ग्वालियर में फाइनेंस कंपनी के नाम पर अड़ीबाजी, तीन गिरफ्तार, एक नाबालिग भी शामिल

ग्वालियर पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के नाम पर अड़ीबाजी करने वाले तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। ये बदमाश फाइनेंस वाहनों की किस्त चूकने वालों का डेटा हैक कर उनके घर पहुंचते थे और अवैध रूप से वसूली करते थे। 

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Pratibha ranaa
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फाइनेंस कंपनी के नाम पर अड़ीबाजी
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ग्वालियर के बिजौली थाना पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के नाम पर अड़ीबाजी करने वाले तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से एक नाबालिग है। यह बदमाश फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस किए गए वाहनों की किस्त चूकने वालों का डेटा निकालकर उनके घर पहुंचते थे और अवैध रूप से वसूली करते थे। इनका किसी कंपनी से कोई संबंध नहीं था। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि उनके पास यह डेटा कहां से आता था।

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फाइनेंस कंपनी के नाम पर अड़ीबाजी

एसडीओपी संतोष पटेल के अनुसार, बिजौली थाना क्षेत्र के स्यावरी निवासी पुष्पा राणा और उनके पति सुदीप राणा मुरार से अपने घर जा रहे थे। रास्ते में तीन युवकों ने उन्हें रोका और खुद को फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी बताते हुए गाड़ी की किस्त भरने की मांग की। जब दंपती ने पैसे नहीं होने की बात कही तो आरोपियों ने अभद्रता की और मारपीट कर जबरन पैसों की मांग की। जब पास में मौजूद लोग इकट्ठा हुए तो आरोपी मौके से भाग निकले।

तीनों आरोपी गिरफ्तार

मामले की सूचना मिलते ही बिजौली थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और आरोपियों को पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम हिमांशु यादव और अंकित यादव बताया। दोनों का संबंध झांसी से है, जबकि तीसरा आरोपी नाबालिग है और ग्वालियर का निवासी है। उन्होंने दावा किया कि वे "बाबा एसोसिएट" नामक कंपनी में काम करते हैं। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि वे वास्तव में कंपनी के कर्मचारी हैं या किसी अड़ीबाजी गिरोह के सदस्य।

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कंपनी पर भी हो सकती है कार्रवाई

पुलिस का कहना है कि अगर यह साबित होता है कि आरोपी कंपनी के कर्मचारी हैं, तो कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। किसी भी वाहन को छीनने या किस्त की वसूली के लिए कंपनी को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है, मारपीट और जबरन वसूली का अधिकार उन्हें नहीं है।

आरोपियों पर मामला दर्ज 

एएसपी शियाज केएम ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ अड़ीबाजी और मारपीट का मामला दर्ज किया गया है। आगे की जांच के आधार पर मामले में और कार्रवाई की जाएगी।

फाइनेंस कंपनी के नाम पर होने वाली अड़ीबाजी से कैसे बचें 

  • फाइनेंस कंपनी की वैधता की जांच करें: जब भी कोई व्यक्ति या टीम किस्त वसूली के लिए संपर्क करे, पहले उसकी वैधता की जांच करें। कंपनी के आधिकारिक नंबर पर कॉल करके कर्मचारी की पहचान सत्यापित करें।
  • किस्त भरने का प्रमाण रखें: किस्त या भुगतान का कोई भी लेनदेन ऑनलाइन या बैंक के माध्यम से करें और उसका प्रमाण (रसीद) हमेशा सुरक्षित रखें।
  • संदिग्ध कॉल या विजिट से सावधान रहें: अगर कोई अज्ञात व्यक्ति अचानक आपसे किस्त भरने की मांग करता है या धमकी देता है, तो तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
  • कंपनी की आधिकारिक प्रक्रिया का पालन करें: फाइनेंस कंपनियां कानूनी प्रक्रिया के तहत वसूली करती हैं। अगर कोई व्यक्ति जबरन वसूली की कोशिश करता है, तो समझ लें कि वह वैध नहीं हो सकता।
  • डेटा की सुरक्षा करें: अपनी पर्सनल जानकारी या वाहन से संबंधित डेटा किसी अज्ञात व्यक्ति या वेबसाइट के साथ साझा न करें। यह जानकारी केवल आधिकारिक फाइनेंस कंपनियों के साथ ही साझा करें।
  • कानूनी सहायता लें: यदि आपको लगता है कि कोई अड़ीबाजी कर रहा है, तो तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं। ऐसे मामलों में कानूनी सलाह लेना भी महत्वपूर्ण है।

फाइनेंस कंपनी के नाम पर ऐसे होती है अड़ीबाजी 

  • किस्त न चुकाने वालों का डेटा प्राप्त करना: ये लोग किसी न किसी अवैध तरीके से फाइनेंस कंपनी से उन लोगों का डेटा हासिल कर लेते हैं, जिन्होंने अपने वाहन या अन्य संपत्तियों की किस्तें समय पर नहीं चुकाई हैं। इसके बाद वे उन लोगों को टारगेट करते हैं।
  • फर्जी कर्मचारी बनकर संपर्क करना: ये ठग फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी बनकर सीधे ग्राहकों से संपर्क करते हैं। वे खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताकर किस्त की मांग करते हैं, जिससे ग्राहक को लगे कि यह एक वैध प्रक्रिया है।
  • धमकी देना और दबाव बनाना: यदि ग्राहक तुरंत भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो ये ठग धमकी देते हैं कि वे वाहन या संपत्ति को जब्त कर लेंगे। वे मारपीट, धमकी या दुर्व्यवहार का सहारा लेकर जबरन वसूली करने की कोशिश करते हैं।
  • फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल: कभी-कभी ये लोग फर्जी रसीद या दस्तावेज बनाकर ग्राहक को भ्रमित करते हैं कि उन्हें किस्त या शुल्क का भुगतान करना ही होगा। इससे ग्राहक उनके जाल में फंस जाते हैं और पैसे दे देते हैं।
  • स्थानीय गिरोह का हिस्सा: कई बार ये ठग स्थानीय अपराधी या अड़ीबाजी गिरोह के सदस्य होते हैं, जो ऐसे अवैध वसूली कार्यों में लिप्त रहते हैं। वे लोगों को डराने-धमकाने के लिए संगठित तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
  • नकद भुगतान की मांग: ऐसे ठग अक्सर नकद में ही भुगतान की मांग करते हैं ताकि कोई डिजिटल या बैंकिंग ट्रैक न रहे। इससे बाद में वसूली का कोई प्रमाण भी नहीं बचता है, और ग्राहक को ठगी का एहसास नहीं हो पाता।
  • ग्राहकों का मानसिक शोषण: वे ग्राहक को मानसिक दबाव में डालकर उनसे किस्त या पेनल्टी के नाम पर अधिक पैसे वसूलते हैं। ग्राहक कानून के डर से या अपनी संपत्ति खोने के भय से भुगतान कर देते हैं।

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