राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक बड़ा सवाल गूंज रहा है आखिर कौन हैं राव यादवेंद्र सिंह यादव, जो गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने ताल ठोकने जा रहे हैं? आखिर कौन हैं राव यादवेंद्र सिंह यादव ( Rao Yadvendra Singh Yadav ) जिनके लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का टिकट भी काट दिया गया! तो चलिए हम आपको बताते हैं कांग्रेस से लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे यादवेंद्र सिंह की राजनीति की कहानी…
यादव होने का मिला फायदा
गुना लोकसभा में यादव समाज के वोटों की संख्या लगभग दो लाख है। सबसे ज्यादा मुंगावली विधानसभा में 50 हजार से ज्यादा यादव वोटर हैं। इसके अलावा चंदेरी, कोलारस और शिवपुरी में भी यादव बड़ी संख्या मे हैं। इसलिए कांग्रेस के सबसे मजबूत विकल्प यादवेंद्र ही थे।
मां भाजपाई, बेटा कांग्रेसी
अशोकनगर का राव भवन, यही यादवेंद्र का घर है, जहां वे अपनी मां, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहते हैं। परिवार के लगभग सभी लोग चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं। कुछ महीने पहले तक परिवार के सभी सदस्य भाजपा में थे। अब परिवार राजनीतिक रूप से दो हिस्सों में बंट चुका है। यादवेंद्र और उनकी पत्नी कांग्रेस में हैं तो भाई और मां भाजपा में। है न रोचक! एक ही घर में BJP- कांग्रेस के सवाल पर यादवेंद्र कहते हैं कि सबकी अलग-अलग विचारधारा होती है। गुना लोकसभा में लाखों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो मेरे साथ खड़े हैं। वे मेरा प्रचार करेंगे। मां का आशीर्वाद हमेशा रहता है। मां तो मां होती है। सबकी मां अपने बच्चों को आशीर्वाद देती है।’
सिंधिया के परंपरागत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी
यादवेंद्र सिंह का परिवार मूल रूप से अमरोद गांव का रहने वाला है। उनके पिता स्व. देशराज सिंह यादव इस इलाके में भाजपा का बड़ा नाम थे। वह अविभाजित गुना जिले के दो बार भाजपा जिलाध्यक्ष और तीन बार मुंगावली से विधायक रहे। उन्होंने 6 बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
कट गया अरुण यादव का पत्ता
अरुण यादव खंडवा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इस बार उन्होंने गुना-शिवपुरी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने केपी यादव को टिकट दिया। कांग्रेस के टिकट से ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में थे। इस चुनाव में सिंधिया को हार मिली थी। अब सिंधिया बीजेपी में हैं। अरुण यादव यहां से चुनाव लड़कर यादव वोट बैंक पर सेंध लगाना चाहते थे।