MP में बदहाल स्वास्थ्य विभाग, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किए , एक हजार बच्चों में 48 की हो रही मौत

जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस दुपल्ला वेंटकरमन्ना की डबल बैंच ने नोटिस जारी कर शासन से जवाब तलब किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता अभिनव धनोड़कर द्वारा की गई थी।

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Sanjay gupta
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INDORE. मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की हालत खराब है। इसे लेकर गांधीवादी विचारक चिन्मय मिश्र ने जनहित याचिका दायर की है। इस पर शुक्रवार को जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस दुपल्ला वेंटकरमन्ना की डबल बैंच ने नोटिस जारी कर शासन से जवाब तलब किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता अभिनव धनोड़कर द्वारा की गई थी।

शिशु मृत्यु दर मध्यप्रदेश में 1 हजार पर 48

याचिका में बताया गया कि शिशु मृत्यु दर जहां सम्पूर्ण भारत में 32 प्रति 1000 है वही मध्य प्रदेश में यह 48 है। माताओं में मृत्यु दर सम्पूर्ण देश में 113 है वही मध्यप्रदेश में 173 है। ग्रामीण क्षेत्र में, प्रसव के समय में आयरन फौलिक केवल 30 पर्सेंट महिलाओं को ही मिल पाता है और 42 पर्सेंट महिलाओं द्वारा ही प्रसव के 1 घंटे के भीतर नवजात जो स्तनपान करवाया जाता है। मध्य प्रदेश में 58 पर्सेंट से अधिक महिलाएं खून की कमी से प्रभावित हैं।

संविधान में यह है मौलिक अधिकार

याचिकाकर्ता का तर्क यह है कि, स्वास्थ्य का अधिकार तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभ तथा पूर्ण उपलब्धता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत, जीवन जीने के अधिकार की श्रेणी में होकर एक मौलिक अधिकार है, तथा शासन का यह दायित्व है कि ग्रामीण इलाकों में व्याप्त बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में तुरंत सुधार करें। याचिका का आधार यह है कि मध्यप्रदेश के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्यप्रदेश में एक भी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर या सब सेंटर, जो कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की नींव है, भारत शासन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुसार कार्यरत नहीं है। 

324 सर्जन की नियुक्ति की जरूरत

2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्य प्रदेश में 309 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर है, जिसमें हर एक सेंटर में एक फिजीशियन, एक सर्जन, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा एक बच्चों के चिकित्सक की नियुक्ति होना आवश्यक है लेकिन 309 में से एक भी ऐसा कम्युनिटी हेल्थ सेंटर नहीं है। जहां इस सब की नियुक्ति हो। कुल मिलाकर 324 सर्जन की नियुक्ति की आवश्यकता है, उनमें से केवल 7 की ही नियुक्ति हुई है और बाकी 302 पद खाली हैं।

324 जनरल फिजीशियन की नियुक्ति की आवश्यकता है। उनमें से केवल 7 की ही नियुक्ति हुई है। बाकी 302 पद खाली हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ में 324 में से केवल 21 पद भरे हैं बाकी 303 पद खाली हैं। बच्चों के विशेषज्ञों के लिए आवश्यकता 309 नियुक्तियों की है लेकिन केवल 60 पद ही स्वीकृत हैं, जिनमें से भी केवल 11 पर ही नियुक्ति हुई हैं। सबसे चौंकाने वाले स्थिति यह है कि, मध्य प्रदेश में एक भी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है और केवल 5 ही एनेस्थेटिस्ट नियुक्त हैं।

45 पर्सेंट प्राइमरी हेल्थ सेंटर की कमी

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्य प्रदेश में 28 पर्सेंट सब सेंटर्स की कमी है। 47 पर्सेंट प्राइमरी हेल्थ सेंटर की कमी है और 45 पर्सेंट कम्युनिटी हेल्थ सेंटर की कमी है। रिपोर्ट के अनुसार जितने भी सेंटर हैं। उनमें से एक भी सेंटर इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार कार्यरत नहीं है। हर सेंटर में कोई ना कोई कमी है।

 

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