नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले के बाद जिला कलेक्टर के द्वारा 15.8 करोड़ रुपए का हर्जाना हरदा ब्लास्ट ((harda blast ) के पीड़ितों को देने का आदेश जारी किया गया था। ये हर्जाना आरोपियों से वसूला जाना था। अब इस मामले में आरोपियों ने अपनी जब्त जमीन को छुड़ाने और नीलामी रुकवाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तय किया था जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT ) के द्वारा अखबारों में छपी खबर के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर हरदा ब्लास्ट (harda blast ) में सुनवाई की गई थी। इसके बाद इस ब्लास्ट में मृतकों सहित घायलों को मुआवजा देने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार इस ब्लास्ट में 60 घरों को नुकसान हुआ था और 100 से ज्यादा लोगों को अपना घर खाली करना पड़ा था। वहीं इस हादसे में मृत्यु और घायल होने वाले लोगों की संख्या 50 से अधिक थी। इसके बाद एनजीटी ने इस प्रकार मुआवजा देने का आदेश दिया था
* दुर्घटना में मृतकों को 15 लाख रुपए
* जलने के कारण गंभीर रूप से घायलों को 5 लाख रुपए
* घायलों को 3 लाख रुपए
* धमाके से क्षतिग्रस्त मकान मालिकों को 5 लाख रुपए
* घर खाली करने को मजबूर हुए लोगों को 2 लाख रुपए
NGT ने दिया था कलेक्टर को आदेश
एनजीटी ने जिला कलेक्टर हरदा को आदेशित किया था कि वह पीड़ितों के आधार पर कुल रकम की गणना करेंगे, और पटाखा कंपनी के मालिक से यह रकम लेकर जिला एनवायरमेंटल कंपनसेशन फंड ( Environmental Compensation Fund ) में जमा की जाएगी । इसके बाद जिला कलेक्टर द्वारा गठित कमेटी ने घायलों की संख्या की गणना कर अग्रवाल बंधुओं को 15.8 करोड़ रुपए मुआवजा देने का आदेश जारी किया था। इस आदेश के जारी होने के बाद भी आरोपियों के द्वारा मात्र 72 लाख रुपए ही नगद जमा किया गया था। वहीं उनकी संपत्ति की नीलामी को रुकवाने के एवज में 4 करोड़ देने का ऑफर लेकर वह हाईकोर्ट पहुंचे थे। अग्रवाल बंधुओं ने पीड़ितों की संख्या सहित सरकार पर अन्य गंभीर आरोप भी लगाए गए।
घायलों की संख्या पर जताई आपत्ति
याचिकाकर्ता के द्वारा यह आरोप लगाए गए की सरकार ने प्रभावितों की जो संख्या बताई है वह अत्यधिक है। जहां एनजीटी की रिपोर्ट में लगभग 60 लोक प्रभावित बताए गए थे और अब उनकी संख्या लगभग 600 हो रही है, और इस आधार पर वह 15.1 करोड़ का जुर्माना कम करने की जुगत भी लगाना चाहते थे। शासन की ओर से अधिवक्ता ने यह तथ्य दिया कि एनजीटी की ओर से फरवरी माह में आदेश जारी किया गया था और वह आदेश अखबार में प्रकाशित खबर के आधार पर था। इसके बाद जिला कलेक्टर के द्वारा गठित की गई कमेटी ने प्रभावितों का आकलन किया और जांच के बाद जो आंकड़े सामने आए उनके अनुसार मृतक और प्रभावितों की संख्या 13, गंभीर रूप से घायलों की संख्या 64, सामान्य घायलों की संख्या 237, ब्लास्ट से नुकसान होने वाले घरों की संख्या 39 और अपना घर खाली करने को मजबूर होने वाले लोगों की संख्या 201 है।
पहले किया अपराध अब पीड़ितों को कर रहे प्रताड़ित
इस मामले में शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आरोपियों द्वारा अब तक केवल 72 लाख रुपए नगद शासन को दिया गया है। वहीं उनकी संपत्ति कुर्क कर नीलामी करने के बाद 2.67 करोड़ रुपए ही वसूल हो सका है। आरोपियों के ऊपर और भी क्रिमिनल मामले दर्ज हैं और ऐसा नहीं है कि यह मासूम है। यह जानबूझकर आपत्तियां लगाकर मुआवजा देने से बचना चाह रहे हैं। जिसका असर सीधा-सीधा उन पीड़ितों को हो रहा है जो इनके अपराध का दंश झेल रहे। शासन की ओर से अधिवक्ता ने यह भी बताया कि अब तक लगभग 2 करोड़ रुपए सरकार के द्वारा खर्च किए जा चुके हैं और 8 लाख रुपए प्रतिमाह इन पीड़ितों के भोजन और अन्य व्यवस्था के लिए सरकार खर्च कर रही है।
सरकार पर लगाए आरोप
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि यह उसी तरह का एक अग्नि हादसा था जैसा कि भोपाल के वल्लभ भवन में हुआ था । आरोपियों ने संपत्ति जब्त न करने के एवज में 1.3 करोड़ के भुगतान की पेशकश भी की थी पर सरकार के द्वारा इसे ना मानते हुए उनकी जब्त की गई प्रॉपर्टी को ओने-पौने दाम पर नीलाम किया जा रहा है। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि आप नीलामी से बचना चाहते हैं तो हर्जाने की रकम भर दें।
आरोपियों की अन्य शहरों में भी प्रॉपर्टी
इस मामले में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने पेशकश की कि यदि उसकी जब्त की हुई प्रॉपर्टी को रिलीज कर दिया जाता है तो वह 10 दिनों के भीतर 4 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए तैयार है। इसके लिए उसकी जब्त की हुई प्रॉपर्टी को मुक्त करना जरूरी है। अन्यथा वह किसी अन्य संसाधन से इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकता। इस मामले में आपत्तिकर्ता अवनी बंसल के द्वारा तथ्य रखा गया कि आरोपियों की जमीन केवल हरदा में नहीं है यह जब्त की गई जमीन यदि मुक्त नहीं भी की जाती तो आरोपियों के पास अन्य शहरों में भी प्रॉपर्टी है जिसके जरिए वह चार करोड़ की रकम जुटा सकते हैं।
कोर्ट ने किया फैसला सुरक्षित
जबलपुर हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय श्रॉफ की युगल पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। इस मामले में अब तक यह तो स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट एनजीटी के द्वारा की गई कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं करेगा हालांकि दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले को हर्ड एंड रिजर्व स्टेटस पर रखा है और अंतिम आदेश आने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक