गोविंद सिंह राजपूत के अपहरण केस में क्लोजर रिपोर्ट, मामला जमीन विवाद से जुड़ा

मध्य प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर लगाए गए अपहरण के आरोपों की एसआईटी ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कोई ठोस सबूत नहीं पाए गए।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर लगाए गए अपहरण के आरोपों की जांच करने वाली, स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने सीजीएम कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्री पर लगाए गए अपहरण के आरोपों के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिले। हालांकि, SIT ने यह स्वीकार किया कि साल 2000 से 2007 तक भूमि रिकॉर्ड में कुछ अनियमितताएं पाई गईं हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 22 अगस्त 2016 को सागर जिले के मानसिंह पटेल अचानक लापता हो गए थे। इससे तीन महीने पहले, उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के सामने हलफनामा पेश किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया है। उनके इस आरोप के बाद, सिविल लाइंस थाना प्रभारी ने मौके पर जाकर जांच की और रिपोर्ट दी कि पिछले तीन महीने से मंत्री का भवन निर्माण चल रहा था।

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मामले की जांच: सुप्रीम कोर्ट का आदेश

मानसिंह पटेल के लापता होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के बाद, अगस्त 2024 में कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदेश दिया कि तीन आईपीएस अफसरों की एसआईटी गठित की जाए और मामले की जांच की जाए। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2000 से 2007 के बीच भूमि रिकॉर्ड में अनियमितताएं हुई थीं, लेकिन अपहरण के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

एसआईटी के दावों का विरोध

एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में मानसिंह पटेल को गवाह बना दिया। रिपोर्ट में इंस्पेक्टर लखन लाल उड्के को शिकायतकर्ता और गवाह दोनों के रूप में पेश किया गया। लेकिन हकीकत यह है कि मानसिंह पटेल तो 2016 से लापता हैं, और एसआईटी का गठन ही उन्हें ढूंढ़ने के लिए किया गया था।

एसआईटी ने यह भी दावा किया कि विवादित जमीन के बेटे और भाई ने उस पर कब्जा किया है, जबकि 2016 में मानसिंह पटेल ने खुद शिकायत दी थी कि मंत्री ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और सरकारी रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज करवा लिया है।

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सफाई

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने एसआईटी को बताया कि 2011 में कंप्यूटर रिकॉर्ड में गलती से उनकी जमीन के दस्तावेज में एंट्री हो गई थी। उन्होंने दावा किया कि 3 अक्टूबर 2016 को, यानी मानसिंह पटेल के लापता होने के बाद, उन्होंने अपने नाम को रिकॉर्ड से हटाने के लिए आवेदन किया था।

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एसआईटी की रिपोर्ट पर उठे सवाल

एसआईटी चीफ अभय सिंह ने कहा कि मानसिंह को गवाह के रूप में दिखाना एक तकनीकी गलती थी, और सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्देशों का पालन किया गया है। दूसरी तरफ, विवादित जमीन के पास स्थित 17 एकड़ जमीन के मालिक विनय मलैया ने एसआईटी के सामने गवाही दी थी कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके गुर्गों ने मानसिंह पटेल की हत्या कर दी थी। विनय मलैया ने अब अपहरण के मामले को बंद करने के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की है।

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