भोपाल के संत नगर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान प्रमुख कार्यक्रम वेदांत संत लालसाई के सानिध्य में टेंपल ऑफ संबोधि में संपन्न हुआ। गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित इस सादे गरिमामय कार्यक्रम में भारत के सैकड़ो लोगों ने वेदांत संत लालसाईं से आशीर्वाद लेकर उनका वंदन किया। साईं से मुलाकात और आशीर्वाद प्राप्त करने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।
वेदांत संतलाल साईं महाराज ने सुनाई कथा
गुरु पूर्णिमा के इस पावन महोत्सव के उपलक्ष्य में वेदांत संतलाल साईं महाराज के पावन सानिध्य में भजन कीर्तन और प्रवचन हुए। साईं ने गुरु पूर्णिमा महोत्सव के इस आयोजन के दौरान एक छोटी सी कथा बताते हुए कहा कि
एक भोला भाला युवक था वो और उसकी मां के घर बनाते हैं अब मां युवक से कहती है कि तुम बाज़ार जाओ और ईश्वर की एक सुंदर सी मूरत ले आओ जिसको हम मंदिर में विराजमान करें। युवक जब जाने को होता है तो मां कहती है मैं तुम्हारे कुर्ते में गांठ बांध देती हूं जिससे कि तुम मूर्ति ले आना नहीं भूलोगे। परंतु शाम को जब वह लौटता है उसके हाथ ख़ाली देखकर मां ने पूछा की मूर्ति कहा है, तो उसने कहा मैं तो मूर्ति लाना भूल गया। मां ने पूछा गांठ क्यों लगायी थी? आगे साईं ने कहा कि हमसे भी यही गलती होती है गुरु मंत्र याद रहता है गुरुजी याद रहते है परंतु हम यह भूल जाते हैं कि हम परमात्मा की खोज में गुरु के पास आए थे गुरु से मंत्र पाए थे और वो मंत्र गांठ की तरह है जो हमारे मन पर सदा चोट करता रहता है । मन उस गांठ रूपी मंत्र को पकड़ लेता है लेकिन ईश्वर को प्रेम नहीं कर पाता ,ध्यान नहीं कर पाता अगर इसी अवस्था में तुम रहोगे तो तुम भी अटकोगे गुरु को भी अटकाओंगे । बस एक बात याद रख लो तुम इस संसार में ईश्वर को पाने आए हो, ईश्वर से मेरा तात्पर्य उस सच्चिदानंद से हैं जो तुम्हारा निज स्वाभाव है।
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