भोपाल के हजयात्री की मक्का में हीटवेव से मौत, 50 तक पहुंच रहा दिन का तापमान

सऊदी अरब में इस साल पारा 50 डिग्री तक पहुंच रहा है। तेज गर्मी की वजह से भोपाल के 55 साल के हजयात्री की मक्का में मौत हो गई। इसके साथ दो अन्य लोगों की भी मौत होने की खबर है हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

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Deeksha Nandini Mehra
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भोपाल के हजयात्री की मक्का में मौत
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Bhopal Haj pilgrim dies in Mecca : मक्का में भोपाल से हज करने पहुंचे तीन हजयात्रियों की हीटवेव से मौत हो गई। हालांकि आधिकारिक तौर पर केवल एक व्यक्ति की पुष्टि हुई है।

मध्य प्रदेश राज्य हज कमेटी के अधिकारियों ने बताया कि दो अन्य हजयात्रियों में एक इंदौर और एक जबलपुर का है। उनके बारे में जानकारी ली जा रही है। दरअसल, मक्का में इन दिनों आसमान से आग बरस रही है। यहां दिन का तापमान लगभग 45 से 50 तक पहुंच रहा है।

हर साल हज यात्रा के लिए यहां हजारों से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते है। इस साल मध्य प्रदेश से 6 हजार से ज्यादा लोग हज यात्रा पर गए हैं। इनमें भोपाल से एक हजार और जबलपुर से 300 से ज्यादा हजयात्री मक्का गए हैं। 

हज कमेटी ने दिया ये बयान 

अब तक मिली जानकारी के अनुसार मक्का में जिसकी मौत हुई है उसकी पहचान मुमताज के नाम से हुई है। हज कमेटी का कहना है कि हजयात्रियों की नाम से पहचान करना मुश्किल होता है। भोपाल के हजयात्री की मक्का में मौत | भोपाल के हजयात्री की मौत

जब उनका सिलेक्शन नंबर नहीं पता होता, तब तक किसका क्या नाम है, वह कहां का है, यह बताना मुश्किल होता है। अभी तक भोपाल के शख्स मुमताज की पहचान ही हो सकी है। अकेले भोपाल से मुमताज नाम के 18 लोग हज यात्रा पर गए हैं। 

अब तक 600 लोगों की हुई मौत 

मक्का में इस साल भीषण गर्मी पड़ रही है। वहां हज यात्रा के दौरान 68 भारतीय नागरिकों की मौत हुई है। इसके अलावा 600 हजयात्री जान गंवा चुके हैं, इन मृतकों में बुजुर्ग भी शामिल हैं। बताया जा रहा कि कई लोगों की जान प्राकृतिक कारणों से हुई है। 

 हज यात्रा का महत्त्व 

हज यात्रा को अल्लाह का हुक्म माना जाता है। इसके साथ ही ये इस्लाम के पांच जरूरी स्तम्भ में से ये एक है। इस्लाम के पांच स्तम्भ इस प्रकार हैं- कलमा, नमाज, रोजा और जकात और पांचवा स्तम्भ है हज। हज करना अल्लाह की इबादत का एक जरिया मानते है। हज यात्रा के दौरान दुनियाभर के मुस्लिम इकठ्ठा होते हैं। साथ ही हज एक जरिया है यह बताने का कि दुनियाभर में जितने भी मुस्लिम हैं सब बराबर हैं।

पहली हज यात्रा 

साल 628 में पैगंबर मोहम्मद साहब ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक यात्रा शुरू की थी। ये यात्रा ही इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी जिसे बाद में हज कहा गया।हर साल दुनियाभर से सभी मुस्लिम सऊदी अरब हज के लिए पहुंचते । हज में पांच दिन लगते हैं और ये बकरीद यानी ईद उल अदहा के साथ पूरी होती है। 

-हजयात्रा का महत्त्व

Hajj Yatra 2024 

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