे बड़ा रसीद किंग है दासौद

आज की तारीख में इंदौर में सबसे बड़ा डायरी या कहें कि रसीद किंग संजय दासौद है। हालत यह है कि एक भी प्रोजेक्ट में ऊंच-नीच हुई नहीं कि 200 करोड़ से ज्यादा की देनदारी संजय दासौद पर आ जाएगी और कमर टूट जाएगी। वहीं इसके द्वारा लाई गई कॉलोनियों में विकास काम कभी भी अच्छे स्तर का हुआ ही नहीं, अभी तक जैसे-तैसे जुगाड़ से काम चल रहा है। लेकिन अब कलेक्टर आशीष सिंह की सख्ती के बाद सभी कॉलोनियां जांच के घेरे में आ ग चुकी है। 

धोखाधड़ी की हुई है FIR

हाल ही में कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने संजय दासौद पर धोखाधड़ी की धाराओं में (आईपीसी की 420 धारा) में सिमरोल थाने में केस दर्ज कराया है, क्योंकि इसने साकार रियल लाइफ प्रोजेक्ट में 57 बंधक प्लाट बेच डाले हैं। इस तरह करीब 11 करोड़ की धोखाधड़ी जिला प्रशासन के साथ ही प्लाट धारकों से की है, क्योंकि नियमानुसार यह 57 रजिस्ट्री अमान्य है।

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कलेक्टर आशीष सिंह Land mafia Deepak Madda भूमाफिया दीपक मद्दा बिल्डर संजय दासौद Builder Sanjay Dasoud 200 करोड़ का धोखाधड़ी