बिपिन रावत…जिन्होंने भारतीय सेना की ताकत का दुनिया में फूंका था बिगुल

आज यानी 8 दिसंबर को देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत की पुण्यतिथि है। आठ दिसंबर 2021 की वह तारीख भारत के लिए एक काला दिन थी, जब जनरल बिपिन रावत हवाई दुर्घटना में शहीद हो गए थे। 

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Sandeep Kumar
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आठ दिसंबर 2021 की वह तारीख भारत के लिए एक काला दिन थी, जब जनरल बिपिन रावत हवाई दुर्घटना में शहीद हो गए। वे भारतीय सेना के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) थे, जिन्होंने देश की रक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा दी। जनरल रावत की पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी यादें और योगदान को सम्मानित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में जनरल रावत की स्मृति में रचनात्मक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की गई है। इन आयोजनों का उद्देश्य जनरल रावत की योगदान को न केवल याद रखना, बल्कि उनके द्वारा किए गए कार्यों को समाज में फैलाना है।

 CDS थे बिपिन रावत

दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत (GN Bipin Rawat)  इस पद पर नियुक्त किए गए। बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे। नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे रावत ने साल 2016 में 27वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था। करीब 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं।

17 दिसंबर 2016 को किए गए थे सम्मानित

साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले जनरल रावत ने 17 दिसंबर 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला। उनसे पहले जनरल दलबीर सिंह सुहाग इस पद पर तैनात थे। रावत सबसे पहले 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन के जवान के रूप में सेना का हिस्सा बने थे। चार दशकों की सेवा के दौरान रावत ब्रिगेडियर कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (GOC-C) सदर्न कमांड, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी समेत कई बड़े पदों पर रहे। वो संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा रहे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली।

जनरल रावत की कृतियों पर चर्चा

कोटद्वार और देहरादून में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रमों में जनरल रावत की रणनीतिक सोच और सेना में उनके योगदान पर गहन चर्चा की गई। रक्तदान शिविरों में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और जनरल रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रक्तदान किया। जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने के लिए कोटद्वार और देहरादून में रक्तदान शिविर और स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किए गए। देवभूमि विकास संस्थान ने जनरल रावत की पुण्यतिथि पर विशेष कार्यक्रमों की योजना बनाई है ताकि उनकी स्मृतियां हमेशा ताजगी बनी रहें।

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