अफसरों और इंजीनियरों को ठगने वाला 12वीं पास एमपी पुलिस के हत्थे चढ़ा, करतूतें जानकर हो जाएंगे हैरान

ग्वालियर साइबर पुलिस ने एक बड़े इंटर स्टेट ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है। जिसका सरगना मनीष गुप्ता है। यह गिरोह बिहार से लेकर दिल्ली तक फैला हुआ था।

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Dablu Kumar
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ग्वालियर साइबर पुलिस ने एक बड़े इंटर स्टेट ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें मनीष गुप्ता नाम का एक मास्टरमाइंड शामिल था। यह गिरोह बिहार के छपरा से लेकर दिल्ली तक सक्रिय था और विभिन्न राज्यों में ठगी की घटनाओं को अंजाम दे चुका था। मनीष और उसके साथी दीपक कुमार ने ठगी का नेटवर्क कॉल सेंटर के माध्यम से चलाया, जिसमें लाखों की ठगी की गई।

फ्रेंचाइजी के नाम पर की गई ठगी

ग्वालियर के एक व्यापारी प्रदीप सेन से कैडबरी कंपनी की फ्रेंचाइजी दिलवाने के नाम पर 5.70 लाख रुपये ठग लिए गए। दिल्ली में एक अन्य व्यापारी से भी इसी प्रकार 20 लाख रुपये की ठगी की गई। गिरोह के एजेंट अलग-अलग राज्यों में बैठकर एटीएम से पैसे निकालते थे। यह पूरी प्रक्रिया 20 मिनट के अंदर होती थी। 

बिहार से सीखा ठगी करने का तरीका

पुलिस के अनुसार, मनीष गुप्ता ने ठगी के तरीकों को बिहार के छपरा स्थित एक ठगी सिखाने वाले 'इंस्टीट्यूट' से सीखा। इसके बाद उसने इस ठगी के तरीके को पूरे बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में फैलाया।

मनीष और दीपक कुमार ने युवाओं को कॉल सेंटर में काम पर रखा और उनके बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल करके लाखों रुपए की धोखाधड़ी की।

कैसे ठगी करते थे मनीष और दीपक?

मनीष गुप्ता और दीपक कुमार ने कॉल सेंटर के माध्यम से युवाओं को 15,000 रुपए महीने की सैलरी पर काम पर रखा। उनकी शर्त यह थी कि युवक अपनी बैंक अकाउंट डिटेल्स और जरूरी दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड और पैन कार्ड उन्हें देंगे। इसके बाद इन अकाउंट्स का इस्तेमाल ठगी करने के लिए किया जाता था और बैंक ट्रांजैक्शन्स की पूरी प्रक्रिया इस जालसाज गिरोह की ओर से की जाती थी।

इंटर स्टेट ठग गिरोह का पर्दाफाश वाली खबर पर एक नजर 

  • ग्वालियर साइबर पुलिस ने एक बड़े इंटर स्टेट ठग गिरोह का पर्दाफाश किया, जिसमें मनीष गुप्ता और दीपक कुमार शामिल थे।

  • मनीष गुप्ता ने ठगी के तरीके छपरा, बिहार के एक इंस्टीट्यूट से सीखे, फिर बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में इसे फैलाया।

  • गिरोह ने कॉल सेंटर के जरिए युवाओं को 15,000 रुपये महीने पर काम पर रखा और उनके बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल करके ठगी की।

  • फर्जी गूगल नंबर और रिक्वेस्ट फॉर्म के माध्यम से बड़ी कंपनियों के नाम पर ठगी की गई, जैसे कि कैडबरी कंपनी की फ्रेंचाइजी।

  • ग्वालियर साइबर पुलिस ने एक साल की ट्रैकिंग के बाद मनीष गुप्ता और दीपक कुमार को दिल्ली से गिरफ्तार किया और गिरोह के अन्य राज उजागर होने की संभावना है।

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फर्जी नंबरों और रिक्वेस्ट फॉर्म से होती थी ठगी

गिरोह ने अपनी ठगी के लिए गूगल पर फर्जी कंपनी नंबर अपलोड किए थे। जब लोग इन नंबरों को खोजते थे, तो एक फर्जी रिक्वेस्ट फॉर्म खुलता था। इसमें जानकारी भरने के बाद ठग खुद को कंपनी का अधिकारी बताकर लोगों को कॉल करते थे और फिर उनसे मोटी रकम ठग लेते थे। 

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ठगों ने शिक्षित लोगों को भी फंसाया

यह खास बात है कि मनीष गुप्ता और दीपक केवल 12वीं पास है। उसने बड़ी कंपनियों के अधिकारियों और इंजीनियरों जैसे शिक्षित व्यक्तियों को भी अपनी ठगी के जाल में फंसा लिया। कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी लोग ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट थे, लेकिन वे भी ठगों की चालों को नहीं समझ पाए। 

ग्वालियर साइबर पुलिस का शिकंजा

ग्वालियर साइबर पुलिस ने इस गिरोह पर एक साल से नजर रखी थी और विभिन्न आईपी एड्रेस और लोकेशन की ट्रैकिंग की। आखिरकार, मनीष गुप्ता और दीपक कुमार को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। इस ऑपरेशन में पुलिस टीम के सदस्य संजीव नयन शर्मा (उप पुलिस अधीक्षक), निरीक्षक मुकेश नारोलिया, उपनिरीक्षक हिमानी पाठक, एसआई शैलेंद्र राठौर, प्रधान आरक्षक पवन शर्मा और आरक्षक पुष्पेंद्र यादव शामिल थे।

गिरफ्तारी के बाद मनीष और दीपक से पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं। पुलिस का कहना है कि इस गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से उजागर किया जाएगा और आने वाले समय में और ठगों के नाम सामने आएंगे। इस पूरे मामले को एमपी पुलिस (MP Police) की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही, ग्वालियर साइबर क्राइम टीम की भी तारीफ हो रही है। 

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