/sootr/media/media_files/2025/07/02/ganga-pathak-arrest-interim-relief-2025-07-02-12-56-26.jpg)
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद पत्रकार गंगा पाठक और उनकी पत्नी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी।
इस पर जस्टिस एम.एम. सुंदरेष और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की। वहीं सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है। जानें क्या था पूरा मामला...
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
गौरतलब है कि आरोपों की अग्रिम जमानत याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वे फरार हैं। साथ ही गिरफ्तारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को प्रथम दृष्टया सुनवाई योग्य मानते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई। वहीं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
न संपत्ति पर दावा, न रकम की रिकवरी
गंगा पाठक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनीष क्षीरसागर और एडवोकेट रविशंकर यादव ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में यह दलील दी कि हम केवल जमीन के क्रेता हैं। जिस समय रजिस्ट्री कराई, उस समय रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन सामान्य श्रेणी की दर्शाई गई थी। बाद में नामांतरण के समय पता चला कि यह आदिवासी भूमि है।
साथ ही उन्होंने कहा, हमने कोई प्रॉपर्टी क्लेम नहीं किया, न कोई रिकवरी का केस लगाया है। आदिवासी की शिकायत पर SDM को केवल विक्रय पत्र शून्य करना था, लेकिन उन्होंने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया। इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी।
SDM की जांच में हुए गंभीर खुलासे
मामले में एसडीएम अभिषेक सिंह ठाकुर की जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसके आधार पर जबलपुर के तिलवारा थाना (FIR क्रमांक 93/25) और बरगी थाना (FIR क्रमांक 120/25) में गंगा पाठक, उनकी पत्नी एवं अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुए। इसमें IPC की धाराएं 419, 420, 467, 468, 471 और SC/ST एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था।
FIR के अनुसार, आदिवासी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए सामान्य जाति की बताकर बेचा गया। गंगा पाठक और उनकी पत्नी पर इस खरीद में शामिल रहने का आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ मामलों में मृतकों के नाम पर रजिस्ट्री तक कराई गई थी।
पुलिस ने छापे मारे, इनाम घोषित किया
गिरफ्तारी से बचते रहने के चलते जबलपुर पुलिस ने आरोपियों पर इनाम घोषित किया था। इसमें गंगा पाठक पर 20 हजार, उनकी पत्नी ममता पाठक पर 10 हजार और एक अन्य आरोपी द्वारका त्रिपाठी पर 15 हजार का इनाम रखा गया था।
उनके संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी की गई। लेकिन इसी बीच द्वारका त्रिपाठी को उम्र और खराब स्वास्थ्य के चलते हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। अब गंगा पाठक और ममता पाठक को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है।
अगली सुनवाई होगी अगस्त में
सुप्रीम कोर्ट से गंगा पाठक और ममता पाठक को मिली राहत फिलहाल अंतरिम है। प्रशासनिक जांच जारी है। एफआईआर में दर्ज गंभीर धाराओं पर पुलिस विवेचना कर रही है। अगली सुनवाई में शीर्ष अदालत तय करेगी कि उन्हें स्थायी राहत मिलेगी या नहीं।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧👩
आदिवासी जमीन मामला | Ganga Pathak | Supreme Court | Madhya Pradesh | MP News | MP